मांझी और लालू की फोन वार्ता से सियासी हलचल तेज

पटना। इन दिनों बिहार की सियासत में कुछ ठीक नहीं चल रहा है। नीतीश के करीबी ही गाहेबगाहे उन पर हमला किया करते हैं। इस बार नीतीश सरकार अपने सहयोगियों पर आश्रित है तो रह-रह कर वो अपने तेवर दिखाया करते हैं लेेेकिन अब मांझी और लालू की गुफ्तगू बिहार की सियासत में नए समीकरण बना सकती है।
बिहार की सियासत अब कभी भी नया मोड़ ले सकती है। लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने बीते दिन जीतन राम मांझी के घर मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान तेजप्रताप ने मांझी से मुलाकात ही नहीं कि बल्कि मांझी ने फोन पर लालू प्रसाद यादव से बात भी की। भले ही मांझी की ओर से यह कहा जा रहा हो कि उन्होंने केवल बधाई देने के लिए लालू से बात की है लेकिन इस बातचीत के कई सियासी अर्थ निकाले जा रहे हैं।
नीतीश सरकार जीतन मांझी और मुकेश साहनी के चार-चार विधायकों के कंधों पर टिकी है। पहले जीतन राम मांझी और मुकेश साहनी की गुपचुप मुलाकात होती है, फिर मांझी लगातार एनडीए खासकर बीजेपी के खिलाफ बयान देते हैं। लालू यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव ने जीतन राम मांझी को महागठबंधन में शामिल होने का न्यौता दिया और फिर तेज प्रताप यादव लालू के संदेश मिलने के बाद मांझी के घर पहुंचते हैं। तेज प्रताप यादव मांझी से अपने पिता लालू यादव से 12 मिनट बात करवाते हैं। अब इन 12 मिनटों की बातचीत अगले 12 दिन या 12 महीने में राजनीति का रंग बदल सकती है, लेकिन सवाल यह है कि लालू यादव ने मांझी से 12 मिनट तक क्या बात की? इतना ही नहीं आपने मांझी की ओर से जन्मदिन की बधाई स्वीकार की होगी।
सूत्रों के मुताबिक लालू यादव ने मांझी को महागठबंधन में शामिल होने का जबरदस्त ऑफर दिया है। मांझी को सरकार का नेतृत्व संभालने की भी पेशकश की गई है और इसके लिए मुकेश साहनी को मनाने का काम भी दिया है। 24 सीटों पर होने वाले आगामी एमएलसी चुनाव में जीतन राम मांझी और साहनी दोनों को अच्छी संख्या में सीटों की पेशकश की गई है। हालांकि लालू यादव से बातचीत के दौरान मांझी ने लालू और नीतीश के फिर साथ आने का जिक्र किया। हालांकि लालू प्रसाद यादव के लिए नीतीश के बिना सरकार बनाना या बिगाडऩा इतना आसान नहीं होगा। क्योंकि नीतीश कुमार अपने साथ दो निर्दलीय, एक बसपा और एक लोजपा विधायक लाए हैं। ऐसे में अगर मांझी-साहनी ने अपने आठ विधायकों को लेकर अपनी राहें जुदा कर लीं तो तैयारी भी की गई कि राजद और कांग्रेस के कुछ नाराज विधायकों को इस्तीफा दिलवाकर बहुमत का आंकड़ा कम किया जा सकता है.
बिहार में जीतन राम मांझी का सियासी घमासान में कोई मुकाबला नहीं है। पहले नीतीश के घर पर, फिर लालू के घर पर, फिर नीतीश के घर पर और अब फिर लालू के साथ वर्चुअल मीटिंग इस पलटीमार राजनीति के लिए अहम है।

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