यूपी विधानसभा में 11 फीसदी ही महिलाओं की भागीदारी
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- कुल 44 विधायकों में सबसे अधिक भाजपा के 37 सदस्य
लखनऊ। घर की चौखट से बाहर आकर महिलाओं ने हिमालय से लेकर अंतरिक्ष का सफर तय कर लिया, लेकिन राजनीति की देहरी लांघने में अभी वह रफ्तार नहीं मिल सकी है। बेशक आबादी में आधी हिस्सेदारी के साथ प्रबंधन और नेतृत्व क्षमता की छाप छोड़ती रही हैं, लेकिन महिलाओं को सत्ता की कुर्सी सौंपने में लगभग सभी दल हिचकते रहे हैं। सदन की मौजूदा तस्वीर इसका प्रमाण है, जहां अभी महिला विधायकों की भागीदारी लगभग 11 फीसदी ही है। कांग्रेस द्वारा 40 फीसदी महिला को विधानसभा चुनाव का टिकट देने के परिणाम क्या होंगे, यह अलग विषय है। फिलहाल, सुस्त पड़ा यह मुद्दा चर्चा में जरूर आ गया। आरोप-प्रत्यारोप और श्रेय की नीरस बहस के इतर यूपी विधानसभा के सदस्यों की सूची हर दल को आईना दिखाती है। महिला सशक्तीकरण के गगनभेदी नारे मंच से दशकों से गूंज रहे हैं, लेकिन राजनीति में बराबर भागीदारी की उनकी मांग इन नारों के खोखले शोरगुल को कभी दबा नहीं सकी। 403 विधानसभा सीटों वाली प्रदेश की विधानसभा में अभी कुल 396 सदस्य हैं। इनमें महिलाएं मात्र 44 हैं। इनमें सर्वाधिक 37 विधायक भाजपा की हैं। याद रहे कि भाजपा के कुल विधायक 304 हैं, जिनमें से महिलाओं की यह भागीदारी है। इसके अलावा कांग्रेस, बसपा और सपा की दो-दो, जबकि अपना दल की एक विधायक हैं। अब उम्मीद यही की जा सकती है कि प्रियंका गांधी वाड्रा की घोषणा यदि राजनीतिक दलों को इस दिशा में प्रतिस्पर्धा के लिए प्रेरित करती है तो जरूर प्रदेश की राजनीति की तस्वीर बदल सकती है और महिला सशक्तीकरण का नया दौर शुरू हो सकता है। बता दें कि उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी 40 प्रतिशत टिकट महिलाओं को देगी। प्रदेश में कांग्रेस की प्रतिज्ञा यात्रा शुरू होने से पहले पार्टी की राष्टï्रीय महासचिव प्रियंका वाड्रा ने अपनी पहली प्रतिज्ञा के तौर पर यह एलान किया। उन्होंने कहा कि यह एक शुरुआत है जो राष्टï्रीय राजनीति और दूसरे राज्यों के लिए मिसाल बनेगी। यह निर्णय उत्तर प्रदेश की हर एक महिला के लिए है जो बदलाव, न्याय और एकता चाहती है। जो चाहती है कि उसका प्रदेश आगे बढ़े। यदि देश को जाति और धर्म की सियासत से निकालकर विकास, समता और भागीदारी की राजनीति की ओर ले जाना है तो महिलाओं को आगे बढ़ना होगा।