जेडीयू में चल रही है अंदरखाने की राजनीति

नई दिल्ली। बिहार में सुशासन बाबू के नाम विख्यात मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी की अंदरूनी राजनीति ने बिहार की राजनीति में हलचल मचा रखी है। यूं भी पिछले कुछ अरसे से बिहार में राजनीतिक उठापटक तेज है ऐसे में नीतीश की पार्टी के दो बड़े नेताओं के बीच चल रही रस्साकसी सभी का ध्यान इस ओर खींच रही है। दरअसल इस जोरआजमाइश के पीछे पार्टी सुशासन बाबू के बाद नंबर दो की सीट हासिल करने की मुहिम है। जिसमें दो बड़े चेहरे खुलकर मैदान में आ गए हैं लेकिन एक चेहरा ऐसा भी है जो बहुत-बहुत धीरे-धीरे मगर संभलकर अपने लक्ष्य की ओर बढ़ रहा है। देखना दिलचस्प होगा कि आने वाले वक्त में यह कवायद क्या मोड़ लेती है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद ललन सिंह पटना पहुंचे और उसके बाद जिस तरह से उनका भव्य स्वागत हुआ, उसके कई अर्थ निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक गलियारों में पल पल की हो रही हलचल पर नजजर रखने वाले अब 16 अगस्त की तारीख पर नजरें गढ़ाये बैठे हैं, जब जदयू कोटे से केंद्र में मंत्री बने आरसीपी सिंह पटना पहुंचेंगे। बताया जा रहा है कि आरसीपी के स्वागत के लिए भी भव्य तैयारियां की जा रही हैं। इन स्वागतों की खबर को देखते हुए यह चर्चा जोरों पर चल रही है कि जदयू में नीतीश कुमार के बाद नंबर-2 का स्थान किसको मिलेगा? ललन सिंह या आरसीपी को?
एक मीडिया रिपोर्ट में जेडीयू सूत्र के हवाले से बताया गया हैं कि पटना पहुंचने के बाद आरसीपी सिंह एयरपोर्ट से पार्टी कार्यालय जाएंगे। वहां वह जदयू के नेताओं और कार्यकर्ताओं से मुलाकात करेंगे, साथ ही केंद्र में मंत्री बनने के लिए उन्हें धन्यवाद देंगे। लेकिन आरसीपी सिंह के पटना पहुंचने के बाद जदयू किस प्रकार से उनका स्वागत करती है, उस पर नजर रहेगी। क्योंकि ललन सिंह के स्वागत के लिए एकत्र हुए जदयू नेताओं और कार्यकर्ताओं की भीड़ अभूतपूर्व थी। जाहिर है आरसीपी के स्वागत समारोह की तुलना उससे की जा रही है ।
जेडीयू सूत्रों का यह भी कहना है कि इस समय पार्टी के अंदर गुटबाजी घर कर गई है। ललन सिंह और आरसीपी के समर्थक यह दिखाने की कोशिश कर रहे हैं कि पार्टी में नीतीश कुमार के बाद नंबर दो पर कौन है। ललन सिंह के समर्थकों ने स्वागत में भीड़ लाकर अपना काम किया है, अब बारी आरसीपी सिंह के समर्थकों की है। ऐसी स्थिति में जदयू के इन दोनों नेताओं के बीच रस्साकशी होगी, इस पर आश्चर्य नहीं होना चाहिए। हालांकि अभी दोनों नेता एकता दिखाने की कोशिश कर रहे हैं।
इसके साथ ही अब निगाहें जदयू के संगठन के लोगों पर भी होंगी, क्योंकि आज की तारीख में आरसीपी के समर्थकों की संख्या पार्टी में ज्यादा बताई जा रही है। चूंकि आरसीपी पिछले कई वर्षों से संगठन के प्रभारी थे। अब जब ललन सिंह ने इस पद पर है तो जाहिर सी बात है कि सबकी निगाहें इस तरफ हैं कि समर्थक किस तरफ झुकाव रखेंगे। ललन सिंह संगठन पर पकड़ बनाए रखने की कोशिश करेंगे, ताकि वह अपने हिसाब से पार्टी चला सकें। इसके साथ ही आरसीपी सिंह भी कोशिश करेंगे कि भले ही वह केंद्र में मंत्री का पद संभाल रहे हों, लेकिन उनके लोग संगठन में मौजूद रहें।
यहां बता दें कि जदयू में नंबर दो की दौड़ में एक और नाम है, जो बिहार के सभी जिलों का दौरा कर बेहद साधारण राजनीति के तहत संगठन के लोगों से मुलाकात कर रहा है। जी हां, आपको यह सही लगा, वह नाम उपेंद्र कुशवाहा का है, जो नीतीश कुमार के लव-कुश समीकरण में फिट बैठते हैं। कुशवाहा वर्तमान में एमएलसी भी हैं और पार्टी के संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष भी हैं। खबर है कि आने वाले समय में वह जदयू के प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर भी बैठ सकते हैं या फिर उन्हें नीतीश के मंत्रिमंडल में जगह मिल सकती है। लेकिन कुशवाहा बार-बार यह कहते नजर आ रहे हैं कि वह जदयू को बिहार की नंबर वन पार्टी बनाना चाहते हैं।
हालांकि जदयू में नंबर दो की दौड़ दिलचस्प मोड़ पर है। पार्टी के सर्व नीतीश कुमार की नजर में नंबर दो कौन होगा, यह उनसे बेहतर कोई नहीं जानता। नीतीश कुमार फिलहाल पार्टी को 2005 में वापस ले जाना चाहते हैं, जब संगठनात्मक और राजनीतिक दोनों स्तर पर यह काफी मजबूत थी। ऐसी स्थिति में चाहे आरसीपी हो या ललन या कुशवाहा, इन नेताओं में से कौन-कौन से नेता पर नीतीश कुमार पर भरोसा करते हैं, यह देखना दिलचस्प होगा।

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