RSS की स्क्रिप्ट में फंस गए मोदी, उद्धव ठाकरे ने बखिया उधेड़ दी!

प्रधानमंत्री मोदी इस समय अपने सरकारी लाव-लश्कर के साथ महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं....

4पीएम न्यूज नेटवर्कः प्रधानमंत्री मोदी इस समय अपने सरकारी लाव-लश्कर के साथ महाराष्ट्र में चुनाव प्रचार में लगे हुए हैं…. सच तो यह है कि प्रधानमंत्री पद पर बैठे व्यक्ति को चुनाव प्रचार में ज्यादा शामिल नहीं होना चाहिए…. प्रधानमंत्री किसी पार्टी के नहीं होते है…. प्रधानमंत्री पूरे देश की जनता का होता है… और उसको किसी पार्टी की जरूरत नहीं होती है… उसको अपने द्वारा किए गए काम पर इतना भरोसा होता है… कि उसको किसी भी चुनाव में प्रचार करने की जरूरत नहीं होती है…. लेकिन प्रधानमंत्री मोदी ने अपने कार्यकाल के दौरान जनता को सिर्फ मूर्ख बनाने का काम किया है… और अपने कुछ मित्रों को छोड़कर देश की जनता ने कुछ नहीं किया है… जिसके चलते मोदी को खुद छोटे-छोटे चुनावों में प्रचार करने के लिए उतर जाते हैं… और खुद को तानाशाह समझते हैं… बता दें कि विधानसभा, महानगरपालिका, जिला परिषद चुनावों के प्रचार में हाल के वक्त में हमारे प्रधानमंत्री बार-बार दिखाई देते हैं…. इसकी वजह से पंडित नेहरू, लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी, मनमोहन सिंह, नरसिम्हा राव जैसे नेताओं ने प्रधानमंत्री पद की जो गरिमा बढ़ाई थी….. वह काफी नीचे आ गई है…. फिर, ऐसे प्रचार सभाओं में प्रधानमंत्री द्वारा दिए जाने वाले भाषणों को लेकर भी कुछ निर्दिष्ट मानक हैं…. परंपरा है कि प्रधानमंत्री को संयमित होकर बोलना चाहिए…. लेकिन भाजपा के प्रधानमंत्री मोदी ने पद की गरिमा गिरा दी है…. वह राज्य चुनाव में ‘बंटेंगे तो कटेंगे’, ‘एक हैं तो सेफ हैं’, ‘देशद्रोही’ आदि विषय लेकर आए हैं…. ‘कुछ देशद्रोही तत्व अपने स्वार्थ के लिए समाज को बांटने का प्रयास कर रहे हैं….

बता दें कि मोदी ने अपने प्रधानमंत्री पद की गरिमा गिरा दी है… अपने नेताओं के नफरती भाषणों का सपोर्ट करते है… और देश की जनता को झूठा सपना दिखाते हैं… मोदी जी ये दो हजार चौदह का समय नहीं है… जब जनता आपके झांसे में आ जाएगी… ये दो हजार चौबीस का चुनाव है… जनता को क्या फैसला लेना है… उसको सब पता है…. जनता को किससे खतरा है…. और किससे खतरा नहीं है… पिछले लगातार दस सालों से देख रही है…. आपने जो वादा करके दो हजार चौदह का चुनाव लड़ा था… और जो वादे करके जनता के बीच में आए थे… उन वादों में से किसी भी वादे को अगर पूरा किया होता… तो आज मोदी को अपने भाषा का स्तर और अपने पद की गरिमा को नहीं गिराना पड़ता है…. न ही नफरती भाषणों की जरूरत पड़ती… और देश को धर्म के नाम पर, जाति के नाम पर नहीं बांटना पड़ता…. आपको बता दें कि देश में जो भी आए दिन हिंसाए हो रही है… ये सभी मोदी और उनके सहयोगियों की ही देन है…. बता दें कि अपने मंचो से भाषण देते हुए मोदी और उनके सहयोगी नेता महिला सुरक्षा की बात करते हैं… और दावा करते हैं कि कानून व्यवस्था ऐसी है…. कि अब महिलाएं रात को बारह बजे घर से बाहर जा सकती है… लेकिन धरातल पर ऐसा कुछ भी नहीं है..,.. लोगों के अंदर कानून का भय नहीं है…. और आये दिन या रोज दुश्कर्म जैसी घटनाएं हो रही है… सरकार महिला अपराधों पर अंकुश लगा पाने में नाकाम साबित हो रही है….

पीएम मोदी लगातार अपने भाषणों में लगातार तीन तलाक, धारा तीन सौ सत्तर का जिक्र करते है… लेकिन इनका भी जनता पर कोई असर नहीं पड़ रहा है… और रोज तीन तलाक जैसे मामले सामने आ रहें हैं…. मोदी के सभी दावे फेल होते दिखाई दे रहें है… मोदी के दावे सभी दावे हवा हवाई साबित हो रहें है… जिसको जनता बखूबी समझ चुकी है…. और हार की बैखलाहट से मोदी की नींद उ   ड़ी हुई है.,… जिसके चलते अपने पद की गरिमा को ताक पर रखकर नफरती बयानबाजी कर रहें है…. लोगों को उन्हें हराना चाहिए’ ऐसा मोदी ने सार्वजनिक रूप से कहा…. उनके मुख से इस तरह के सुवचन बिखरते देख बड़ा आश्चर्य होता है…. बीच-बीच में वे हिंदू धर्म का शिगूफा छोड़ते हैं….. जल्द ही उनकी प्रचार सभा में ट्रंप, यूक्रेन युद्ध का भी प्रवेश हो जाएगा…. कश्मीर, धारा तीन सौ सत्तर का कांग्रेस ने वैसे इसका विरोध किया….. इस पर प्रधानमंत्री के भाषण चल रहे हैं…. चिमूर की सभा में भीड़ में भगवा रंग देखकर उन्होंने भीड़ का ‘भगवा भीड़’ के तौर पर एलान कर दिया…. भाजपा के कुछ लोगों ने कहा है कि महाराष्ट्र चुनाव एक ‘धार्मिक युद्ध’ है…. और प्रधानमंत्री मोदी भी चुनावी धर्मध्वजा के साथ प्रचार में उतर गए हैं…. महाराष्ट्र में कुछ इस तरह की तस्वीर दिखाई दे रही है….. मोदी मानो होश गंवाकर बोलते हैं… और उनके भक्त तालियां बजाकर लफ्फाजी का हौसला बढ़ाते हैं….

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री ने महाराष्ट्र में भ्रष्टाचार, देशद्रोह आदि का मुद्दा उठाया…. लेकिन मोदी को यह खुलासा क्यों नहीं करना चाहिए कि ये भ्रष्ट और देशद्रोही कौन हैं…. अन्य दलों के सभी भ्रष्टाचारी ईडी, सीबीआई के आरोपी, मनी लॉन्ड्रर भाजपा में शामिल हो गए हैं…. इकबाल मिर्ची, दाऊद इब्राहिम के साथ वित्तीय लेन-देन करने वालों को मोदी और उनकी महान पार्टी ने अपने पंखों तले कर लिया है…. और उन्होंने अपने स्वार्थ के लिए संविधान, कानून, अदालतों को मनमर्जी से तोड़ा….. एक व्यापारी की तरह देश चलाते हुए मोदी ने सारी सार्वजनिक संपत्ति अपने एक ही उद्योगपति मित्र के हवाले कर दी…. क्या ये देशभक्ति की निशानी है…. सत्ताधारी दल और उसके नेताओं को ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का शोर मचाना शोभा नहीं देता…. अगर मोदी यह मानते हुए काम कर रहे हैं कि वे एक ही राज्य और एक ही धर्म के प्रधानमंत्री हैं… तो यह ठीक नहीं है…. और उन्होंने महाराष्ट्र जैसे एक समय के मजबूत राज्य को कमजोर कर दिया…. और कमजोर रीढ़ के लोगों को सत्ता सौंप दी…. यह एक तरह से महाराष्ट्र के साथ विश्वासघात है…. मोदी का ध्यान धार्मिक ध्रुवीकरण के जरिए चुनाव जीतने पर है…. और इसके लिए वह ‘बंटेंगे तो कटेंगे’, ‘एक हैं तो सेफ हैं’ का नारा देते हैं….

वहीं जब प्रधानमंत्री के पद पर बैठा व्यक्ति अपना संयम और होश खो बैठता है तो वह मोदी बन जाता है…. और ऐसे मोदी को पंडित नेहरू, इंदिरा गांधी, नरसिम्हा राव, राजीव गांधी, मनमोहन सिंह के प्रति ईर्ष्या होने लगती है….. मोदी को मनमोहन सिंह के चुनाव प्रचार भाषणों का अध्ययन करना चाहिए…. पंडित नेहरू आदि तो उनकी कल्पना से परे हैं…. जिस तरह से मोदी चुनाव प्रचार में भाषण दे रहे हैं…. उससे यह माना जाने लगा है कि अब खरे लोगों की दुनिया नहीं रही…. अगर समाज को बांटने की भाषा प्रधानमंत्री की ओर से आ रही है…. तो क्या भारत का चुनाव आयोग वहां बैठकर क्या कर रहा है…. महाराष्ट्र और झारखंड के चुनाव में धारा तीन सौ सत्तर का मुद्दा लाने का कोई औचित्य नहीं है…. धारा तीन सौ सत्तर अब उस राज्य का विषय है…. अनुच्छेद तीन सौ सत्तर हटाते समय शिवसेना ने तो संसद में कोई विरोध नहीं किया…. फिर भी मोदी महाराष्ट्र में धारा तीन सौ सत्तर का बुलबुलतरंग बजा रहे हैं

क्योंकि उनके पास विकास संबंधी मुद्दे नहीं हैं… महाराष्ट्र में रोजगार की समस्या पैदा हुई है वह मोदी की नीतियों के चलते…. मोदी ने महाराष्ट्र के कई बड़े उद्योगों को गुजरात ले जाकर महाराष्ट्र के युवाओं के पेट पर लात मारी है…. अनुच्छेद तीन सौ सत्तर, ‘बंटेंगे, कटेंगे’ के बजाय हमारे उद्योग गुजरात क्यों ले गए….. हमारे बच्चों को बेरोजगार क्यों रखा…. इन सवालों का जवाब मोदी को महाराष्ट्र को देना चाहिए…. लेकिन मोदी अलग ही विषयों पर बात कर रहे हैं…. इसे ही छल कपट कहते हैं…. आपको बता दें कि मोदी के पास जनता के बीच में जाने के लिए कोई भी विकास का मुद्दा नहीं है… जिसको चलते मोदी नफरती भाषण दे रहें है…. उत्तर प्रदेश उपचुनाव में सभी नौ विधानसभा सीट पर भारतीय जनता पार्टी को जीत दिलाने के लिए संघ परिवार ने पूरी तरह कमर कस रखी है….. आरएसएस और बीजेपी नेताओं के बीच कल गुरुवार को लखनऊ में हुई समन्वय बैठक में मौजूदा हालात के साथ उपचुनाव को लेकर चर्चा हुई…. हिंदू एकता के मिशन पर चल रहे संघ को बीजेपी की जीत में अपना हित दिख रहा है… इसीलिए आरएसएस उपचुनाव में बीजेपी के फतह की इबारत लिखने में ही नहीं बल्कि जातियों में बिखरे हिंदुओं को एकजुट करने के लिए हिंदुत्व… और राष्ट्रवाद को धार देने का निर्णय लिया गया है….

जानकारी के मुताबिक संघ-बीजेपी की समन्वय बैठक में राष्ट्रवाद… और हिंदुत्व नाम पर हिंदू जातियों को एक करने पर मंथन हुआ…. ‘बटेंगे तो कटेंगे’ और ‘एक रहेंगे तो सेफ रहेंगे’…. नैरेटिव का असर हरियाणा चुनाव में सफल रहा है…. यूपी की उपचुनाव में इन्हीं नारों के साथ सियासी जंग फतह करने और आगे की राजनीतिक दिशा तय करने का फैसला किया गया है…. संघ, योगी सरकार और बीजेपी मिलकर जमीनी स्तर पर अमलीजामा पहनाएंगे…. सोशल मीडिया का भी सहारा लिया जाएगा…. इसके अलावा संघ के कार्यकर्ता भी घर-घर जाकर इस मिशन को धार देंगे… और उपचुनाव वाली सीटों पर वोटर्स को लामबंद करेंगे…. बता दें कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी के खराब प्रदर्शन के बाद पार्टी के लिए ये चुनाव प्रतिष्ठा की लड़ाई बन गई है…. इस उपचुनाव के बहाने बीजेपी अपना दमखम दिखाना चाहती है…. तो संघ की साख दांव पर लगी है…. इसीलिए उपचुनाव के अंतिम दिनों में संघ ने भी संघर्ष वाली सीटों करहल, कुंदरकी, सीसामऊ… और कटेहरी में पूरी ताकत झोकने की रणनीति बनाई है…. संघ के हिंदुत्व के एजेंडे को इन दिनों मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी आगे बढ़ा रहे हैं….

आपको बता दें कि बीजेपी के कार्यक्रमों से दूरी बनाते हुए संघ कार्यकर्ताओं की टोलियां सभी जातियों से संपर्क कर जातियों में बंटे हिंदू समाज को राष्ट्रहित का पाठ पढ़ा रहे हैं…. साथ ही वह समाज के हर वर्ग और जाति के बीच सीएम योगी आदित्यनाथ के बटेंगे तो कटेंगे के नारे का मतलब भी समझा रहे हैं…. प्रत्येक टोली 5-10 लोगों के छोटे ग्रुप के साथ बैठकें कर रहे हैं….. विजय उपाध्याय का कहना है कि संघ की ये टोलियां सीधे तौर पर बीजेपी का समर्थन नहीं करतीं….. बल्कि राष्ट्रहित, हिंदुत्व, सुशासन, विकास, लोक कल्याण और स्थानीय मुद्दों पर गहन चर्चा के माध्यम से लोगों की राय बनाने में लगी हैं…. बता दें कि लोकसभा चुनाव से इतर इस बार बीजेपी के जमीनी प्रचार में संघ भी साथ है…. उपचुनाव में सीएम योगी आदित्यनाथ के अलावा बाकी सभी नेता जमीन पर उतरकर समीकरणों और समाजों को एक करने तथा बंटने नहीं देने की कवायद में जुटे हैं…. संघ के सह सरकार्यवाह अरुण कुमार ने उपचुनाव के मतदान से पांच दिन पहले योगी सरकार…. और बीजेपी नेताओं को साथ बैठक कर फीडबैक लेने के साथ जीत की इबारत लिखने की पठकथा लिख दी है…. क्योंकि कई सीटें जातीय समीकरण के चलते बीजेपी के लिए काफी मुश्किल भरी मानी जा रही है….

 

 

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