सरकार कर रही है एक और नया कानून बनाने की तैयारी, पैनल का किया गठन

नई दिल्ली। केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने दवा, सौंदर्य प्रसाधन और चिकित्सा उपकरणों के लिए नए कानून बनाने के लिए एक पैनल का गठन किया है । एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पैनल में आठ सदस्य होंगे। और इसके प्रमुख ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीजीसीआई) वीजी सोमानी होंगे । यह पैनल 30 नवंबर को सरकार को अपने सुझाव का मसौदा सौंपेगा। देश की शीर्ष नियामक संस्था सेंट्रल ड्रग्स स्टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन (सीडीएससीओ) के मुताबिक ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक्स एक्ट 1940 के तहत ड्रग्स और कॉस्मेटिक्स के आयात, निर्माण, वितरण और बिक्री को विनियमित किया जाता है। हाल ही में इस एक्ट में संशोधन करते हुए मेडिकल डिवाइसेज को भी जोड़ा गया है।
रिपोर्ट के अनुसार, केंद्र सरकार ने नए ड्रग्स, कॉस्मेटिक्स और मेडिकल डिवाइसेज बिल के लिए एक समिति गठित करने का फैसला किया है । समिति की सिफारिशों के आधार पर एक नया ड्रग्स, कॉस्मेटिक्स और मेडिकल डिवाइस एक्ट लागू किया जाएगा । सरकार द्वारा गठित पैनल में स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के निदेशक राजीव वधावन, संयुक्त औषधि नियंत्रक डॉ ईश्वर रेड्डी, संयुक्त औषधि नियंत्रक एके प्रधान, आईएएस अधिकारी एनएल मीणा के साथ हरियाणा, गुजरात और महाराष्ट्र के ड्रग कंट्रोलर शामिल होंगे।
बता दें कि वर्ष 2020 में स्वास्थ्य मंत्रालय ने दवा श्रेणी के तहत मेडिकल डिवाइस खरीदे थे, ताकि इन उपकरणों को रेगुलर किया जा सके। फार्मास्यूटिकल्स उद्योग के विशेषज्ञों के अनुसार समय की मांग नया कानून है। शीर्ष फार्मा कंपनी के लॉबी समूह का प्रतिनिधित्व करने वाले एक अधिकारी ने कहा, पुराना कानून 1940 में बनाया गया था और तब से इसमें कई संशोधन किए गए हैं। यह अब बहुत भ्रामक और अस्पष्ट हो गया है ।
उन्होंने कहा, अगर सरकार अभी प्रक्रिया शुरू कर रही है तो इसमें कम से एक साल का समय लगेगा । नया मसौदा पहले लोकसभा, फिर राज्यसभा और फिर राष्ट्रपति के पास जाएगा। दवा कंपनी का प्रतिनिधित्व करने वाले एक अन्य अधिकारी ने कहा, मौजूदा कानून में कुछ भी नया होने की बात नहीं है। उदाहरण यह दवाओं की ऑनलाइन बिक्री के बारे में बात नहीं करता है, क्योंकि यह स्वतंत्रता पूर्व का कानून है । हमें वर्तमान समय के अनुरूप नए कानून की जरूरत है ।
हालांकि उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि सरकार को पैनल में दूसरे क्षेत्रों के लोगों को भी शामिल करना चाहिए। एसोसिएशन ऑफ इंडियन मेडिकल डिवाइसेज इंडस्ट्री के फोरम को-ऑर्डिनेटर राजीव नाथ ने कहा, अन्य भागीदारों के बिना ऐसी समितियों का गठन हितों के टकराव को प्रोत्साहित करता है क्योंकि इसमें निर्माता, डॉक्टर, बुद्धिजीवी, वैज्ञानिक, उपभोक्ता और मरीज शामिल हैं । संगठन का कोई प्रतिनिधित्व नहीं है।

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