नंदीग्राम के बाद अब दीदी की साख भवानीपुर में भी दांव पर

नई दिल्ली। भवानीपुर उपचुनाव की घोषणा के बाद ममता बनर्जी भले ही उद्धव ठाकरे की तरह एहसान स्वीकार करने को तैयार नहीं हों, लेकिन भविष्य में इस तरह के भेदभाव के लिए मोदी-शाह पर निशाना साधने का मौका गंवा दिया है।
अब ममता बनर्जी भी राहत की सांस ले सकती हैं क्योंकि चुनाव आयोग ने भवानीपुर (भबनीपुर उपचुनाव) समेत तीन सीटों पर उपचुनाव की घोषणा कर दी है। उपचुनाव के लिए मतदान 30 सितंबर को होगा और 3 अक्टूबर को मतगणना के बाद परिणाम आएंगे । चुनाव आयोग के उपचुनाव कराने के फैसले के बाद ममता बनर्जी को मोदी-शाह पर हमला करने का मौका नहीं मिलेगा। यह चुनाव ममता बनर्जी की लड़ाई के कारण हो रहा है, यह भी नगर निकाय चुनाव को लेकर विपक्षी दलों के दबाव का नतीजा है-जैसे जम्मू-कश्मीर में पश्चिम बंगाल को अलग रुख के कारण संघर्ष का सामना करना पड़ रहा था ।
जिस तरह जम्मू-कश्मीर में विधानसभा और राज्य के चुनाव को लेकर विवाद है, उसी तरह पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस ने मांग की थी कि पहले उपचुनाव कराए जाएं, जबकि विपक्षी दल चाहते थे कि सिर्फ निकायों के चुनाव कराए जाएं।
बंगाल के विपक्षी दलों ने मांग की थी कि कोलकाता समेत 106 नगरपालिकाओं और 6 नगर निगमों के पहले चुनाव कराए जाएं जो लगभग एक साल के लिए स्थगित कर दिए गए हैं। ममता बनर्जी ने विपक्ष पर आरोप लगाया है कि हार के डर से कोविड 19 का बहाना बनाकर नगर निगमों के चुनाव स्थगित करने का प्रयास किया जा रहा है।
ममता बनर्जी चुनाव आयोग पर पहले उपचुनाव कराने के लिए दबाव डाल रही थीं और आरोप लगा रही थीं कि केंद्र सरकार उपचुनाव को स्थगित कर पश्चिम बंगाल में संवैधानिक संकट बुलाने की कोशिश कर रही है। चुनाव आयोग में बार-बार अपील करने के बाद आयोग ने कोविड़ की स्थिति के बारे में रिपोर्ट मांगी थी।
राज्यों से मिली रिपोर्ट के आधार पर चुनाव आयोग ने भवानीपुर के अलावा ओडिशा की पिपली सीट पर पश्चिम बंगाल की तीन सीटों जंगीपुर और शमशेरगंज में उपचुनाव कराने की घोषणा की है। आयोग का कहना है कि संबंधित राज्यों के मुख्य सचिवों और मुख्य निर्वाचन अधिकारियों की राय और रिपोर्ट को ध्यान में रखते हुए शेष 31 विधानसभा क्षेत्रों और 3 संसदीय क्षेत्रों में उपचुनाव नहीं कराने का फैसला किया गया है।
भवानीपुर सीट तृणमूल कांग्रेस के विधायक ने केवल ममता बनर्जी के लिए खाली की है, लेकिन मुर्शिदाबाद जिले की जंगीपुर विधानसभा सीट पर कोरोना वायरस के कारण आरएसपी प्रत्याशी प्रदीप नंदी की मौत और मुर्शिदाबाद जिले की शमशेरगंज सीट से ही कांग्रेस प्रत्याशी की मौत के कारण हुई है। रिज़ाउल हक की मौत के कारण चुनाव रद्द कर दिए गए थे ।
वैसे, उपचुनाव होना ममता बनर्जी की कुर्सी बचे रहने की गारंटी नहीं है। नंदीग्राम में भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी से चुनाव हारने वाली ममता बनर्जी को भवानीपुर सीट से उपचुनाव जीतना होगा। ममता बनर्जी के भवानीपुर सीट से मैदान में बनने की संभावना है क्योंकि विधायक शोभनदेव भट्टाचार्य ने सिर्फ यह कहते हुए इस्तीफा दे दिया था कि वह सिर्फ ममता बनर्जी के लिए सीट खाली कर रहे हैं।
हालांकि चुनाव आयोग स्वतंत्र रूप से अपना काम करता है, लेकिन पश्चिम बंगाल में सात चरणों में विधानसभा चुनाव होने के बाद से जिस तरह से ममता बनर्जी केंद्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार पर निशाना साध रही थीं इसलिए अब से कम से कम तृणमूल कांग्रेस के नेता के पास इस मामले में कोई मौका नहीं बचा है और यह भाजपा नेतृत्व का बड़ा संदेश है।
ऐसा भी नहीं है कि इस वजह से ममता बनर्जी और बीजेपी के बीच लड़ाई कम हो जाएगी। टीएमसी छोडऩे के बाद भाजपा विधायकों की घर वापसी जारी है और ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी की तरह पश्चिम बंगाल में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी को भी बंगाल पुलिस ने ईडी और 2018 मामले में क्रमश: तलब किया है ।
शुभेंदु अधिकारी ने भाजपा छोडक़र तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए विधायकों को कानूनी नोटिस भेजने की जानकारी दी है। दरअसल, मुकुल रॉय, तन्मय घोष और बिस्वजीत दास जैसे विधायक टीएमसी में शामिल हो गए हैं, लेकिन उन्होंने विधानसभा से इस्तीफा नहीं दिया है। यहां तक कि भाजपा ने मुकुल राय की सदस्यता खत्म करने के लिए हाईकोर्ट भी गई है।
अगर ममता बनर्जी दिल्ली में रहती हैं तो केंद्र की मोदी सरकार की सेहत पर कोई फर्क नहीं पड़ता, लेकिन विरोध में काफी शोर मचा हुआ है। अगर देखा जाए तो ममता बनर्जी के पांच दिवसीय दिल्ली दौरे में ही शरद पवार और लालू प्रसाद यादव को लेकर राहुल गांधी की सक्रियता बढ़ गई। भले ही ममता बनर्जी को इस तरह की राजनीतिक सक्रियता का कोई खास फायदा न मिले, लेकिन बीजेपी की नजरिये से सिरदर्द बढ़ता जा रहा है।

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