नए आईटी नियम मीडिया का मुंह बंद कराने की कोशिश
- नियमों को लेकर मद्रास हाईकोर्ट ने केन्द्र सरकार को भेजा नोटिस
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क लखनऊ। मद्रास हाईकोर्ट ने नए आईटी नियमों को लेकर डिजिटल न्यूज पब्लिशर्स एसोसिएशन (डीएनपीए) और पत्रकार मुकुंद पद्मनाभन की याचिका पर केन्द्र सरकार को नोटिस जारी किया है। एसोसिएशन ने अपनी याचिका में कहा कि सूचना और प्रसारण मंत्रालय द्वारा नई सूचना तकनीक (मध्यवर्ती दिशा-निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम 2021 के नियम 18 के तहत 15 दिनों के भीतर सूचना प्रस्तुत करने के लिए दबाव डाला जा रहा था और 26 मई से अब तक इसके लिए दो रिमांइडर भी दिए गए हैं। सुनवाई के दौरान डीएनपीए द्वारा मांग की गई कि केन्द्र सरकार की किसी भी प्रकार की कार्रवाई को रोकने के लिए अंतरिम आदेश जारी किया जाए, जिस पर कोर्ट ने कहा कि अभी कोई आदेश नहीं जारी कर सकते क्योंकि अभी तक याचिकाकर्ता के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है। हालांकि कोर्ट ने एसोसिएशन को अंतरिम राहत के लिए अदालत का दरवाजा खटखटाने की अनुमति दी है। हाईकोर्ट ने इस मामले को संगीतकार और लेखक टी एम कृष्णा द्वारा दायर याचिका जो कि नए नियमों को चुनौती देने के लिए दायर की गई है उसके साथ मिला दिया है। कोर्ट ने आदेश दिया है कि याचिका की एक प्रति एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के कार्यालय को भेजी जाए। साथ ही दोनों मंत्रालयों (सूचना एवं प्रसारण और आईटी मंत्रालयों) को एक पखवाड़े के भीतर अपना जवाबी हलफनामा दाखिल करने का समय दिया है। मामले की अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद होगी। यह याचिका द हिंदू और द हिंदू बिजनेस लाइन के पूर्व एडिटर मुकुंद पद्मनाभन और डीएनपीए ने साथ मिलकर दाखिल की है।
क्या हैं डीएनपीए
डीएनपीए के सभी सदस्य पारंपरिक मीडिया घराने हैं, जिनकी मीडिया में मुख्य हिस्सेदारी या तो प्रिंट के क्षेत्र में है या फिर ब्रॉडकास्ट के क्षेत्र में. साल 2018 में बने इस एसोसिएशन के कुल 13 सदस्य हैं जिनमें अमर उजाला, इंडियन एक्सप्रेस, एनडीटीवी, दैनिक जागरण, इंडिया टुडे, हिंदुस्तान टाइम्स, मलयालम मनोरमा, दैनिक भास्कर, इनाडु और टाइम्स आफ इंडिया शामिल हैं।
नए आईटी नियम मीडिया का मुंह बंद कराने की कोशिश है। मद्रास हाईकोर्ट द्वारा केन्द्र सरकार को जारी नोटिस का हम समर्थन करते हैं। प्रेस क्लब ऑफ इंडिया मीडिया की स्वतत्रंता व अभिव्यक्ति की आजादी को कुंद करने की कोशिश का पुरजोर विरोध करता है।
उमाकांत लखेड़ा, अध्यक्ष प्रेस क्लब ऑफ इंडिया
कोरोना से हुई मौतों का सही आंकड़ा छुपाना अपराध
- सरकारी आंकड़े व वास्तविक आंकड़ों में है भारी अंतर
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क लखनऊ। यूपी में कोरोनाकाल के दौरान हुई मौतों के आंकड़ों को जिस तरह छुपाया गया यह काम अपराध की श्रेणी में आता है। सवाल यह है कि यदि सरकार सही आंकड़े वैज्ञानिक, डॉक्टर व रिसर्चर को नहीं देगी तो कोरोना की आने वाली लहर की रोकथाम कैसे की जाएगी? रही बात सरकार के द्वारा झूठ बोलने की तो उन्होंने जनता की आंखों पर पर्दा डालने के साथ-साथ मीडिया को भी झूठ का कारोबार सिखा दिया है। ऐसे में यदि पूर्व सीएम अखिलेश यादव ने आरटीआई के हवाले से कोई बात सामने रखी है तो उस पर बात होनी चाहिए। कुछ ऐसी ही महत्वपूर्ण बातें सामने निकलकर आई वरिष्ठ पत्रकार अशोक बानखेड़े, शरत प्रधान, सिद्धार्थ कलहंस व 4पीएम के संपादक संजय शर्मा के साथ एक परिचर्चा में। परिचर्चा में वरिष्ठ पत्रकार अशोक बानखेड़े ने कहा कि जिस तरह सरकार कोरोना से हुई मौतों को छुपा रही है, यह बेशर्मी भरा काम है और जनता का अपमान है। वहीं वरिष्ठ पत्रकार शरत प्रधान ने कहा कि, आंकड़ों का खेल तो सभी सरकार कर रही हैं। लेकिन यूपी में मौतों का आंकड़ा भारी अंतरों से पटा पड़ा है। साथ ही सरकार की शुरू से ही आदत रही है कि झूठ इतनी शिद्दत से बोलो कि सच लगने लगे। वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस ने चर्चा के दौरान कहा कि यूपी में डेथ ऑडिट के चलते अब कुछ पुरानी मौतों को भी नए आंकड़ों में एडजस्ट किया जा रहा है। साथ ही मीडिया को भी झूठ का कारोबार सिखा दिया है। दूसरी तरफ जनता ने झूठे लोगों को बर्दाश्त करने की एक कला डेवलप कर ली है।
12वीं बोर्ड परीक्षा पर सुप्रीम कोर्ट का आदेश, 31 जुलाई तक हर राज्य घोषित करें रिजल्ट
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने सभी राज्य बोर्डों को 10 दिनों के भीतर 12वीं कक्षा की मूल्यांकन स्कीम जारी करने का निर्देश दिया। शीर्ष अदालत ने कहा कि सभी राज्य बोर्ड सीबीएसई और आईसीएसई की तरह तय समयावधि में 31 जुलाई तक रिजल्ट घोषित करें। जस्टिस एएम खानविलकर और दिनेश माहेश्वरी की पीठ एडवोकेट अनुभा सहाय श्रीवास्तव की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें राज्य बोर्डों की 12वीं की परीक्षा रद्द करने की मांग की गई थी। बता दें कि देश के अधिकांश बोर्डों ने अपनी 12वीं की परीक्षाएं कोरोना के चलते रद्द कर दी हैं।