रिपोर्ट: राजधानीवासियों के नर्वस सिस्टम को कमजोर कर रहा कोरोना का तनाव
केजीएमयू के सर्वे से हुआ खुलासा, 60 फीसदी लोग कोरोना के डर से गुजर रहे हैं मानसिक तनाव से
नर्वस सिस्टम खराब होने से बढ़ रहीं है डायबिटीज, अस्थमा जैसी समस्याएं
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
लखनऊ। शहरवासियों में कोरोना संक्रमण का खौफ है। लोग दिन-रात इस खतरनाक वायरस पर चर्चा करते रहते हैं कि ये चीन के वुहान से आया पर छूमंतर कब होगा। इसकी रफ्तार पर लगाम कैसे लगेगी। संक्रमितों की संख्या का ग्राफ नीचे कैसे लुढक़ेगा। लोगों के जेहन में कोविड-19 का डर इस कदर घुसा है कि उनका नर्वस सिस्टम प्रभावित हो रहा है। मानसिक रूप से अस्वस्थ लोग बीमार हो रहे हैं। लखनऊवासी इस बीमारी को लेकर तनाव में हैं। बढ़ते संक्रमण से करीब 60 फीसदी लोगों में घबराहट होने के साथ-साथ बेचैनी जैसी समस्याएं बढऩे लगी हैं। ये लखनऊ मेडिकल कॉलेज के एक सर्वे में सामने आया है।
केजीएमयू के मानसिक स्वास्थ्य विभाग के डॉ. आदर्श त्रिपाठी के मुताबिक कोरोना वैश्विक महामारी के चलते लोगों में संक्रमण फैलने का भय बन गया है। इसका सीधा प्रभाव लोगों की मानसिक स्थिति पर पड़ रहा है, जिससे यह उनकी सोच का एक पार्ट बन चुका है और यही तनाव की वजह है। शरीर में कॉर्टिकोस्ट्राइड का स्राव तब ही होता है जब व्यक्ति मानसिक रूप से तनाव की स्थिति में होता है। कॉर्टिकोस्ट्राइड का स्राव कुछ समय तक होने से किसी प्रकार की समस्या नहीं होती लेकिन यदि यह लंबे समय तक बना रहता है तो बड़ी समस्या का रूप ले लेता है। इसका सीधा प्रभाव शरीर में रोगों से लडऩे की ताकत पर पड़ता है।
ये तथ्य आए सामने
राजधानी के किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) के स्वास्थ्य विभाग में शरीर में हार्मोन का स्तर बिगडऩे के संबन्ध में सर्वे किया गया। सर्वे करीब 300 स्वस्थ लोगों पर किया गया जिसमें 20 से 70 वर्ष की आयु के लोग शामिल थे। विशेषज्ञों का कहना है कि तनाव के कारण शरीर में हार्मोन का स्तर बिगड़ता है, जिससे रोग प्रतिरोधक क्षमता प्रभावित होती है। सर्वे में लॉकडाउन से पहले के सामान्य दिन व मौजूदा हालात पर जानकारी मांगी गई। इस सर्वे में 60 फीसदी से अधिक लोगों ने लॉकडाउन में तनाव-उलझन, डर, घबराहट की शिकायत की थी।
बीमारियां लेती हैं जन्म
डर, घबराहट आदि होने से व्यक्ति का नर्वस सिस्टम बिगड़ जाता है जिससे कई समस्याएं जन्म ले लेती हैं। चिकित्सा विज्ञान में इन दिक्कतों को साइकोसोमैटिक डिसॉर्डर कहते हैं। जो नवर्स सिस्टम को प्रभावित करता है। त्वचा, सांस, अस्थमा, पेट खराब होना, डायबिटीज अनियंत्रित होना, दिल, ब्लड प्रेशर समेत दूसरी परेशानियां बढ़ जाती हैं।