रूस की वैक्सीन पर विवाद के निहितार्थ
sanjay sharma
सवाल यह है कि क्या रूस ने तीसरे चरण का ट्रायल किए बिना वैक्सीनेशन का आदेश दे दिया है? क्या ऐसा कर पुतिन अपने नागरिकों की जान को जोखिम में नहीं डाल रहे हैं? इसके साइड इफेक्ट्स को लेकर विरोधाभासी तथ्य सामने क्यों आ रहे हैं? कोरोना की पहली वैक्सीन बनाने की घोषणा और उसे बाजार में आपूर्ति के पीछे पुतिन की मंशा क्या है?
कोरोना वायरस ने पूरी दुनिया में कोहराम मचा रखा है। विश्व में दो करोड़ आठ लाख से अधिक लोग इस वायरस से संक्रमित हो चुके हैं जबकि साढ़े सात लाख से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। इसके कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था चरमरा गई है। लिहाजा इस वायरस को रोकने के लिए दुनिया भर में वैक्सीन की खोज हो रही है। कई देशों में वैक्सीन के तीसरे और अंतिम चरण का ट्रायल किया जा रहा है। इसी बीच रूस ने कोरोना वायरस की पहली वैक्सीन बनाने का दावा किया है। यही नहीं वैक्सीन की पहली डोज रूसी राष्टï्रपति ब्लादिमीर पुतिन की बेटी को दी गई है। बावजूद इसके डब्ल्यूएचओ समेत दुनिया के कई देशों ने इसकी गुणवत्ता पर सवाल उठाए हैं। सवाल यह है कि क्या रूस ने तीसरे चरण का ट्रायल किए बिना वैक्सीनेशन का आदेश दे दिया है? क्या ऐसा कर पुतिन अपने नागरिकों की जान को जोखिम में नहीं डाल रहे हैं? इसके साइड इफेक्ट्स को लेकर विरोधाभासी तथ्य सामने क्यों आ रहे हैं? कोरोना की पहली वैक्सीन बनाने की घोषणा और उसे बाजार में आपूर्ति के पीछे पुतिन की मंशा क्या है? क्या अन्य देश वैक्सीन खरीदेंगे? क्या डब्ल्यूएचओ के मानकों को दरकिनार कर लोगों की जान से खिलवाड़ करना उचित है?
पूरी दुनिया में वैक्सीन बनाने की होड़ लगी है। इसी बीच रूस ने कोरोना की पहली वैक्सीन बनाने का दावा करते हुए अपने नागरिकों पर इसके प्रयोग की अनुमति दे दी है। वैक्सीन का नाम स्पुतनिक वी रखा गया है। रूस के रक्षा मंत्रालय और खुद राष्टï्रपति पुतिन ने इसके पूरी तरह सुरक्षित और कारगर होने का दावा किया है लेकिन डब्ल्यूएचओ समेत दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने इस पर सवाल उठाए हैं। रूस ने ट्रायल के नाम पर केवल 38 वॉलंटियर्स को वैक्सीन की डोज दी। रूस ने तीसरे चरण जिसमें कई हजार लोगों को डोज दी जाती है, को पूरा नहीं किया न इसकी कोई जानकारी साझा की। रूस का दावा है कि हल्के बुखार के अलावा इसका कोई साइड इफेक्ट नहीं है जबकि रूसी दस्तावेज बताते हैं कि वॉलंटियर्स में 144 प्रकार के साइड इफेक्ट दिखाई पड़े। दरअसल, पुतिन इस वैक्सीन के जरिए दुनिया में बढ़त हासिल कर रूस की पुरानी महाशक्ति की गरिमा को लौटाना चाहते हैं। साथ ही वे वैक्सीन को दूसरे देशों को बेचकर देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करना चाहते हैं। कई देशों ने वैक्सीन का आर्डर भी देना शुरू कर दिया है। भारत भी इसमें रूचि ले रहा है। हालांकि तमाम देश रूस में वैक्सीन के परिणामों को देखने के बाद ही अपने यहां इसका प्रयोग करेंगे। बावजूद इसके मानकों को नजरअंदाज कर वैक्सीन का व्यापक स्तर पर प्रयोग करना खतरनाक साबित हो सकता है।