2025 मार्गशीर्ष शुक्ल त्रयोदशी: भौम प्रदोष 2 या 3 दिसंबर, जानिए विस्तार से
साल 2025 का मार्गशीर्ष माह (अगहन) धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस माह में भगवान शिव को समर्पित मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत जैसे कई महत्वपूर्ण व्रत आते हैं.

4पीएम न्यूज नेटवर्क: साल 2025 का मार्गशीर्ष माह (अगहन) धार्मिक दृष्टि से बहुत ही महत्वपूर्ण है. इस माह में
भगवान शिव को समर्पित मासिक शिवरात्रि और प्रदोष व्रत जैसे कई महत्वपूर्ण व्रत आते हैं. त्रयोदशी तिथि पर रखा
जाने वाला प्रदोष व्रत भगवान भोलेनाथ की कृपा पाने के लिए सबसे उत्तम माना जाता है.
हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व माना जाता है. यह व्रत भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए रखा जाता है. हर महीने शुक्ल और कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर प्रदोष व्रत रखा जाता है, लेकिन जब यह तिथि मंगलवार के दिन पड़ती है, तो इसे भौम प्रदोष व्रत कहा जाता है. भौम यानी मंगलवार, और इस दिन किया गया शिव-पूजन विशेष फलदायी माना जाता है. 2025 में मार्गशीर्ष महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को लेकर लोगों में यह भ्रम था कि व्रत 2 दिसंबर को रखा जाए या 3 दिसंबर को. आइए जानते हैं.
कब है भौम प्रदोष व्रत? हिंदू पंचांग के अनुसार, मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का समय इस प्रकार है. त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ: 2 दिसंबर 2025 (मंगलवार) को दोपहर 3 बजकर 57 मिनट पर. त्रयोदशी तिथि का समापन: 3 दिसंबर 2025 (बुधवार) को दोपहर 12 बजकर 25 मिनट पर.
प्रदोष व्रत की पूजा हमेशा प्रदोष काल में की जाती है. प्रदोष काल सूर्यास्त के बाद और रात्रि से पहले का समय होता है. चूंकि त्रयोदशी तिथि 2 दिसंबर की शाम को प्रदोष काल में व्याप्त रहेगी, इसलिए भौम प्रदोष व्रत 2 दिसंबर 2025 (मंगलवार) को ही रखा जाएगा.
भौम प्रदोष व्रत की पूजा विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र पहनें. व्रत का संकल्प लें. पूजा के लिए बेलपत्र, धतूरा, आक के फूल, अक्षत, धूप, दीप, गंगाजल, और मिष्ठान तैयार रखें. प्रदोष काल यानी शाम के समय फिर स्नान करें या हाथ-पैर धोकर शुद्ध हो जाएं. एक चौकी पर भगवान शिव, माता पार्वती और गणेश जी की प्रतिमा स्थापित करें.
सबसे पहले शिवलिंग का गंगाजल और कच्चे दूध से अभिषेक करें. शिवलिंग पर बेलपत्र, फूल, भांग, धतूरा आदि अर्पित करें. इसके बाद ‘ॐ नमः शिवाय’ मंत्र का जाप करें. प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें या सुनें. आखिर में भगवान शिव की आरती करें और सभी में प्रसाद वितरित करें.
भौम प्रदोष व्रत का महत्व
जब प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन पड़ता है, तो इसे भौम प्रदोष कहा जाता है. ‘भौम’ शब्द मंगल ग्रह से संबंधित है. मान्यता है कि यह व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने से भक्तों को रोगों से मुक्ति मिलती है और स्वास्थ्य लाभ होता है .यह व्रत विशेष रूप से कर्ज मुक्ति के लिए उत्तम माना जाता है. जिन लोगों की कुंडली में मंगल दोष होता है, उन्हें इस दिन व्रत और पूजा करने से लाभ मिलता है. इस व्रत के प्रभाव से वैवाहिक जीवन में सुख-शांति आती है और धन-धान्य की प्राप्ति होती है.


