कोरोना, बेरोजगारी और सरकारी तंत्र
sanjay sharma
सवाल यह है कि अर्थव्यवस्था पर यह महामारी कितना और कब तक असर डालेगी? क्या देश में बेरोजगारी की दर अभी और रफ्तार पकड़ेगी? क्या लोगों की क्रय शक्ति में आई कमी का असर बाजार पर नहीं पड़ेगा? क्या सरकार के तमाम प्रयास नाकाफी सिद्ध हो रहे हैं? क्या बढ़ती बेरोजगारी समाज में अपराधों के ग्राफ को बढ़ा देगी?
कोरोना ने पूरी दुनिया में कहर बरपा दिया है। भारत में भी इसका संक्रमण तेजी से बढ़ता जा रहा है। संक्रमण के मामले में यह दुनिया के दूसरे नंबर पर पहुंच चुका है। भारत से आगे अब केवल अमेरिका ही रह गया है। कोरोना ने न केवल लोगों की सेहत पर ग्रहण लगा दिया बल्कि उनके रोजी-रोजगार भी छिन लिए हैं। भारत में लाखों लोग बेरोजगार हो चुके हैं। देश का कोई ऐसा आर्थिक क्षेत्र नहीं बचा है जिस पर कोरोना ने अपना असर न दिखाया हो। सरकार की तमाम कवायदों के बावजूद स्थितियों में सुधार होता नहीं दिख रहा है। सवाल यह है कि अर्थव्यवस्था पर यह महामारी कितना और कब तक असर डालेगी? क्या देश में बेरोजगारी की दर अभी और रफ्तार पकड़ेगी? क्या लोगों की क्रय शक्ति में आई कमी का असर बाजार पर नहीं पड़ेगा? क्या सरकार के तमाम प्रयास नाकाफी सिद्ध हो रहे हैं? क्या बढ़ती बेरोजगारी समाज में अपराधों के ग्राफ को बढ़ा देगी? क्या देश और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को रफ्तार पकडऩे में काफी वक्त लगेगा? क्या बढ़ती बेरोजगारी से निपटने के लिए सरकार के पास कोई खास योजना है?
कोरोना ने देश की आर्थिक गतिविधियों को घुटनों पर ला दिया है। लंबे लॉकडाउन के कारण लाखों लोगों की रोजी-रोटी छिन गई। पर्यटन उद्योग पूरी तरह ठप हो गया। लिहाजा इससे जुड़े करीब 12 करोड़ लोग बेरोजगारी का दंश झेलने को मजबूर हैं। वहीं मैन्युफैक्चरिंग और रियल इस्टेट का कारोबार भी लगभग ठप पड़ा है। लोगों की क्रय शक्ति कम होने के कारण बाजार में मंदी की स्थिति है। अनलॉक के बावजूद कई सेक्टर अभी तक संचालित नहीं हो सके हैं। निजी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों का परिवार भुखमरी की कगार पर खड़ा हैं। हालांकि सरकार ने इससे निपटने के लिए कई पैकेज का ऐलान किया है लेकिन वे नाकाफी है। यही नहीं छोटे रेहड़ी लगाने वालों को दस हजार लोन देने की योजना अभी तक जमीन पर नहीं उतर सकी है। यह दीगर है कि मनरेगा के जरिए मजदूर वर्ग को कुछ राहत मिल सकी है। किसानों की हालत और भी खराब है। उन्हें अपनी फसलों के लिए खाद तक नहीं मिल पा रही है। वहीं लाखों युवा रोजगार की कतार में लगे हुए हैं। जाहिर है स्थितियां काफी विकट हो चुकी हैं और जब तक कोरोना वैक्सीन बाजार में नहीं आ जाती, इसके सुधरने की संभावना बेहद कम है। सरकार को चाहिए कि वह कोरोना काल में न केवल आर्थिक गतिविधियों को संचालित करने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था बनाए बल्कि रोजगार के नए अवसरों का सृजन भी करे। यदि ऐसा नहीं हुआ तो देश में एक नई तरह की सामाजिक -आर्थिक समस्या उत्पन्न हो जाएगी।