आदेश के 15 दिन बाद भी नहीं हटाई गईं एलडीए परिसर से शराब की बोतलें

  • मुख्यालय परिसर और कमरों में घूमते नजर आए आवारा कुत्ते
  • दोबारा मामले पर पूछा तो कोरोना का हवाला देकर साध ली चुप्पी

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। एलडीए दफ्तर के मुख्य द्वार दो पर कूड़ेदान में पड़ी शराब और बियर की बोतलें एलडीए सचिव के आदेश के 15 दिन बाद भी नहीं हटाई गई। लापरवाही बताती है कि एलडीए के कर्मी अपने अधिकारियों-अफसरों की सुनते ही नहीं है। इस बारे में जिम्मेदारों ने फिर पुराना राग अलापते हुए कहा कि जल्द इन बोतलों को यहां से हटा दिया जाएगा।
जानकारी के अनुसार एलडीए मुख्यालय के मुख्य द्वार दो पर रखी शराब की बोतलें एलडीए सचिव एमपी सिंह के संज्ञान में आने के बाद भी नहीं हटाई गई। परिसर में खाली पड़ी शराब की बोतलों को लेकर 4 पीएम समाचार ने बीते 2 जुलाई को खबर प्रकाशित की थी। इस पर एलडीए सचिव ने मामले में जांच की बात कही थी। बावजूद आज तक बोतलें नहीं हटाई गईं। इस मामले को लेकर दोबारा सचिव से रिपोर्टर मिलने गया तो उन्होंने कोरोना का हवाला देते हुए मिलने से मना कर दिया। वहीं दूसरी तरफ एलडीए दफ्तर के भीतर घूम रहे आवारा कुत्तों से भी कर्मचारी परेशान हैं। कर्मचारियों का कहना है कि इस संबंध में लखनऊ नगर निगम को पत्र लिखा गया, मगर आज तक कोई इन आवारा कुत्तों को पकडऩे नहीं आया। कई कर्मचारियों को आवारा कुत्तों ने काटा भी है।

डीएम व कमिश्नर पहुंचे कंटेनमेंट जोन, और सख्ती बरतने को कहा

  • गाजीपुर व इंदिरानगर सहित कई इलाकों का किया दौरा

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। राजधानी में संक्रमितों की बढ़ती संख्या को रोकने के लिए जिलाधिकारी अभिषेक प्रकाश आज निरीक्षण पर निकले। उनके साथ मंडलायुक्त मुकेश मेश्राम भी थे। दोनों ने गाजीपुर व इंदिरानगर सहित कई इलाकों का दौरा किया। दौरे के दौरान डीएम ने कंटेटमेंट जोन में सख्ती बरतने की हिदायत दी।
एडीएम ईस्ट केपी सिंह, एसीएम विकास कुमार, एसीपी अभय कुमार मिश्रा के नेतृत्व में अफसरों ने शहर के कई क्षेत्रों का जायजा लिया। हजरतगंज में निरीक्षण के दौरान कई दुकानों और प्रतिष्ठानों पर थर्मल स्कैनिंग नहीं मिली। इससे उनका चालान काटा गया। साथ ही मास्क, सेनेटाइजर न मिलने पर कार्रवाई की चेतावनी भी दी।

राजधानी में पीजीआई सबसे प्रदूषित क्षेत्र इंदिरानगर में सबसे कम ध्वनि प्रदूषण

  • दूसरे नंबर पर अलीगंज, तीसरे पर संयुक्त रूप से चिनहट व अमौसी एरिया
  • चिकित्सा विशेषज्ञों का मानना- ध्वनि प्रदूषण से गर्भ में पल रहे बच्चे की हो सकती है मौत

सत्यप्रकाश
लखनऊ। शहर में पीजीआई सबसे प्रदूषित क्षेत्र है। वहीं इंदिरा नगर में सबसे कम ध्वनि प्रदूषण बोर्ड यंत्र में मांपा गया है। हालांकि लॉकडाउन में प्रदूषण का लेवल निचले स्तर पर आ गया था। मगर अनलॉक होते ही शहर में फिर ध्वनि प्रदूषण बढ़ता जा रहा है। अस्पतालों के पास का क्षेत्र साइलेंट जोन घोषित किया जाता है। बावजूद इसके सबसे अधिक शोर वहीं से बोर्ड में दर्ज किया जा रहा है।
चिकित्सा विशेषज्ञों की माने तो ध्वनि प्रदूषण इतना खराब होता है कि गर्भ में पल रहे बच्चे की मौत भी हो सकती है। आम इंसान लगातार ऐसी जगह पर रहने से अपने सुनने की शक्ति तक खो देता है। इंसान की सुनने की अधिकतम क्षमता अस्सी डेसीबल होती है। जबकि शहर में 150 डेसीबल का शोर हो रहा है, इससे आप अंदाजा लगा सकते है। आंकड़ों पर गौर करें तो पीजीआई का प्रदूषण लेवल 105.4 है, जो सबसे ज्यादा है। वहीं दूसरे नंबर पर अलीगंज लेवल 72.5, तीसरे नंबर पर संयुक्त रूप से चिनहट व अमौसी एरिया है। जबकि इंदिरा में प्रदूषण लेवल 45.2 है, जो शहर का सबसे कम प्रदूषण है। बता दें कि पर्यावरण और वन मंत्रालय ने 26 सितंबर 1989 को शोर की रोकथाम के लिए नियम बनाए थे। बावजूद पालन नहीं हो रहा है।

 शोर का स्तर मानकों से अधिक 

लखनऊ की बात करें तो प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड व भारतीय विष विज्ञान अनुसंधान संस्थान की मॉनीटङ्क्षरग रिपोर्ट बताती है कि दिन तो दिन, रात में भी तकरीबन हर जगह शोर सीमा के मुकाबले कहीं अधिक पाया गया है। इंदिरा नगर, चारबाग, आलमबाग व चौक में तो रात में भी शोर है, जो चिंताजनक है। गोमती नगर, अलीगंज, विकास नगर इलाकों में दिन-रात शोर का स्तर मानकों से अधिक पाया गया है। यही नहीं शांत श्रेणी में आने वाले हाईकोर्ट, अस्पताल व स्कूल-कॉलेज के दायरे में भी शोर का स्तर खतरे की सीमा को लांघ चुका है।

रात दस बजे बाद शोर पर लगे लगाम

वर्ष 2000 मे ध्वनि प्रदूषण रेगूलेशन एवं कंट्रोल एक्ट बनाया गया, जिसमें जिला प्रशासन को शोर पर नियंत्रण का जिम्मा सौंपा गया। जबकि सितंबर 2000 में उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने जनहित याचिका पर निर्देश दिया कि रात 10 से सुबह 6 बजे तक शोर की गतिविधियों पर प्रतिबंध रहेगा। 17 फरवरी 2001 को ध्वनि प्रदूषण को रोकने की जिम्मेदारी सीधे डीएम व एसएसपी को सौंपी गई। बावजूद रात में 10 बजे के बाद आदेश को ठेंगा दिखा दिया जाता है।

अपंजीकृत कारखानों को तत्काल पंजीकृत कराएं: सुनील भराला

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। उत्तर प्रदेश दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री व अध्यक्ष पं. सुनील भराला ने अपंजीकृत कारखानों को तत्काल पंजीकरण कराने की बात कही है। इस संबंध में उन्होंने योगी सरकार को पत्र लिखा है।
उन्होंने पत्र में बताया कि गाजियाबाद के मोदीनगर में पटाखा फैक्ट्री में पेंसिल बम बनाने के दौरान आठ लोगों की मौत हो गई थी। यह कारखाना श्रम विभाग में पंजीकृत नहीं था। इसका हमें बहुत खेद है। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों में कारखानों व उद्योगों का पंजीकरण नहीं किया गया। प्रदेश में अवैध रूप से कारखाने संचालित किए जा रहे हैं। इसी के चलते श्रमिक अपनी जान गंवा रहे हैं। उन्होंने बताया कि ऑनलाइन व्यवस्था होने के बावजूद अवैध संचालित होने वाले कारखाने व उद्योग जानबूझकर पंजीकरण नहीं करा रहे हैं। जो प्रदेश के लिए चिंता का विषय है। इन कारखानों में बाल श्रमिकों व अवयस्क लोगों से काम कराया जा रहा है। कारखानों में कोरोना काल में सोशल डिस्टेसिंग के मानकों का पालन नहीं किया जा रहा है। इसलिए आग्रह है कि ऐसे लोगों पर कठोर कार्रवाई की जाए।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button