कोरोना का कसता शिकंजा राज्य सरकारें और जनता

sanjay sharma

सवाल यह है कि तमाम कवायदों के बावजूद राज्य सरकारें कोरोना पर नियंत्रण लगाने में नाकाम क्यों साबित हो रही हैं? क्या देश को अनलॉक करने के कारण हालात बेकाबू हो रहे हैं? क्या कोरोना से बचाव के लिए जारी गाइडलाइंस के प्रति लोगों की लापरवाही इसकी बड़ी वजह है? क्या देश सामुदायिक संक्रमण की स्थिति में पहुंच चुका है?

चीन के वुहान से निकले कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया को अपनी चपेट में ले लिया है। भारत में भी इसका शिकंजा तेजी से कसता जा रहा है। भारत में इससे करीब साढ़े पांच लाख से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं और करीब साढ़े सोलह हजार से अधिक मौतें हो चुकी हैं। सवाल यह है कि तमाम कवायदों के बावजूद राज्य सरकारें कोरोना पर नियंत्रण लगाने में नाकाम क्यों साबित हो रही हैं? क्या देश को अनलॉक करने के कारण हालात बेकाबू हो रहे हैं? क्या कोरोना से बचाव के लिए जारी गाइडलाइंस के प्रति लोगों की लापरवाही इसकी बड़ी वजह है? क्या देश सामुदायिक संक्रमण की स्थिति में पहुंच चुका है? क्या बिना लक्षण वाले मरीज संक्रमण को और बढ़ा रहे हैं? क्या बढ़ते कोरोना केस से चिकित्सा व्यवस्था ध्वस्त हो जाएगी? क्या लॉकडाउन का कोई फायदा नहीं मिला?
कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए देश में लंबा लॉकडाउन किया गया था। इस दौरान स्थितियां नियंत्रण में रहीं लेकिन जैसे ही देश अनलॉक हुआ संक्रमण ने अपनी रफ्तार तेज कर दी। आलम यह है कि नए केस मिलने की संख्या रोज रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच रही है। इसकी बड़ी वजह लोगों द्वारा बरती जा रही लापरवाही है। बाजार से लेकर दुकान और ऑफिस से लेकर सडक़ तक सोशल डिस्टेंसिंग की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। चालान काटे जाने के बाद भी तमाम लोग आज भी बिना मास्क सडक़ों पर निकल रहे हैं। इसके अलावा बिना लक्षण वाले लोगों से भी संक्रमण तेजी से फैल रहा है। मरीजों की संख्या बढऩे से राज्य सरकारों की चिकित्सा व्यवस्था पर बोझ बढ़ता जा रहा है। यही नहीं अब तो आए दिन चिकित्सक भी इसकी चपेट में आ रहे हैं। हालांकि देश के कुछ राज्यों को छोड़ स्थितियां काबू में है। सबसे ज्यादा संक्रमण आठ राज्यों महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली, तेलंगाना, गुजरात, उत्तर प्रदेश, आंध्र प्रदेश और पश्चिम बंगाल में है। कोरोना से होने वाली 87 फीसदी मौतें इन्हीं राज्यों में दर्ज हुई हैं जबकि इन राज्यों में 85 फीसदी मरीज मिले हैं। अब तक देश में साढ़े पांच लाख से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं जबकि साढ़े सोलह हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इस सबके बीच राहत की बात यह है कि देश में मरीजों का रिकवरी रेट लगातार बढ़ रहा है। जाहिर है यदि स्थितियों को नियंत्रित करना है तो सरकारों के साथ जनता को सहयोग करना होगा। जब तक कोरोना की दवा नहीं बन जाती है सोशल डिस्टेंसिंग, मास्क और सेनेटाइजर का उपयोग करना होगा। यदि ऐसा नहीं हुआ तो स्थितियों के बेकाबू होते देर नहीं लगेगी। सामुदायिक संक्रमण की स्थिति को संभलना देश की चिकित्सा व्यवस्था के बूते के बाहर होगी।

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