सीएम सिद्धारमैया को हाई कोर्ट से झटका, मैसूर जमीन घोटाला केस में चलेगा मुकदमा

नई दिल्ली। कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को हाई कोर्ट से झटका लगा है. मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण मामले में अदालत ने उनकी याचिका खारिज कर दी है. दरअसल,मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण मामले में राज्यपाल थावरचंद गहलोत ने सिद्धारमैया के खिलाफ मुकदमा चलाने को मंजूरी दी थी. राज्यपाल के इस फैसले को सीएम ने हाई कोर्ट में चुनौती दी थी. कर्नाटक हाई कोर्ट की नागप्रसन्ना पीठ ने सीएम सिद्धारमैया की याचिका को खारिज कर दिया. हाई कोर्ट के फैसले पर बीजेपी ने कहा कि सिद्धारमैया के पास इस्तीफा देने के अलावा अब कोई विकल्प नहीं बचा है.
उच्च न्यायालय ने 12 सितंबर को मामले में अपनी सुनवाई पूरी कर ली थी और अपना आदेश सुरक्षित रख लिया था. राज्यपाल ने प्रदीप कुमार एस.पी., टी.जे. अब्राहम और स्नेहमयी कृष्णा की याचिकाओं में उल्लिखित कथित अपराधों के लिए 16 अगस्त को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17ए और भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 की धारा 218 के तहत मुकदमा चलाने की मंजूरी दी थी.
सिद्धरमैया ने 19 अगस्त को राज्यपाल के आदेश की वैधता को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय का रुख किया था. राज्यपाल के आदेश को रद्द करने का अनुरोध करते हुए याचिका में मुख्यमंत्री ने कहा कि मंजूरी आदेश बिना सोचे-समझे जारी किया गया और यह वैधानिक नियमों का उल्लंघन है.
आरोप है कि सिद्धारमैया की पत्नी बीएम पार्वती को मैसूर के एक पॉश इलाके में जमीन आवंटित की गई थी, जिनकी संपत्ति का मूल्य उनकी भूमि के स्थान की तुलना में अधिक था, जिसे रूष्ठ्र द्वारा अधिगृहीत किया गया था. रूष्ठ्र ने पार्वती को उनकी 3.16 एकड़ जमीन के बदले 50:50 अनुपात योजना के तहत भूखंड आवंटित किए थे, जहां मैसूर शहरी विकास प्राधिकरण ने एक आवासीय लेआउट विकसित किया।

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