प्रदेश को टेक्सटाइल हब बनाने की तैयारी, सरकार ने बनायी रणनीति

कंपनियों से मांगे एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट स्थापित किए जाएंगे इंटीग्रेटेड पार्क
देश का तीसरा सबसे बड़ा कपड़ा उत्पादक राज्य है उत्तर प्रदेश
लखनऊ समेत सात मंडलों में लागू किया जाएगा प्लान

पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। योगी सरकार अब प्रदेश को टेक्सटाइल हब बनाने की तैयारी में जुट गई है। इसके लिए प्रदेश में इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल और अपैरेल पार्क की स्थापना के लिए यूपी सरकार ने निजी क्षेत्र की कंपनियों से पांच अगस्त तक इच्छा पत्र (एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट) मांगे गए हैं। इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल पार्क में उद्यमियों और निर्माताओं को सभी बुनियादी सुविधाओं से युक्त लैंड पार्सल आवंटित किए जाएंगे, जिनमें वे अपनी इकाइयां स्थापित कर सकेंगे। इस योजना को लखनऊ समेत प्रदेश के सात मंडलों में लागू किया जाएगा।
देश में पूर्ण रूप से इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल पार्कों की संख्या बहुत कम है इसलिए योगी सरकार चाहती है कि राज्य के प्रमुख कपड़ा उत्पादक क्षेत्रों में ऐसे इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल पार्क विकसित किए जाएं, जहां उत्पादक इकाइयों को पूरी वैल्यू चैन का लाभ मिल सके। साथ ही प्रदेश में रोजगार और निर्यात की संभावनाएं बढ़ सकें। निजी क्षेत्र की ओर से इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल पार्क मेरठ, आगरा, झांसी, गोरखपुर, वाराणसी, लखनऊ और कानपुर मंडलों में स्थापित किए जाएंगे जहां कपड़ा उत्पादन परंपरागत तौर पर होता रहा है। हालांकि निजी क्षेत्र के विकासकर्ता प्रदेश में कहीं भी इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल पार्क की स्थापना के लिए स्वतंत्र होंगे। वहीं बुंदेलखंड और पूर्वांचल में पार्क विकसित करने के लिए उनके पास न्यूनतम 20 एकड़ तथा पश्चिमांचल व मध्यांचल में न्यूनतम 30 एकड़ जमीन होनी चाहिए। 100 एकड़ या इससे अधिक क्षेत्रफल पर विकसित किए जाने वाले इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल पार्क को प्राथमिकता दी जाएगी।
गौरतलब है कि यूपी देश का तीसरा सबसे बड़ा कपड़ा उत्पादक राज्य है। कपड़ा उत्पादन में राष्ट्रीय स्तर पर उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 13.24 फीसदी है। प्रदेश में 2.58 लाख हैंडलूम बुनकर और 5.5 लाख पावरलूम बुनकर हैं। सूबे में गैर लघु औद्योगिक क्षेत्र में 58 स्पिनिंग मिल और 74 टेक्सटाइल मिल हैं। कालीन उत्पादन में देश में उत्तर प्रदेश की हिस्सेदारी 90 फीसदी है।

एक छत के नीचे मिलेंगी सभी सुविधाएं

इंटीग्रेटेड टेक्सटाइल पार्क में रेडीमेड फैक्ट्री शेड/भूखंड, वेयरहाउसिंग सुविधाएं, टूल रूम, रॉ मैटेरियल बैंक, टेस्टिंग और शोध व अनुसंधान के लिए कॉमन फैसिलिटी सेंटर, कौशल उन्नयन केंद्र, ट्रक टर्मिनल व पार्किंग सुविधाएं, मशीनों की रिपेयरिंग के लिए दुकानें, कर्मचारियों के लिए डॉरमेट्री या हॉस्टल, इनक्यूबेशन सेंटर, फैशन इंस्टीट्यूट व ट्रेनिंग सेंटर आदि होंगे।

ई-टेंडर से होगा चयन

निजी क्षेत्र के विकासकर्ता को जमीन हासिल कर उस पर आवश्यक सुविधाएं विकसित करनी होंगी। फिर वह विभिन्न औद्योगिक इकाइयों को पार्क में लैंड पार्सल आवंटित करेगा। उसे पार्क में स्थित परिसंपत्तियों का रखरखाव भी करना होगा। हथकरघा एवं वस्त्रोद्योग विभाग उसे आवश्यक सहयोग देने के साथ निजी औद्योगिक पार्कों के लिए घोषित राज्य सरकार की नीति के लाभ दिलाने में मदद करेगा। विकासकर्ता के चयन के लिए ई-टेंडर की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

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