मंत्री के भाई को नौकरी की थाली और बाकी बेरोजगारों को गाली
- सबसे बड़ा सवाल : बतौर सहायक प्रोफेसर अरुण द्विवेदी का कैसे बना गरीबी कोटे का प्रमाण पत्र
- गड़बड़झाले के खुलासे के बाद सरकार में मचा हड़कंप, विपक्ष ने सरकार को लिया निशाने पर
- बेसिक शिक्षा मंत्री को बर्खास्त करने की मांग, युवाओं के हक पर डाका डालने का लगाया आरोप
4पीएम न्यूज नेटवर्क. लखनऊ। प्रदेश सरकार के भ्रष्टïाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति के दावे की एक बार फिर पोल खुल गई है। इस बार मामला सीधे बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी और उनके भाई से जुड़ा है। मंत्री के भाई ने सवर्ण गरीब कोटे से असिस्टेंट प्रोफेसर पर नियुक्ति पा ली है। इस खुलासे के बाद सरकार में हड़कंप मच गया है। सबसे बड़ा सवाल यह है कि पहले से प्रोफेसर होने के बावजूद उनका गरीबी कोटे का प्रमाण पत्र कैसे बना? वहीं विपक्ष ने प्रदेश सरकार पर जमकर निशाना साधा है। विपक्ष ने योगी सरकार से पूछा है कि क्या यही भ्रष्टïाचार के खिलाफ उनकी जीरो टॉलरेंस की नीति है। साथ ही विपक्ष ने बेसिक शिक्षा मंत्री को बर्खास्त करने की मांग की है। एक ओर कोरोना काल में लाखों लोग बेरोजगार हो चुके हैं तो दूसरी ओर बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी पर अपने भाई का सवर्ण गरीबी कोटे से असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति कराने का आरोप लगा है। अरुण द्विवेदी की नियुक्ति प्रक्रिया के साथ इनके ईडब्ल्यूएस यानी सवर्ण गरीबी कोटे के प्रमाण पत्र भी सवाल उठ रहे हैं। शैक्षिक व अवार्ड योग्यता में प्राप्त अंक तालिका में डा. अरुण द्विवेदी दूसरे नंबर पर थे। विशेषज्ञ टीम के समक्ष हुए साक्षात्कार में इन्होंने प्रथम स्थान पर चल रहे अभ्यर्थी को पछाड़ दिया। सबसे बड़ा सवाल यह है कि वनस्थली विद्यापीठ में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्यरत होने के बाद कैसे इनके नाम ईडब्ल्यूएस प्रमाण पत्र जारी हुआ। दरअसल, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय प्रशासन ने मनोविज्ञान संकाय में एसोसिएट प्रोफेसर के दो पदों की नियुक्ति के लिए अभ्यर्थियों से आवेदन मांगा था। एक पद पिछड़ा वर्ग व दूसरा आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लिए आरक्षित था। आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग के लिए बेसिक शिक्षा मंत्री के भाई ने भी आवेदन किया जबकि वह बतौर प्रोफेसर कार्यरत हैं। इस खुलासे के बाद विपक्ष ने प्रदेश सरकार की भ्रष्टïाचार की जीरो टॉलरेंस की नीति पर सवाल उठाए और इसे गरीब सवर्णों के हक पर डाला डालने जैसा करार दिया।
शिक्षक भर्ती से जुड़े युवक से फोन पर बदसलूकी की थी बेसिक शिक्षा मंत्री ने
भले ही बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी अपने भाई की नियुक्ति मामले पर सफाई दे रहे हों लेकिन वे शिक्षक भर्ती से जुड़े पीड़ितों से कैसे बात करते हैं इसका एक ऑडियो भी सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। इसमें एक युवक ने जैसे ही मंत्री जी से अपनी पीड़ा बतायी वे भड़क गए। उन्होंने कहा कि तुम लोगों का दिमाग खराब हो गया है। तुम लोग इतने बदतमीज हो कि यह नहीं सोचते कि कोई आदमी कैसे दिन भर फोन उठा सकता है। कोरोना काल चल रहा है उसमें उन्नहत्तर हजार-उन्नहत्तर हजार रटे हुए हो। बातचीत का यह अंदाज बताता है कि मंत्री जी को जनता की पीड़ा से कोई लेना-देना नहीं है।
किसी को परेशानी है तो जांच कराए : सतीश द्विवेदी
बेसिक शिक्षा मंत्री सतीश द्विवेदी ने कहा कि सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में मेरे भाई का चयन निष्पक्ष रूप से हुआ है। यह महज दुर्भाग्य है कि वह मेरा भाई है। संविधान में सभी को बोलने का हक है और जिन किसी को परेशानी है वह जांच करा सकते हैं। सिद्धार्थ विश्वविद्यालय में मेरे भाई के चयन में मेरा कोई हाथ नहीं है।
यह है आदित्यनाथ जी के मंत्री सतीश द्विवेदी जी का कारनामा। 1621 शिक्षक चुनाव ड्यूटी में मर गये मंत्री जी को नहीं मालूम उन्होंने सिर्फ तीन की मौत बतायी लेकिन अपने सगे भाई को ईडब्ल्यूएस (गरीबी के कोटे ) में नौकरी कैसे देनी है ये मंत्री जी को मालूम है। यह नौकरी के लिये लाठी खा रहे यूपी के युवाओं का घोर अपमान है।
संजय सिंह, सांसद, आप
ये संघी- भाजपाई छद्म राष्ट्रवाद और खोखली नैतिकता की खाल ओढ़ कर जनता और देश को ठगने का काम करते हैं। गरीबों के हकपर कुठाराघात करते हैं। जरा सी भी नैतिकता बची है तो सीएम एक गरीब सवर्ण का हक मारकर अपने भाई की भर्ती कराने वाले शिक्षा मंत्री को बर्खास्त करें।
सुनील सिंह साजन, एमएलसी, सपा
बेसिक शिक्षा मंत्री ने अपने भाई अरुण द्विवेदी की गरीबी कोटे से सिद्धार्थ विश्वविद्यालय, कपिलवस्तु के मनोविज्ञान विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर के पद पर नियुक्ति कराकर बड़ा भ्रष्टाचार किया है। देखना ये है कि क्या मुख्यमंत्री अरुण द्विवेदी की गरीबी का प्रमाण पत्र बनाने वाले और उनकी नियुक्तिकरने वालों के खिलाफ क्या अपनी भ्रष्टाचार की जीरो टॉलरेंस की नीति के तहत कार्रवाई करेंगे?
अजय कुमार लल्लू, प्रदेश अध्यक्ष, कांग्रेस
विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर पद के लिए नियुक्तियां हो रही हैं। मनोविज्ञान संकाय के लिए दो पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया पूरी की गई। अरुण कुमार के शैक्षिक प्रमाणपत्र सही पाए गए हैं। साक्षात्कार की वीडियोग्राफी कराई गई है। पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता बरती गई है। आर्थिक रूप से कमजोर सामान्य वर्ग का प्रमाणपत्र प्रशासन की ओर से जारी होता है अगर इसमें कहीं गड़बड़ी है तो वह दंड के भागी होंगे।
प्रोफेसर सुरेंद्र दुबे, कुलपति, सिद्धार्थ विश्वविद्यालय