कोरोना काल में अवसाद का शिकार होते युवा

sanjay sharma

सवाल यह है कि युवा पीढ़ी अवसाद का शिकार क्यों हो रही है? उसकी चिंताएं क्या हैं? क्या सरकार युवा पीढ़ी को अवसाद से बचाने के लिए कोई पहल करेगी? क्या अवसादग्रस्त युवा देश के विकास को अवरुद्ध नहीं करेंगे? युवाओं के देश भारत में बढ़ते अवसाद को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने क्या कोई रणनीति बनाई है? क्या सरकार के आर्थिक पैकेज राहत देने में सफल हो सके हैं?

कोरोना ने पूरे विश्व को अपनी चपेट में ले लिया है। लाखों लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं। भारत में 31 लाख 67 हजार से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि अब तक 58 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। संक्रमण के साथ इस वायरस ने देश की अर्थव्यवस्था को भी पूरी तरह बेपटरी कर दिया है। लाखों लोग बेरोजगार हो चुके हैं। उनके पास रोजी-रोटी के साधन नहीं बचे हैं। दूसरी ओर युवा पीढ़ी तेजी से अवसाद का शिकार हो रही है। सवाल यह है कि युवा पीढ़ी अवसाद का शिकार क्यों हो रही है? उसकी चिंताएं क्या हैं? क्या सरकार युवा पीढ़ी को अवसाद से बचाने के लिए कोई पहल करेगी? क्या अवसादग्रस्त युवा देश के विकास को अवरुद्ध नहीं करेंगे? युवाओं के देश भारत में बढ़ते अवसाद को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने क्या कोई रणनीति बनाई है? क्या सरकार के आर्थिक पैकेज राहत देने में सफल हो सके हैं?
कोरोना संक्रमण ने देश की पूरी व्यवस्था को छिन्न-भिन्न कर दिया है। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद लाखों लोगों बेरोजगार हो चुके हैं। ऐसे में युवा पीढ़ी न केवल रोजगार को लेकर चिंतित है बल्कि अपनी शिक्षा पूरी नहीं हो पाने के कारण भी परेशान है। भारत में 65 फीसदी युवा है। यह युवा शक्ति ही देश में विकास को रफ्तार दे सकती है लेकिन ये खुद तेजी से अवसाद की चपेट में आ रही है। रोजगार जाने के कारण आत्महत्याओं की घटनाएं भी बढ़ी हैं। यह बेहद गंभीर चिंता का विषय है। ताजा आंकड़ों के मुताबिक लॉकडाउन के दौरान युवाओं में अवसाद की स्थिति बेहद गंभीर थी। 57 फीसदी युवा थकान महसूस कर रहे थे। कई को अनिद्रा की बीमारी हो गई थी। हालांकि अनलॉक के बाद इसमें कुछ परिवर्तन आया है। बावजूद इसके रोजगार के साधनों के खत्म हो जाने के कारण युवा पीढ़ी में अवसाद तेजी से बढ़ रहा है। हालांकि सरकार ने रोजगार के लिए कई घोषणाएं की हैं। आर्थिक पैकेजों का ऐलान किया है बावजूद इसके यह सभी को राहत नहीं दे पा रहा है। इस पैकेज से दिहाड़ी मजदूरों को कुछ राहत जरूर मिली है। इसमें दो राय नहीं कि किसी भी देश की उन्नति युवा पीढ़ी पर ही निर्भर करती है। ऐसे में यदि वे अवसादग्रस्त हो गए तो देश का विकास अवरुद्ध होते देर नहीं लगेगी। ऐसी स्थिति में सरकार को चाहिए कि वह युवा पीढ़ी के लिए कोरोना के कारण उत्पन्न स्थितियों के बीच न केवल रोजगार के साधनों को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करे बल्कि अवसादग्रस्त युवाओं को इससे बाहर लाने के लिए चिकित्सकीय व्यवस्था भी शुरू करे। यदि ऐसा नहीं किया गया तो आने वाले दिनों में स्थितियां विस्फोटक हो जाएंगी और इसे संभालना मुश्किल हो जाएगा।

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