कांग्रेस के लिए मुसीबत बने उसके ‘अपने’

नई दिल्ली। कांग्रेस में नेताओं के बीच आपसी मनमुटाव की प्रक्रिया बढ़ती जा रही है। एक के बाद एक राज्य और फिर तीसरे राज्य में पार्टी नेताओं के बीच मतभेद की खबरें लगातार सामने आ रही हैं, जो आलाकमान के लिए मुसीबत का सबब बन गई हैं। खासकर चुनावी राज्यों पंजाब और उत्तराखंड के अलावा महाराष्ट्र और झारखंड में भी विरोध के स्वर बढ़ रहे हैं, जबकि पार्टी इन दोनों राज्यों में गठबंधन सरकार का हिस्सा है। राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस नेता सचिन पायलट के बीच तकरार है। पंजाब में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और कांग्रेस नेता नवजोत सिंह सिद्धू के बीच तकरार चल रही है। छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस नेता टीएस सिंह देव के बीच मतभेद है। महाराष्ट्र में विधायक जीशान सिद्दीकी ने राज्य के पार्टी प्रमुख भाई जगताप के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। इसके साथ ही केरल में पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी और वरिष्ठ नेता रमेश चेन्नीथला समेत कई वरिष्ठ नेता आलाकमान से नाराज हैं। इसके अलावा एर्नाकुलम से कांग्रेस सांसद हिबी ईडन खुद राहुल गांधी से नाराज हैं।
राज्य में विधानसभा चुनाव करीब ढाई साल बाद होने हैं। लेकिन सत्तारूढ़ कांग्रेस की मुसीबत अपने ही नेताओं ज्यादा बढ़ती जा रही है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच तकरार बढ़ती जा रही है। सचिन पायलट ने पिछले साल जुलाई में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ करीब एक साल पहले खुलकर बगावत की थी और यह अब तक जारी है। हाईकमान की काफी जद्दोजहद और हस्तक्षेप के बाद उस समय दोनों गुटों में सुलह हो गई थी, लेकिन कहा जा रहा है कि जिन शर्तों पर सुलह की गई, वह अभी तक पूरी नहीं हुई हैं और हाईकमान को याद दिलाने के लिए कि उन्होंने एक बार फिर बगावत कर दी।
पंजाब इस समय कांग्रेस के लिए मुसीबत का जरिया बन गया है। पार्टी में अंदरूनी कलह रुकने का नाम नहीं ले रही है। एक मुद्दा समाप्त होता है, दूसरा शुरू होता है । मल्लिकार्जुन खडग़े और हरीश रावत की पेयरिंग भी मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच दरार खत्म करने का काम नहीं कर पाई है। प्रियंका गांधी खुद सामने आईं, लेकिन मामला अब तक सुलझता नहीं दिख रहा है। सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने नाराज नेताओं से बात भी की है, लेकिन सकारात्मक परिणाम सामने नहीं आए। अब तक यहां की सभी रणनीतियां नाकाम साबित हुई हैं।
युवा विधायक जीशान सिद्दीकी ने खुद प्रदेश में कांग्रेस प्रमुख भाई जगताप के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। हालांकि जीशान इसे पार्टी का अंदरूनी मामला कहते हैं, लेकिन उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी से भाई जगताप की शिकायत की है । जगताप ने अपने शिकायत पत्र में कहा है कि वह सार्वजनिक मंचों पर मेरे खिलाफ बयान न दें। दरअसल, जगताप के साथ जीशान की नाराजगी के दो कारण बताए जा रहे हैं।
उत्तर और पश्चिम भारत से होते हुए कांग्रेस में गुटबाजी का दौर अब दक्षिणी राज्यों में भी मुखर हो गया है। केरल में पार्टी अलग-अलग तरीकों से विवादों का सामना कर रही है। यहां पार्टी के एक धड़े का मानना है कि उसे धीरे-धीरे दरकिनार किया जा रहा है। आलाकमान उनकी अनदेखी कर रहा है और पार्टी में नए चेहरों को जगह दी जा रही है। इसमें कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष ए रामचंद्रन, रमेश चेन्नीथला और पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी खुद भी इसका शिकार हो चुके हैं। इसके अलावा एर्नाकुलम से युवा सांसद हिबी ईडन ने सांसद राहुल गांधी के खिलाफ भी मोर्चा खोल दिया है।
कांग्रेस में कलह यहां पर भी कम नहीं है। झारखंड सरकार से नाराज चल रहे कांग्रेस के चार विधायक इसको लेकर दिल्ली में आलाकमान से मिल चुके हैं, लेकिन उन्हें संतोषजनक जवाब नहीं मिला। पार्टी के चार विधायक इरफान अंसारी, उमाशंकर अकेला, राजेश कच्छप और ममता देवी राज्य सरकार के कुछ फैसलों से नाराज हैं।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और टीएस सिंह देव के बीच विवाद प्रदेश में नया नहीं है। हालांकि अभी शांति है, लेकिन आंतरिक कलह साफ नजर आ रही है। कई मामलों में एक-दूसरे के खिलाफ बयानबाजी या एक-दूसरे के मामलों में दखल देना अक्सर चर्चा का कारण बन जाता है।
प्रदेश में कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं है। यहां अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं, जबकि पार्टी कई गुटों में बंटी हुई लगती है। पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत खेमे के लोग चाहते हैं कि वह प्रदेश अध्यक्ष बने। रावत खुद कई बार पत्र लिखकर और कभी सोशल मीडिया के माध्यम से आलाकमान के फैसलों पर सवाल उठा चुके हैं।

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