जारी हैं पाक की नापाक हरकतें

नई दिल्ली। भले ही पूरी दुनिया कोरोना वायरस महामारी के संकट से निकलने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हो, लेकिन पाकिस्तान की आतंकी फैक्ट्रियां अपने काम में लगी हुई हैं। कश्मीर में आम जनता की मुख्यधारा में शामिल होने और आतंकवाद से किनारा करने के बाद अब पाकिस्तान में बैठे आतंकवादी नेताओं ने अपने गिरोह में युवाओं की तेजी से भर्ती की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
इस साल के पहले 5 महीनों में 38 कश्मीरी युवक अलग-अलग आतंकी गिरोहों में शामिल हुए हैं। इस साल फरवरी से भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम का पाकिस्तान की आतंकवादी रणनीति पर कोई असर नहीं पड़ा है। 2019 में पूरे साल में कुल 119 कश्मीरी युवाओं को आतंकी गिरोहों में भर्ती किया गया, जबकि पिछले साल यानी 2020 में कुल 166 नए आतंकी बने। इसका मतलब यह हुआ कि कोरोना काल में भी पाकिस्तान में बैठे आतंकी नेता कश्मीर के युवाओं में आतंकी विचारधारा को नए सिरे से फैलाते रहे।
कश्मीर में खुफिया सूत्रों का कहना है कि इस साल अब तक औसतन 7-8 युवाओं को आतंकी गिरोहों में भर्ती किया गया है। आने वाले कुछ महीनों में ये संख्या और ज्यादा बढ़ सकती हैं, क्योंकि बर्फ पिघलने से पाकिस्तान से घुसपैठ बढऩे की संभावना है। ये घुसपैठिए विशेष रूप से प्रशिक्षित आतंकवादी हैं जो जिहाद के नाम पर युवाओं को बरगलाने में माहिर हैं। उन्हें विशेष रूप से नए स्थानीय युवाओं के साथ आतंकवादियों की घटती संख्या के पूरक के लिए भेजा जाता है। जिनकी संख्या भारतीय सेना की लगातार कार्रवाई से काफी कम हो गई है। गौरतलब है कि इस साल 1 जून तक भारतीय सेना की कार्रवाई में 48 आतंकवादी मारे गए थे। अप्रैल तक सिर्फ शोपियां में सेना की गोलियों के निशाने पर 23 आतंकी थे, जबकि आतंकी से सबसे ज्यादा प्रभावित एक अन्य जिले पुलवामा में 13 आतंकी मारे गए थे। पिछले साल 221 आतंकवादी मारे गए थे, जबकि 2019 में मारे गए आतंकवादियों की संख्या 158 थी। दक्षिण कश्मीर में सेना के अभियानों में सबसे अधिक सक्रिय हिजबुल मुजाहिदीन में कोई बड़ा आतंकवादी नहीं है और इस गिरोह में कमांडर के रूप में कोई नाम सक्रिय नहीं है। पहले आतंक का रास्ता चुनने के बाद, एक आतंकवादी के पास आमतौर पर 9 महीने तक जीवित रहने का समय होता था। लेकिन अब 2-3 महीने हो गए हैं। आम कश्मीरियों के आतंक के खिलाफ खड़े होने से सेना के पास जानकारी की कोई कमी नहीं है। जिसका असर अधिक से अधिक सफल आतंकवाद विरोधी अभियानों के रूप में दिखाई दे रहा है।

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