यूपी में फिर लॉकडाउन खतरे का संकेत
sanjay sharma
सवाल यह है कि सरकार को लॉकडाउन की जरूरत क्यों पड़ी? क्या लोगों की लापरवाही के कारण कोरोना का सामुदायिक विस्फोट रोकने के लिए यह फैसला लिया गया? क्या कोरोना संकट से निपटने में आम नागरिकों की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है? क्या तीन दिन का लॉकडाउन पर्याप्त होगा? सरकार की तमाम कवायदों के बावजूद हालात बिगड़ते क्यों जा रहे हैं?
कोरोना काल में उत्तर प्रदेश में एक बार फिर लॉकडाउन कर दिया गया। इस दौरान आवश्यक सेवाओं को छोडक़र अन्य सभी पर पाबंदी रहेगी। रेल से आने-जाने वाले लोगों के लिए बस की व्यवस्था राज्य सरकार करेगी। वहीं ग्रामीण इलाकों में संचालित कारखाने खुले रहेंगे। सवाल यह है कि सरकार को लॉकडाउन की जरूरत क्यों पड़ी? क्या लोगों की लापरवाही के कारण कोरोना का सामुदायिक विस्फोट रोकने के लिए यह फैसला लिया गया? क्या कोरोना संकट से निपटने में आम नागरिकों की कोई जिम्मेदारी नहीं बनती है? क्या तीन दिन का लॉकडाउन पर्याप्त होगा? सरकार की तमाम कवायदों के बावजूद हालात बिगड़ते क्यों जा रहे हैं? क्या आम आदमी बीमारी को लेकर गंभीर नहीं हैं? क्या बिना सख्ती के सुधार की संभावना नहीं है? क्या लोगों को दूसरे के जीवन से खिलवाड़ करने की छूट दी जा सकती है?
अनलॉक होने के बाद से प्रदेश में कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ा है। एक दिन में रिकॉर्ड बारह सौ से अधिक केस सामने आ चुके हैं। हालत यह है कि इस समय प्रदेश में 33 हजार से अधिक लोग संक्रमित हो चुके हैं और इनकी संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। लखनऊ में बच्चों में होने वाले संक्रमण की दर में तेजी से बढ़ोतरी हुई है। स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों के मुताबिक यह चार फीसदी से बढक़र नौ फीसदी तक पहुंच गया है। यह दीगर है कि संक्रमण के समानांतर रिकवरी रेट में भी इजाफा हुआ है। हकीकत यह है कि यह स्थिति लोगों द्वारा बरती जा रही लापरवाही का परिणाम है। प्रदेश के अनलॉक होते ही लोग बाजार और सडक़ों पर निकल आए। शहरों में कोरोना से बचाव के लिए जारी सरकार की गाइडलाइन की धज्जियां उड़ाई गईं। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं किया जा रहा है। तमाम लोग बिना मास्क लगाए घूम रहे हैं। तमाम दुकानदार भी सरकार के आदेश के बावजूद सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहे हैं। इसके कारण कोरोना का संक्रमण तेजी से बढ़ा और देखते-देखते मरीजों का ग्राफ ऊपर चढ़ गया। ऐसी स्थिति में सरकार को लॉकडाउन की घोषणा करनी पड़ी लेकिन तीन दिन का लॉकडाउन कतई पर्याप्त नहीं होगा क्योंकि जैसे ही यह हटेगा लोग फिर अपने पुराने ढर्रे पर आ जाएंगे। हकीकत यह है कि कोरोना का संक्रमण तभी रोका जा सकता है जब जनता भी बीमारी की गंभीरता को समझते हुए सरकार का सहयोग करे। वहीं सरकार को भी गाइडलाइन का पालन न करने वालों के खिलाफ कड़ाई से पेश आना होगा। यदि हालात जल्द नहीं सुधरे तो अस्पतालों में मरीजों को भर्ती करने के लिए जगह नहीं बचेगी। यह स्थिति भयावह होगी।