स्वास्थ्य मंत्रालय सख्त, कहा डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा बर्दाश्त नहीं

नई दिल्ली। देश में कोरोना की त्रासदी के बीच डॉक्टरों के साथ मारपीट की भी खबरें सामने आई हैं। इसका इंडियन मेडिकल एसोसिएशन विरोध कर रहा है। अब इन खबरों पर स्वास्थ्य मंत्रालय ने कड़ा रुख अख्तियार किया है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि डॉक्टरों के खिलाफ किसी भी तरह की हिंसा गैर-जमानती अपराध की श्रेणी में आती है। मंत्रालय ने राज्यों को लिखे पत्र में निर्देश दिया है कि डॉक्टरों की सुरक्षा का ध्यान रखा जाए।
इस पत्र में कहा गया है कि केंद्र सरकार एक अध्यादेश लाई थी, जो अब एक अधिनियम बन गया है, जिसके अनुसार डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा एक गैर-जमानती और संज्ञेय अपराध है। मंत्रालय ने कहा है कि सभी राज्यों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि डॉक्टर भयमुक्त वातावरण में लोगों का इलाज कर सकें।
दरअसल, इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के लगभग 3.5 लाख डॉक्टर शुक्रवार को देशव्यापी विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए और अपनी बिरादरी के सदस्यों के खिलाफ हिंसा से निपटने के लिए एक केंद्रीय कानून की मांग की। आईएमए के सदस्यों के अलावा, एसोसिएशन ऑफ फिजिशियन ऑफ इंडिया, द एसोसिएशन ऑफ सर्जन्स ऑफ इंडिया, मेडिकल स्टूडेंट्स नेटवर्क, जूनियर डॉक्टर नेटवर्क जैसे कई संगठनों ने विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया।
डॉक्टरों के खिलाफ हिंसा के खिलाफ केंद्रीय कानून के लिए दबाव बनाने के लिए बिहार और मध्य केरल में डॉक्टरों ने सुबह अपने क्लीनिक बंद कर दिए। इस तरह की हिंसा को रोकने के लिए शाम को आईएमए की प्रत्येक शाखा में एक समन्वय टीम बनाने के लिए सामूहिक संवाद की व्यवस्था की गई है। आईएमए ने एक बयान में कहा, डॉक्टरों और स्वास्थ्य पेशेवरों के खिलाफ बढ़ती हिंसा को देखकर हमें गहरा दुख हुआ है। ऐसा आए दिन हो रहा है। आईएमए हिंसा के खिलाफ कानून बनाने पर जोर देती है।

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