नौकरी दो सरकार, झूठी कहानी न सुनाओ
- सीएम आवास के पास प्रदर्शनकारियों पर चली लाठियां, टूटे हाथ-पैर
- चार लाख नौकरी किसको दी आखिर नाम-पता क्यों नहीं बता रही सरकार
- हक मांग रहे ओबीसी और एससी वर्ग के शिक्षक अभ्यर्थियों को पुलिस ने घसीटकर भरा बसों में
- आरक्षण में कटौती से परेशान हैं पिछड़े और दलित वर्ग के अभ्यर्थी
- पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट को लागू करने की कर रहे हैं मांग
- दमन नीति पर भड़का विपक्ष, कहा, दलित और पिछड़ों का हक मार रही यूपी सरकार
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। एक ओर प्रदेश की भाजपा सरकार चार लाख लोगों को नौकरी देने का ढिंढोरा पीट रही है तो दूसरी ओर अपना हक मांग रहे शिक्षक भर्ती के दलित और पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थियों पर बर्बरतापूर्वक लाठीचार्ज करा रही है। सरकार की दमन नीति का सिलसिला आज भी जारी रहा। सीएम आवास और भाजपा कार्यालय के बाहर प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों पर जमकर लाठियां बरसाई गईं। उनको घसीटकर बसों में भरा गया। कई प्रदर्शकारियों के हाथ-पैर और रीढ़ की हड्डी टूट गयी। घायलों को अस्पताल पहुंचाया गया है। प्रदर्शनकारी शिक्षक भर्ती के आरक्षण कोटे में की गई कटौती को खत्म कर पिछड़ा वर्ग आयोग की रिपोर्ट लागू करने की मांग कर रहे थे। सरकार की इस दमन नीति से नाराज विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा है कि सरकार दलितों और पिछड़ों का हक मार रही है। भले ही भाजपा सरकार लोगों को नौकरी देने के दावे कर रही हो लेकिन हकीकत इसके उलट है। 69 हजार सहायक शिक्षक भर्ती मामले ने इसकी पोल खोल दी है। भर्ती में आरक्षण पर कटौती से दलित और पिछड़े वर्ग के अभ्यर्थी परेशान हैं और लगातार धरना-प्रदर्शन कर रहे हैं। ओबीसी तथा एससी वर्ग के अभ्यर्थियों ने आज सीएम आवास और भाजपा कार्यालय का घेराव किया। वे सड़क पर बैठ गए और सरकार से न्याय की मांग कर रहे थे लेकिन पुलिस ने उन पर लाठीचार्ज कर दिया। इसमें एक महिला अभ्यर्थी का हाथ टूट गया जबकि कई अभ्यर्थी बेहोश हो गए। कल भी इन अभ्यर्थियों ने एससीआईआरटी कार्यालय पर प्रदर्शन किया था लेकिन वहां भी इन पर लाठीचार्ज किया गया था। इसमें भी कई अभ्यर्थी घायल हो गए थे। यही नहीं बेसिक शिक्षा मंत्री के आवास के सामने प्रदर्शन के दौरान भी इन अभ्यर्थियों से पुलिस इंस्पेक्टर ने गाली-गलौज की थी और मुकदमा लादने की धमकी दी थी। दूसरी ओर विपक्ष भी शांतिपूर्वक प्रदर्शन कर रहे अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज से भड़क गया है। विपक्ष ने कहा है कि रोजगार दे पाने में विफल भाजपा सरकार अब दमननीति पर उतारू हो गयी है। यही नहीं अगर सरकार ने चार लाख लोगों को नौकरी दी है तो सरकार उनके नाम-पते क्यों नहीं सार्वजनिक कर रही है।
आरक्षण में कटौती से आक्रोश
शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों का कहना है कि भर्ती के दौरान आरक्षण के मानकों को पूरा नहीं किया गया। ओबीसी वर्ग को दिए गए 27 फीसदी आरक्षण की जगह मात्र 3.86 फीसदी और एससी वर्ग को दिए गए 21 फीसदी आरक्षण की जगह मात्र 16.6 फीसदी आरक्षण दिया गया। अभ्यर्थी राष्टï्रीय पिछड़ा वर्ग के अंतरिम रिपोर्ट को लागू करने की भी मांग कर रहे हैं।
योगी सरकार जातीय विद्धेष की भावना से काम कर रही है। पिछड़े और वंचित वर्ग के युवाओं का हक मारा जा रहा है। उन पर लाठियां बरसाई जा रही हैं। शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों के साथ अन्याय किया जा रहा है। सपा इसका विरोध करती है और उनके हक की लड़ाई लड़ती रहेगी। सपा सरकार बनने पर इनको न्याय दिया जाएगा।
उदयवीर सिंह, एमएलसी, सपा
भाजपा सरकार बड़बोली है। धरातल पर कोई काम नहीं दिख रहा है। प्रदेश के युवा भटक रहे हैं लेकिन उनको रोजगार नहीं मिल रहा है। शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थी जब विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं तो उनका दमन किया जा रहा है। सरकार की शह पर पुलिस युवाओं के साथ अमानवीय व्यवहार कर रही है। ये युवा भाजपा को सबक सिखाएंगे।
अजय कुमार लल्लू, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस
भाजपा की सरकार बोल बचन सरकार है। युवाओं को न नौकरी मिल रही है न रोजगार। यूपी में शिक्षक भर्ती के अभ्यर्थियों के साथ लगातार अन्याय हो रहा है। सरकार की शह पर पुलिस बेरोजगार अभ्यर्थियों के साथ अपराधियों जैसा व्यवहार कर रही है। यह बहुत ही शर्मनाक है। नौकरी देने के वादे का क्या हुआ?
रितेश कुमार, प्रदेश प्रवक्ता, आम आदमी पार्टी
भाजपा सरकार ने दो करोड़ रोजगार प्रतिवर्ष देने की बात अपने घोषणा पत्र में कहीं थी लेकिन रोजगार देने की बात तो दूर ये सरकार पहले से रोजगार कर रहे लोगों की छंटनी कर रही है। शिक्षक भर्ती अभ्यर्थियों पर यूपी पुलिस का अत्याचार शर्मनाक है। बेरोजगार युवा आने वाले चुनाव में भाजपा को सबक सिखाएंगे। इस सरकार का जाना तय है।
अनुपम मिश्रा, राष्टï्रीय प्रवक्ता, आरएलडी
सहायक शिक्षक भर्ती के धरना देते अभ्यर्थियों के साथ जानवरों जैसा सलूक, कुछ तो शर्म करिए। नौकरी के लिए भूखे प्यासे, जान हथेली पर लिए, पुलिस व सरकार के आगे हाथ जोड़कर गिड़गिड़ा रहे हैं। पुलिस उन्हें जबरदस्ती क्यों हटा रही है? क्या लोकतंत्र में धरना-प्रदर्शन अपराध है?
सूर्य प्रताप सिंह, रिटायर आईएएस