तो भाजपा में आकर फंस गए जितिन प्रसाद!
- संगठन में भी नहीं मिली जगह, मंत्रिमंडल विस्तार भी अटका
- ब्राह्मïणों की नाराजगी दूर करने के लिए भाजपा ने खेला खेल
- भाजपा के सार्वजनिक मंचों पर भी नहीं दिख रहे जितिन
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। कांग्रेस से भाजपा में आए जितिन प्रसाद लगता है सियासी दांव-पेंच में फंस गए हैं। कमल थामने के बाद भी वे हाशिए पर दिख रहे हैं। भाजपा संगठन में भी उन्हें कोई बड़ी जिम्मेदारी नहीं मिली है। उत्तर प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार भी अटका हुआ है। यही नहीं वे भाजपा के सार्वजनिक मंचों पर भी कम ही नजर आ रहे हैं। जितिन प्रसाद के इस तरह हाशिए पर रहने पर सियासी गलियारों में चर्चाएं गर्म हो गयी हैं। कांग्रेसी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद ने जून में भाजपा का दामन थामा था। उस समय जितिन प्रसाद को भाजपा में बड़ी जिम्मेदारी दिए जाने की चर्चाएं काफी गर्म थीं। माना जा रहा था कि भाजपा ब्राह्मïणों की नाराजगी को दूर करने के लिए उन्हें संगठन या मंत्रिमंडल में अहम जिम्मेदारी सौंप सकती है लेकिन अभी तक ऐसा होता नहीं नजर आ रहा है। अभी तक उन्हें संगठन में कोई अहम ओहदा नहीं मिला है जबकि विधान सभा चुनाव करीब आते जा रहे हैं। वहीं दूसरी ओर मंत्रिमंडल विस्तार भी लंबित है। यही नहीं जितिन प्रसाद जिस प्रकार कांग्रेस में सियासी रूप से सक्रिय दिखा करते थे, भाजपा में आने के बाद उनकी सक्रियता भी नहीं दिख रही है। इसकी पुष्टिï इस बात से भी होती है कि भाजपा के सार्वजनिक मंचों और सम्मेलनों में जितिन प्रसाद की उपस्थिति न के बराबर दिखायी पड़ रही है। ऐसे में स्पष्टï है कि भले ही जितिन प्रसाद ने बेहतर सियासी भविष्य की आस में भाजपा का दामन थाम लिया हो लेकिन वे हाशिए पर दिख रहे हैं। सवाल यह है कि भाजपा ने ब्राह्मïणों की नाराजगी को दूर करने के लिए ब्राह्मïण चेहरा जितिन प्रसाद को लिया था, क्या उसका फायदा उसे मिलेगा या जितिन से की गई सौदेबाजी को भाजपा पूरा नहीं करना चाहती है।
भाजपा सबका साथ, सबका विकास पर विश्वास करती है। पार्टी में हर कार्यकर्ता को सम्मान मिलता है। यहां किस को कब मौका मिलेगा यह संगठन व उच्च नेतृत्व तय करता है। जितिन प्रसाद के बारे में शीर्ष नेतृत्व ही निर्णय लेगा।
राकेश त्रिपाठी, प्रवक्ता, भाजपा
भाजपा ने जब स्वामी प्रसाद मौर्य को शामिल किया तो कहा था कि सीएम का चेहरा बनाएंगे। उन्हें मंत्री पद दिया। जितिन प्रसाद को भी शामिल कर लिया मगर अभी तक उनको सम्मान नहीं मिला। जो लोग दूसरी पार्टी छोड़कर गए हैं, भाजपा उनकी राजनीतिक क्षमता कम कर देती है। वे साजिश का शिकार हो रहे हैं।
डॉ. आशुतोष, प्रवक्ता, सपा
जितिन प्रसाद जिन शर्तों के तहत भाजपा में गए थे, आज उनसे ही यह सवाल पूछा जाना चाहिए। आखिर क्या सौदा हुआ था। उन्हें सम्मान क्यों नहीं मिला। जितिन को कांग्रेस में सब कुछ मिला लेकिन भाजपा ने उन्हें किनारे कर रखा है।
द्विजेंद्र त्रिपाठी, प्रवक्ता, कांग्रेस
किसानों के आगे झुकी हरियाणा सरकार, लाठीचार्ज की होगी न्यायिक जांच
- छुट्टी पर भेजे गए लाठीचार्ज का आदेश देने वाले एसडीएम
- प्रशासन और किसानों में सहमति के बाद धरना खत्म करने का ऐलान
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। किसानों पर हुए लाठीचार्ज पर अन्नदाताओं के तेवर देखकर हरियाणा सरकार और प्रशासन बैक फुट पर आ गया है। सरकार 28 अगस्त को बसताड़ा टोल पर किसानों पर हुए लाठीचार्ज और एसडीएम आयुष सिन्हा के खिलाफ सख्त कार्रवाई समेत अन्य मांगों पर अपनी सहमति जता दी है। सरकार घटना की हाईकोर्ट के पूर्व जज से न्यायिक जांच करवाएगी। वहीं तत्कालीन एसडीएम आयुष सिन्हा छुट्टी पर रहेंगे। किसानों ने धरना खत्म कर दिया है। शुक्रवार देर रात तक अफसरों और किसानों की बैठक चली थी। सरकार के निर्देश पर किसानों से बातचीत करने के लिए कृषि विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव (एसीएस) देवेंद्र सिंह करनाल पहुंचे थे जबकि किसानों की ओर से इस बैठक में भाकियू हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी समेत पंद्रह सदस्यीय कमेटी के किसान नेता शामिल थे। बैठक में लाठीचार्ज की बात कर रहे एसडीएम के खिलाफ सख्त कार्रवाई, इस मामले की न्यायिक जांच, मृतक किसान सुशील काजल के आश्रितों को मुआवजा व नौकरी और अन्य गंभीर घायल किसानों को मुआवजा इत्यादि की मांग की गयी। बातचीत के दौरान किसानों की मांगे मान ली गई। दोनों पक्षों ने इसकी जानकारी मीडिया को दी। गुरनाम सिंह चढूनी ने कहा कि मामले की न्यायिक जांच होगी।
मृतक के दो परिजनों को मिलेगी नौकरी
लाठीचार्ज में मृत किसान के परिजनों को भी राहत मिलेगी। हरियाणा सरकार ने मृतक किसान सतीश काजल के दो परिजनों को करनाल में डीसी रेट पर सेंक्शन पोस्ट पर नौकरी देने का ऐलान किया है।