कल होगी किसान महापंचायत, तय होगी आंदोलन की दशा और दिशा
नई दिल्ली। मुजफ्फरनगर में 5 सितंबर के लिए किसानों के पहुंचने का सिलसिला लगातार जारी है। सभा स्थल पर पहुंचने वाले किसानों का कहना है कि, अब लड़ाई आरपार की होगी, या तो सरकार कृषि कानून वापस ले लेगी या किसान आंदोलन जारी रखेंगे। पंचायत में शामिल होने पहुंचे किसानों ने मीडिया के साथ बातचीत की और अपनी बात मीडिया के माध्यम से सरकार तक पहुंचाने का प्रयास भी किया।
महापंचायत में भाग लेने के लिए किसान लगातार सभा स्थल पर पहुंच रहे हैं, उनके ठहरने और खाने की पूरी व्यवस्था की गई है। वहीं किसानों का कहना है कि इस महापंचायत के जरिए अब तय होगा कि किसान आंदोलन आखिर किस दिशा में जाएगा।
किसानों ने मीडिया से बातचीत के दौरान कहा कि जब तक सरकार अपने तीन कानूनों को वापस नहीं लेती तब तक किसान धरने से नहीं हटने वाले हैं। अब सरकार को सोचना है कि किसानों का आंदोलन खत्म होना चाहिए या नहीं और अगर सरकार किसानों की उपेक्षा करती है तो सरकार को इसके परिणाम भुगतने होंगे।
किसान महापंचायत में शामिल होने के लिए दूर-दूर से आने वाले किसानों का कहना है कि वे यह सोचकर घर से निकले हैं कि इस महापंचायत में कुछ निर्णय लेने के बाद ही वापस आएंगे।
किसानों का कहना है कि यह महापंचायत ऐतिहासिक महापंचायत होगी और इसी पंचायत के माध्यम से किसान आंदोलन की दशा और दिशा तय होगी क्योंकि जिस तरह से सरकार किसानों की अनदेखी कर रही है, उससे किसान काफी नाराज हैं और यही वजह है कि अब इस महापंचायत के जरिए कई अहम फैसले लिए जाएंगे। जिसके बारे में किसान गांव-गांव जाकर लोगों के पास जाकर इनकी जानकारी देंगे ताकि सरकार को बताया जा सके कि किसान अब चुप नहीं बैठने वाले हैं।
किसान महापंचायत में शामिल होने पहुंचे किसानों का कहना है कि किसानों की इस महापंचायत का आयोजन सरकार को नींद से जगाने के लिए किया गया है और इस महापंचायत में तय होगा कि अगर सरकार किसानों की नहीं सुनेगी तो क्या कदम उठाना है।
बता दें कि इस महापंचायत में हिस्सा लेने के लिए उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड के अलावा दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, केरल, हिमाचल जैसे राज्यों से भी किसान पहुंच रहे हैं. किसान नेताओं की माने तो इस महापंचायत में करीब 7 से 8 लाख किसान शामिल होंगे।