15 अगस्त को सिर्फ भारत की ही जश्न-ए-आजादी नहीं बल्कि इन देशों में भी मनाया जाता है आजादी का उत्सव

नई दिल्ली। इस बार अगस्त को हम अपनी आजादी की एक और वर्षगांठ मनाने की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि हम ही नहीं 15 अगस्त को आजादी का जश्न मनाते हैं बल्कि हमारे कुछ और भी देश हैं 15 अगस्त को ही अपनी आजादी का जश्न मनाते हैं। भारत के साथ स्वतंत्रता का उत्सव मनाने वाले देशों में नॉर्थ कोरिया, साउथ कोरिया, बहरीन, कांगो और लिकटेंस्टीन शामिल हैं। भारत की तरह इन देशों को भी 15 अगस्त को आजादी मिली थी। आइए जानते हैं इनके कुछ इनके बारे में…
नॉर्थ कोरिया और साउथ कोरिया में आजादी का जश्न और इतिहास
दक्षिण कोरिया ने 15 अगस्त सन 1945 को जापान से स्वतंत्रता हासिल की थी। अमेरिकी और तत्कालीन सोवियत संघ की सेनाओं ने कोरिया को जापान के कब्जे से मुक्ति दिलाई थी। कोरिया में कोर-यो राजवंश का राज्य चलता था, जिससे इस देश का नाम कोरिया पड़ा। इस देश की चीन और जापान से ज्यादा नजदीकियां रहीं है। जापानी इसे चोसेन कहते रहे हैं, जिसका शाब्दिक अर्थ है सुबह की भूमि। यह देश कई बार बाहरी हमले झेल चुका है। परिणामस्वरूप, इसने कई शताब्दियों तक राष्ट्रीय एकता की भावना को अपनाना ही बेहतर समझा। इसी कारण इसे विश्व में यति देश कहा गया है। कई शताब्दियों तक इसे चीन का ही राज्य माना जाता था। 1905 में हुए रूस-जापानी युद्ध के बाद यह जापान का क्षेत्र बन गया। इसे 22 अगस्त साल 1910 को जापान का हिस्सा बनाया गया था। जब जापान ने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आत्मसमर्पण किया, साल 1945 में, तब यह देश याल्टा संधि के अनुसार दो भागों में विभाजित हो गया था। उत्तरी भाग पर रूस और दक्षिणी भाग पर अमेरिका का कब्जा था। इसके बाद के घटनाक्रम में अगस्त 1948 में दक्षिणी भाग में कोरिया गणराज्य की स्थापना हुई और सितंबर 1948 में उत्तर कोरिया में कोरियाई लोकतंत्र की स्थापना हुई। सियोल दक्षिण कोरिया की राजधानी थी और उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग बनाया गया था। 1953 की आपसी संधि के अनुसार अक्षांश को विभाजन रेखा मानकर अब इन्हें उत्तर और दक्षिण कोरिया कहा जाता है।
जानिए बहरीन की आजादी की कहानी
15 अगस्त साल 1971 को बहरीन को ब्रिटेन से आजादी मिली थी। लेकिन यह बात भी सत्य है कि ब्रिटिश सेना ने 1960 के दशक से ही बहरीन छोडऩा शुरू कर दिया था। 15 अगस्त को बहरीन और ब्रिटेन के बीच एक संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे, जिसके तहत बहरीन ने ब्रिटेन के साथ अपने संबंधों को एक स्वतंत्र देश के रूप में रखा था। आपको बता दें कि बहरीन 16 दिसंबर को अपना राष्ट्रीय अवकाश मनाता है। इस दिन बहरीन के शासक इस्सा बिन सलमान अल खलीफा को बहरीन की गद्दी मिली थी। दरअसल बहरीन जम्बूद्वीप के अरबखंड क्षेत्र में का एक देश है, जो एक द्वीप पर स्थित है। आकार की बात करें तो यह हमारी दिल्ली से छोटा है। 1971 में बहरीन आजाद हुआ और वहां संवैधानिक राजतंत्र की स्थापना हुई। यहां पर नेशनल असेंबली को 1975 में भंग कर दिया गया था, जिसे अभी तक बहाल नहीं किया गया है। 1990 में कुवैत पर इराक के आक्रमण के बाद बहरीन संयुक्त राष्ट्र का सदस्य बन गया। दरअसल यह अरब जगत का एक हिस्सा है, जिसकी राजधानी मनामा है। स्थानीय भाषा में इसे बहरीन कहते हैं। यह अन्य सभी खाड़ी देशों की तरह शिया-सुन्नी इस्लाम की राजनीति के बीच में खड़ा है। यहां शियाओं की बहुलता और सुन्नी शासन है।
कैसे आजादी मिली कांगो को
वो साल 1960 का था और तारीख 15 अगस्त की थी जब अफ्रीका का यह देश फ्रांस के चंगुल से छूट सका। जिसके बाद यह कांगो गणराज्य बन गया। 1880 से लेकर 1960 तक कांगो पर फ्रांस का कब्जा था। इसे फ्रांसीसी कांगो के नाम से जाना जाता था। उसके बाद साल 1903 में यह मध्य कांगो बन गया। क्षेत्रफल की दृष्टि से कांगो अफ्रीका महाद्वीप का तीसरा सबसे बड़ा देश है। इस देश का कांगो नाम कांगो नदी से लिया गया है, जिसे जायर नदी के नाम से भी जाना जाता है। भले ही कांगो मध्य अफ्रीका में स्थित हो लेकिन यह दक्षिण अफ्रीकी विकास समुदाय (एसएडीसी) नामक एक संगठन के लिए आर्थिक और क्षेत्रीय रूप से दक्षिणी अफ्रीका से जुड़ा हुआ है। यह मध्य अफ्रीकी गणराज्य उत्तर में सूडान, पूर्व में युगांडा, रवांडा और अंगोला और पश्चिम में कांगो गणराज्य से घिरा है। पूर्व में तांगानिका झील इस देश को तंजानिया से अलग करती है। कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य क्षेत्रफल के हिसाब से दुनिया का 11 वां सबसे बड़ा देश है यहां पर फ्रेंच भाषा बोलने वालों की तदाद अधिक है।
लिकटेंस्टाइन
लिकटेंस्टीन ने 15 अगस्त 1866 को जर्मनी से आजादी हासिल की। यह देश 1940 से, 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मना रहा है। वास्तव में, यह पश्चिमी यूरोप में स्थित एक छोटा सा भू-आबद्ध देश है। इसकी सीमा पश्चिम और दक्षिण में स्विट्जरलैंड और पूर्व में ऑस्ट्रिया से लगती है। इस देश की जनसंख्या, जो केवल 160 वर्ग किमी (लगभग 61.7 वर्ग मील) है, लगभग 35,000 है। यहां की राजधानी वदुज है और सबसे बड़ा शहर चान है। लिकटेंस्टीन दुनिया का एकमात्र जर्मन भाषी राज्य है, जो पूरी तरह से आल्प्स पर्वत श्रृंखला पर स्थित है। यह दुनिया का एकमात्र जर्मन भाषी राज्य है जो जर्मनी के साथ सीमा साझा नहीं करता है। यह एक संवैधानिक राजतंत्र है, जो 11 निगमों में विभाजित है। इसके पहाड़ी होने के कारण ऐसा है।

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