नरेंद्र मोदी की ध्रुवीकरण की राजनीति को पलीता, एक-एक करके सभी सहयोगी दे रहे झटका

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राजनीतिक गठबंधनों में उथल-पुथल शुरू हो गई है.... जहां एक ओर महाविकास अघाड़ी में सीटों के बंटवारे पर मंथन जारी है....

4पीएम न्यूज नेटवर्कः महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तारीखों के ऐलान के साथ ही राजनीतिक गठबंधनों में उथल-पुथल शुरू हो गई है…. जहां एक ओर महाविकास अघाड़ी में सीटों के बंटवारे पर मंथन जारी है…. तो दूसरी ओर महायुति में भी कई बैठकें हो रही हैं….. इस बीच महायुति को बड़ा झटका लगा है…. जब राष्ट्रीय समाज पार्टी के प्रमुख महादेव जानकर ने महायुति को छोड़ने का ऐलान किया…. और अकेले चुनाव लड़ने का फैसला किया है…. आपको बता दें कि लोकसभा चुनाव के बाद से लगातार मोदी सरकार को एक के बाद एक बड़ा झटका लग रहा है…. महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव का ऐलान होते ही महायुति के सहयोगियों ने साथ छोड़ना शुरू कर दिया है… लोकसभा चुनाव में मनसे प्रमुख राज ठाकरे ने महायुति को बिना शर्त समर्थन दिया था… और लोकसभा चुनाव के बाद मोदी द्वारा राज ठाकरे को किनारे कर दिया… जिसके बाद उन्होंने भी महाराष्ट्र चुनाव अकेले लड़ने का फैसला किया है…. जिससे महायुति में खलबली मची हुई है… बता दें कि विधानसभा चुनाव का ऐलान होते ही… महायुति में भगदड़ मच गई है….

बता दें कि इसबार का महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव बीजेपी के लिए आसान नहीं है…जनता सीएम शिंदे के कार्य से पूरी तरह से वाकिफ है… और उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान जनता के लिए कोई काम नहीं किया है… सिर्फ चुनाव में महिलाओं का वोट लेने के लिए लाडली बहना योजना शुरू कर उनको रेवड़ी देने का काम किया है… जिससे कोई खास फायदा नहीं होने वाला है… वहीं हाल ही में अमित शाह ने एतनाथ शिंदे को लेकर बड़ा बयान दिया है… जिससे यह कयास लगाया जा रहा है… कि विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी अपनी स्वार्थ सिद्धि के बाद शिंदे से किनारा कर लेगी… वहीं इनसबी मामलों को देखते हुए सभी सहयोगी अब महायुति से दूरी बना रहें है… और बीजेपी का साथ छोड़ रहें है… वहीं इस बार के विधानसभा चुनाव में बीजेपी के लिए एक नहीं कई मुसीबतें है… लेकिन हरियाणा चुनाव जीतने के बाद से बीजेपी के हौसलें बुलंद है… जिसको देखते हुए अमित शाह ने अपने सहयोगियों को लेकर बड़ा बयान दिया है….

आपको बता दें कि दो हजार बाइस में शिवसेना को तोड़कर बीजेपी ने समर्थन देकर शिंदे को सीए बना दिया था…. जिसके बाद से सीएम शिंदे बीजेपी के इशारों पर काम कर रहे थे… और शिंदे ने बीजेपी के इशारों पर काम करतेस हुए जनता के लिए कोई काम नहीं किया… राज्य की जनता महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोजगारी समेत तमाम मुद्दों से जूझ रही है… सरकार आम जनता को रोजगार देने में विफल रही है… राज्य में क्राइम का ग्राफ बढ़ गया है… सरकार अपने सहयोगी पूर्व मंत्री की सुरक्षा नहीं कर पाई… और उनकी हत्या कर दी गई… जिसके बाद से शिंदे सरकार की जमकर फजीहत हो गई है… वहीं शिंदे रेवड़ी की मदद से महाराष्ट्र की सत्ता में दोबारा काबिज होना चाहते हैं….लेकिन इस बार शिंदे और मोदी का कोई भी प्रयोग महाराष्ट्र की राजनीति में नहीं चलेगा… क्योंकि जनता मोदी की मानसिकता से भलीभांति परिचित हो चुकी है… और देश से मोदी का खत्म करने का मन बना लिय़ा है… महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इस बार सबसे बड़ा मुद्दा मराठा आरक्षण है… मराठा आरक्षण को लेकर मनोज जरांगे पाटिल ने मोर्चा खोल रखा है… और सरकार को अलटीमेटम भी दे दिया है…. जिससे महायुति की टेंशन और बढ़ गई है….

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की घोषणा के साथ ही बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए (महायुति) गठबंधन से राष्ट्रीय समाज पक्ष ने नाता तोड़ लिया है….. आरएसपी के अध्यक्ष महादेव जानकर ने बुधवार को ऐलान किया है कि उनकी पार्टी अकेले विधानसभा चुनाव लड़ेगी… राज्य की सभी दो सौ अट्ठासी सीटों पर आरएसपी अपना उम्मीदवार उतारेगी….. ऐसे में निगाहें इस बात पर अब लगी है कि आरएसपी के एनडीए से अलग होने का किसे नफा… और किसे नुकसान होगा…. बीजेपी नेतृत्व वाले एनडीए (महायुति) में सीट शेयरिंग का फाइनल फॉर्मूला तय नहीं हो सका है… सीटों को लेकर चल रही खींचतान के बीच आरएसपी ने खुद को अलग कर लिया…. आरएसपी के प्रमुख महादेव जानकर ने खुद ही ऐलान किया है….. महादेव जानकर एनडीए से नाराज चल रहे थे…. क्योंकि उनकी पार्टी के साथ विधानसभा चुनाव में सीट बंटवारे से पहले उनसे कोई बातचीत नहीं की गई थी…. बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी के बीच ही सीट शेयरिंग को लेकर मंथन चल रहा…. ऐसे में उन्होंने खुद को दरकिनार किए जाने के चलते महायुति से अलग होने का फैसला किया है….

वहीं महादेव जानकर ने फैसला किया कि आरएसपी न तो महायुति में शामिल होगी…. और न ही महाविकास अघाड़ी के साथ गठबंधन कर चुनाव लड़ेगी…. ऐसे में साफ है कि आरएसपी के अकेले चुनावी मैदान में उतरेगी… और तीन दर्जन सीटों पर उम्मीदवार उतारकर पहले ही दांव चल दिया था…. आरएसपी के इरादे जाहिर करने के बाद महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी नेतृत्व वाले महायुति… और महाविकास आघाडी दोनों की मुश्किले बढ़ती दिखाई दे रही हैं…. महाराष्ट्र की सियासत में दलित-शोषित और ओबीसी की राजनीतिक लड़ाई लड़ने के लिए महादेव जानकर ने कांशीराम के साथ अपनी राजनीतिक पारी का आगाज किया था…. बहुजन समाज पार्टी में एक कार्यकर्ता के तौर पर जुड़े थे…. लेकिन बाद में उन्होंने बसपा से खुद को अलग कर लिया…. राष्ट्रीय समाज पक्ष का दो हजार तीन में गठन किया….. इसके बाद से लगातार महाराष्ट्र की राजनीति में चुनाव लड़ते रहे हैं…. लेकिन सियासी सफलता बहुत ज्यादा नहीं मिल सकी है….

आपको बता दें कि आरएसपी का सियासी आधार महाराष्ट्र में शरद पवार के सियासी गढ़ माने जाने वाले पश्चिम महाराष्ट्र…. और मराठावाड़ा के इलाके में है. आरएसपी के प्रमुख महादेव जनकर धनगर (गड़रिया) समाज से आते हैं…. महाराष्ट्र में धनगर समाज की आबादी दो हजार ग्यारह की जनगणना के मुताबिक लगभग एक करोड़ है…. जो राज्य की ग्यारह दशमलव दो करोड़ आबादी का नौ फीसदी है….. माना जाता है कि धनगर आबादी का लगभग चालीस फीसदी हिस्सा पूरी तरह से पशुपालन और खेती पर निर्भर है….. धनगर समाज अति पिछड़े वर्ग में आता है…. पश्चिमी महाराष्ट्र, मराठावाड़ा और विदर्भ के इलाके में धनगर समुदाय सियासी तौर पर काफी अहम माने जाते हैं…. राज्य की दो सौ अट्ठासी विधानसभा सीटों में से करीब तीस से पैंतीस सीटों पर चुनाव परिणामों को प्रभावित करने की ताकत रखते हैं…. धनगर समाज से फिलहाल महादेव जानकर और गोपीचंद पडलकर ही दो बड़े नेता हैं…. महाराष्ट्र में शरद पवार के खिलाफ महादेव जानकर चुनाव लड़ चुके हैं… और उनकी पार्टी दो हजार चार से चुनावी किस्मत आजमा रही हैं….

महाराष्ट्र की सियासत में भले ही आरएसपी को कोई खास सफलता न मिल सकी हो…. लेकिन कई राजनीतिक दलों का सीटों पर खेल बिगाड़ने की ताकत रखती है…. आरएसपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष महादेव जानकर ने दो हजार नौ में महाराष्ट्र के माढ़ा सीट पर शरद पवार के खिलाफ चुनाव लड़कर एक लाख वोट पाने में कामयाब रही…. वहीं दो हजार उन्नीस में आरएसपी ने छब्बीस सीटों पर चुनाव लड़ी थी….. एक जीती और पांच सीटों पर तीसरे स्थान पर रही और कुल एक लाख सत्तासी हजार एक सौ छब्बीस वोट प्राप्त किए…. इसके बाद दो हजार चौदह और दो हजार उन्नीस के चुनाव में आरएसपी के एक-एक विधायक जीतने में कामयाब रहे…. महादेव जानकर ने चुनावी तपिश के बीच जिस तरह से एनडीए से सियासी नाता तोड़ है…. उसके चलते बीजेपी, शिवसेना और एनसीपी के लिए कई सीटों पर सियासी गेम बिगड़ सकता है…. दो हजार उन्नीस और दो हजार चौबीस के चुनाव में धनगर समाज का बड़ा वोट बीजेपी नेतृत्व वाले गठबंधन को मिला है…. आरएसपी के साथ होने का फायदा मिला…. लेकिन अब उसके हटने से विधानसभा चुनाव में सियासी समीकरण गड़बड़ा सकते हैं….

आपको बता दें कि दो हजार उन्नीस के विधानसभा चुनाव के बाद बीजेपी…. और आरएसपी के बीच रिश्ता खराब हो गया था…. लेकिन लोकसभा चुनाव दो हजार चौबीस के लोकसभा चुनाव में फिर एक साथ आ गए थे…. आरएसपी अब सीट शेयरिंग में उचित सम्मान न मिलने से फिर से अलग हो गई है…. आरएसपी के अकेले चुनाव लड़ने से मराठावाड़ा… और पश्चिम महाराष्ट्र के इलाके में धनगर समुदाय के वोटों को साधना एक बड़ी चुनौती होगी…. तो कांग्रेस नेतृत्व वाले इंडिया गठबंधन को अपनी राह आसान दिख रही है…. महादेव जानकर को शरद पवार का करीबी माना जाता है…. ऐसे में शरद पवार उन्हें महा विकास अघाड़ी में अगर एंट्री कराने में सफल रहते हैं…. तो महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कई सीटों पर सियासी समीकरण बदल जाएंगे…. इस तरह धनगर समुदाय के वोटों को लेकर जबरदस्त तरीके से शह-मात की लड़ाई देखने को मिलेगी….

वहीं महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के अध्यक्ष राज ठाकरे ने ऐलान किया है कि वो महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में किसी के साथ गठबंधन नहीं करेंगे…. और उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी अकेले चुनाव लड़ेगी….. लोकसभा चुनाव में उन्होंने पीएम नरेंद्र मोदी को बिना शर्त समर्थन दिया था…. और महायुति के नेताओं के लिए प्रचार भी किया था…. वहीं अब उन्होंने विधानसभा में अकेले लड़ने का फैसला लिया है…. बुधवार को मीडिया से बातचीत के दौरान उन्होंने कहा कि वो बाकी दलों से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ेंगे…. और उन्होंने कहा कि हम पूरी ताकत के साथ चुनाव लड़ेंगे…. चुनाव के बाद एमएनएस सरकार में होगी…. एमएनएस सभी राजनीतिक दलों के बीच सबसे अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी….

महाराष्ट्र के ‘फायर ब्रांड’ नेता ने एकनाथ शिंदे की सरकार के उस फैसले का स्वागत किया जिसमें मुंबई के पांच एंट्री प्वाइंट्स पर हल्के वाहनों का टोल नहीं लगेगा…. और उन्होंने कहा कि एमएनएस इसकी कई सालों से वकालत करती आ रही है….. वहीं राज ठाकरे ने साल दो हजार छह में अविभाजित शिवसेना से अलग होकर अपनी अलग पार्टी बनाई थी…. दो हजार चौदह के लोकसभा चुनाव में उन्होंने नरेंद्र मोदी की प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी का खुलकर समर्थन किया था…. हालांकि, बाद के दिनों में वो कड़े आलोचक बन गए…. लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में उन्होंने एक बार फिर से पीएम मोदी का समर्थन किया था….

बता दें कि राज ठाकरे को पिछले विधानसभा चुनाव में कुछ खास सफलता नहीं मिली थी… दो हजार उन्नीस के चुनाव में उन्होंने राज्य की कुल दो सौ अट्ठासी सीटों में से सौ सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे….. और महज एक सीट पर ही पार्टी को जीत मिली थी…. वहीं दो हजार चौदह में भी पार्टी को एक सीट से ही संतोष करना पड़ा था…. आपको बता दें कि महाराष्ट्र में एक ही चरण में बीस नवंबर को सभी विधानसभा सीटों पर वोटिंग होनी है…. और नतीजे तेइस नवंबर को घोषित किए जाएंगे…

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