कोरोना की रफ्तार लापरवाही और तंत्र

sanjay sharma

सवाल यह है कि लॉकडाउन के हटते ही कोरोना मीटर तेजी से क्यों बढऩे लगा? क्या कोरोना से बचाव के लिए जारी गाइडलाइंस का पालन नहीं करने के कारण हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं? क्या मरीजों की बढ़ती संख्या का बोझ प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था उठा सकेगी? क्या सरकारी तंत्र की शिथिलता के कारण हालात बेकाबू हो गए हैं?

अनलॉक के साथ ही यूपी में कोरोना की रफ्तार रोज नए रिकॉर्ड बना रही है। पिछले चौबीस घंटे में प्रदेश में रिकॉर्ड 3578 नए केस सामने आए हैं जबकि 31 लोगों ने दम तोड़ दिया है। यहां अब तक 1456 लोगों की मौत कोरोना से हो चुकी है जबकि 70 हजार से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं। कोरोना की बढ़ती गति को देखकर प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग भी सकते में हैं। सवाल यह है कि लॉकडाउन के हटते ही कोरोना मीटर तेजी से क्यों बढऩे लगा? क्या कोरोना से बचाव के लिए जारी गाइडलाइंस का पालन नहीं करने के कारण हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं? क्या मरीजों की बढ़ती संख्या का बोझ प्रदेश की चिकित्सा व्यवस्था उठा सकेगी? क्या सरकारी तंत्र की शिथिलता के कारण हालात बेकाबू हो गए हैं? सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद लोग सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क का प्रयोग करने से क्यों कतरा रहे हैं? क्या उत्तर प्रदेश दिल्ली की राह पर बढ़ चला है? क्या बिना लोगों के सहयोग से प्रदेश में संक्रमण को रोका जा सकेगा? आखिर लोग रोग की गंभीरता को समझने को तैयार क्यों नहीं हैं?
प्रदेश में कोरोना की रफ्तार भी अब अनलॉक हो चुकी है। इसकी सबसे बड़ी वजह लोगों की लापरवाही है। सार्वजनिक स्थलों से लेकर कार्यालयों तक में सोशल डिस्टेंसिग का पालन नहीं किया जा रहा है। बाजारों में कोरोना से बचाव के लिए जरूरी गाइडलाइंस की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। दुकानदार और ग्राहक दोनों ही संक्रमण को लेकर गंभीर नहीं दिख रहे हैं। यही हाल सरकारी और निजी कार्यालयों का है। यहां रोजाना थर्मल स्क्रीनिंग नहीं हो रही है इसके कारण संदिग्धों को चिहिन्त करना मुश्किल हो गया है। यही वजह है कि तमाम कार्यालयों में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। लिहाजा जैसे-जैसे जांचों की संख्या बढ़ रही है बड़ी संख्या में केस सामने आ रहे हैं। हैरानी की बात यह है कि जुर्माना लगने के बाद भी लोग मास्क लगाने से कतरा रहे हैं। इसमें दो राय नहीं कि यदि संक्रमण इसी तेजी से बढ़ा तो अस्पतालों में मरीजों को भर्ती करने के लिए बेड नहीं बचेंगे। पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा जाएंगी और भय का वातावरण छा जाएगा। सरकार यदि इस पर लगाम लगाना चाहती है तो उसे न केवल गाइडलाइंस का सख्ती से पालन कराना सुनिश्चित करना होगा बल्कि महामारी से निपटने के लिए अस्थायी अस्पतालों की व्यवस्था भी बनानी होगी। साथ ही दवा और अन्य उपकरणों का भी बंदोबस्त करना होगा। वहीं जनता को भी महामारी से निपटने में सरकार का साथ देना होगा। खुद को सुरक्षित रखने के लिए गाइडलाइंस का पालन करना होगा।

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