अखिलेश का बड़ा हमला- धन-बल की समर्थक भाजपा पिछड़ों को नहीं देना चाहती हक
- पिछड़ी जातियों की जनगणना नहीं कराने के फैसले को लेकर साधा निशाना
- सपा प्रमुख ने भाजपा को बताया सामाजिक न्याय का विरोधी, बढ़ती महंगाई का भी उठाया सवाल
- जनविरोधी नीतियों से जनता में आक्रोश, विधान सभा चुनाव में भाजपा का जाना तय
4पीएम न्यूज नेटवर्क, लखनऊ। जैसे-जैसे यूपी विधान सभा चुनाव नजदीक आता जा रहा है सपा प्रमुख अखिलेश यादव के भाजपा पर हमले तेज होते जा रहे हैं। अब उन्होंने जाति आधारित जनगणना नहीं कराने के केंद्र के फैसले को लेकर भाजपा को घेरा है। उन्होंने कहा कि धन-बल की समर्थक भाजपा ने ओबीसी की जनगणना को ठुकराकर साबित कर दिया है कि वह पिछड़ों को उनका हक नहीं देना चाहती है। साथ ही उसने यह भी साबित कर दिया है कि वह सामाजिक न्याय की विरोधी है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने ट्वीट किया, भाजपा सरकार ने लंबे समय से चली आ रही ‘ओबीसीÓ समाज की गणना की मांग को ठुकरा कर साबित कर दिया है कि वह ‘अन्य पिछड़ा वर्गÓ को गिनना नहीं चाहती है क्योंकि वह ओबीसी को जनसंख्या के अनुपात में उनका हक नहीं देना चाहती है। धन-बल की समर्थक भाजपा शुरू से ही सामाजिक न्याय की विरोधी है। गौरतलब है कि अखिलेश यादव ने यह हमला केंद्र सरकार के उस हलफनामे को लेकर बोला है जिसमें सुप्रीम कोर्ट में कहा गया है कि जातिगत जनगणना कराना मुश्किल है। इसके अलावा अखिलेश यादव लगातार भाजपा को किसानों, महंगाई, कोरोना और नोटबंदी जैसे तमाम मुद्दों को लेकर घेरते रहे हैं। इससे पहले उन्होंने कहा था कि यूपी सरकार गाय, गंगा और गड्ढे के मामले में फेल हो चुकी है। भाजपा सरकार जाने किस अपराध में जनसाधारण को ज्यादा से ज्यादा तकलीफें देने पर आमादा है। अभी जितनी महंगाई है उससे ही लोगों की कमर टूट गई है। भाजपा की जनविरोधी नीतियों से जनता में आक्रोश है। प्रदेश में अगले साल चुनाव होने वाले हैं, इसमें भाजपा का जाना तय है।
उज्ज्वला योजना पर उठाए सवाल
अखिलेश यादव ने कहा कि गरीब महिलाओं को सशक्त बनाने के नाम पर उज्ज्वला योजना के आंकड़े बढ़ा-चढ़ाकर बताये जाते हैं पर जमीनी हकीकत यह है कि तमाम लाभार्थी जो गरीब और मजदूर हैं दोबारा अपना सिलेंडर रिफिल नहीं करा पाए हैं। घरों में औरतें आज भी रसोई में चूल्हे में रोटी पकाती हैं। देशी चूल्हे ही गांवों में काम आ रहे हैं।
घोषणा पत्र को लेकर भी घेरा
अखिलेश यादव भाजपा पर उसके संकल्प पत्र को लेकर भी हमलावर हैं। उन्होंने कहा कि अपने हर वादे को कूड़े के ढेर में फेंक देने वाली भाजपा ने संकल्प-पत्र (घोषणा-पत्र) में महंगाई और भ्रष्टाचार कम करने की घोषणा जोर-शोर से की थी लेकिन सत्ता में आने के बाद भाजपा ने हर दिन लोगों को महंगाई की आग में जलाया है। अब त्योहार के मौसम में पेट्रोल-डीजल के साथ रसोई गैस के दाम और ज्यादा बढ़ाने की तैयारी चल रही है।
महंत नरेंद्र गिरि की मौत का राज खोलने प्रयागराज पहुंची सीबीआई
- एसआईटी ने टीम को सौंपे दस्तावेज, हरिद्वार के कई प्रॉपर्टी डीलर भी रडार पर
- अपने कमरे में मृत मिले थे महंत, हर एंगल से एजेंसी करेगी जांच
4पीएम न्यूज नेटवर्क, प्रयागराज। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत मामले में आज सीबीआई की टीम प्रयागराज पहुंच गई है। इस मामले की जांच कर रही एसआईटी ने सभी दस्तावेज सीबीआई को सौंप दिए। इस मामले में सीबीआई ने केस भी दर्ज कर लिया है। सीबीआई आज से ही जांच शुरू कर सकती है और सीन रिक्रेट कर सकती है। महंत नरेंद्र गिरि की मौत हत्या थी या आत्महत्या, इस गुत्थी को सुलझाने के लिए सीबीआई ने छह सदस्यीय टीम का गठन किया गया है। सीबीआई विशेष अपराध तृतीय नई दिल्ली के पुलिस अधीक्षक बसील केरकेट्टा ने छह सदस्यीय टीम का गठन महंत की मौत की जांच के लिए किया है। जांच टीम अपर पुलिस अधीक्षक सीबीआई विशेष अपराध तृतीय केएस नेगी के नेतृत्व में विवेचना को आगे बढ़ाएगी। मामले में योगी सरकार ने सीबीआई जांच की सिफारिश की थी। गौरतलब है कि सोमवार को महंत नरेंद्र गिरि मृत पाए गए थे मगर उन्होंने आत्महत्या की थी या हत्या हुई थी, अब तक इस राज से पर्दा नहीं उठ पाया है। वहीं महंत नरेंद्र गिरि के शिष्य आनंद गिरि को हरिद्वार से गिरफ्तार किए जाने के बाद हरिद्वार के कई प्रॉपर्टी डीलर भी रडार पर आ गए हैं। आनंद गिरी ने अखाड़ों की जमीन और प्रॉपर्टी के विवाद के संबंध में जानकारी दी है। नरेंद्र गिरि के कॉल रिकॉर्ड से हरिद्वार के कुछ रियल एस्टेट कारोबारियों से कई बार बात होने का पता चला है। यही कारण है कि जांच एजेंसी की रडार पर अब हरिद्वार के कुछ रियल एस्टेट कारोबारी भी आ गए हैं।
सामने आयीं तीन वसीयतें
प्रयागराज। बाघंबरी गद्दी मठ के उत्तराधिकार को लेकर महंत नरेंद्र गिरि की तीन वसीयतों का पता चला है। पिछले एक दशक के दौरान महंत नरेंद्र गिरि ने अपने उत्तराधिकारी को लेकर तीन वसीयतें बनवाईं। पहली बार बाघंबरी गद्दी मठ के महंत ने 2010 में उत्तराधिकार को लेकर वसीयत की, जिसमें उन्होंने शिष्य बलवीर गिरि को अपना उत्तराधिकारी बनाया। इसके बाद वर्ष 2011 में उन्होंने दूसरी वसीयत तैयार करवाई, जिसमें अपने शिष्य स्वामी आनंद गिरि को उन्होंने अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था। इस बीच आनंद गिरि से बढ़ती दूरियों की वजह से चार जून 2020 को उन्होंने अपनी पूर्व की दोनों वसीयतों को निरस्त कराते हुए तीसरी रजिस्टर्ड वसीयत फिर तैयार कराई, जिसमें बलवीर गिरि को दोबारा बाघंबरी मठ का उत्तराधिकारी घोषित किया गया।