महाराष्ट्र सदन घोटाले में छगन भुजबल और उनके भतीजे को कोर्ट ने बरी किया
नई दिल्ली। महाराष्ट्र सदन घोटाले में उद्धव ठाकरे सरकार में मंत्री छगन भुजबल, उनके बेटे और भतीजे को भी बरी कर दिया गया है। महाराष्ट्र सदन घोटाले का मामला मुंबई सत्र न्यायालय में था, जिस पर गुरुवार को फैसला आया है। छगन भुजबल वर्तमान में महाराष्ट्र सरकार में खाद्य और नागरिक आपूर्ति और उपभोक्ता मामलों के मंत्री हैं। छगन भुजबल के साथ उनके बेटे पंकज भुजबल (राकांपा के पूर्व विधायक) और उनके भतीजे समीर भुजबल (राकांपा के पूर्व सांसद) को भी बरी कर दिया गया है. छगन भुजबल राष्ट्रीय कांग्रेस पार्टी के नेता हैं।
भुजबल परिवार को बरी किए जाने का भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो और सामाजिक कार्यकर्ता अंजलि दमानिया ने कड़ा विरोध किया था। एसीबी की ओर से दावा किया गया कि भुजबल और उनके परिवार के खिलाफ उनके पास पर्याप्त सबूत हैं. वहीं भुजबल की ओर से पेश वकीलों ने कहा कि सारे आरोप झूठे हैं और उन पर गलत हिसाब-किताब लगाकर घोटाले का आरोप लगाया गया है. उन्होंने एसीबी की जांच पर भी सवाल उठाए। कोर्ट के आदेश पर अंजलि दमानिया ने कहा कि महाराष्ट्र सदन घोटाला एसीबी द्वारा दर्ज किए गए 7 मामलों में से एक है. वह सत्र न्यायालय के इस आदेश को उच्च न्यायालय में चुनौती देगी।
भुजबल के वकीलों ने कहा कि किसे ठेका दिया जाना है, यह फैसला तत्कालीन सीएम विलासराव देशमुख की अध्यक्षता वाली कैबिनेट इंफ्रास्ट्रक्चर कमेटी (सीआईसी) ने लिया था। इसके साथ ही कई अन्य मंत्री भी सीआईसी में शामिल थे। उन्होंने दावा किया कि डेवलपर के चयन में भुजबल की कोई भूमिका नहीं थी।
महाराष्ट्र सदन मामले में विशेष अदालत द्वारा बरी किए जाने के बाद एनसीपी नेता छगन भुजबल और उनके परिवार के सदस्य जश्न मनाते देखे गए। भुजबल समर्थकों ने मुंबई में ढोल-नगाड़ों के साथ जश्न मनाया।
महाराष्ट्र सदन घोटाले में एनसीपी नेता छगन भुजबल पर 2005-2006 के दौरान बिना टेंडर जारी किए केएस चमनकर एंटरप्राइजेज को ठेका देने का आरोप था।
आरोप था कि बदले में भुजबुल और उसके परिवार को फायदा हुआ। बता दें कि एसीबी की रिपोर्ट के आधार पर प्रवर्तन निदेशालय ने भुजबल के खिलाफ भी मामला दर्ज किया था. उस पर भी सुनवाई लंबित है। भुजबल को ईडी ने मार्च 2016 में गिरफ्तार किया था, फिर 2018 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट ने जमानत दे दी थी।
अदालत से बरी होने पर छगन भुजबल ने कहा कि, वह मामला उच्च न्यायालय या उच्चतम न्यायालय जा सकता है, लेकिन (विशेष) अदालत ने स्वीकार किया है कि मेरे खिलाफ कोई सबूत नहीं है, इसलिए उन्होंने मुझे बरी कर दिया. मेरे पीछे मेरी पार्टी खड़ी थी। पुलिस ने मेरे बेटे पंकज को भी निशाना बनाया। इस बात को लेकर मेरा परिवार परेशान था।