सुप्रीम कोर्ट पहुंचा संभल हिंसा का मामला, प्रशासन ने प्रवेश पर लगाया प्रतिबंध, RPF कर्मी तैनात
उत्तर-प्रदेश के संभल जिले में मस्जिद के सर्वे को लेकर विवाद लगातार बढ़ता ही जा रहा है। संभल हिंसा मामले में पुलिस का ताबड़तोड़ एक्शन जारी है...
4PM न्यूज़ नेटवर्क: उत्तर-प्रदेश के संभल जिले में मस्जिद के सर्वे को लेकर विवाद लगातार बढ़ता ही जा रहा है। संभल हिंसा मामले में पुलिस का ताबड़तोड़ एक्शन जारी है। इस दौरान संभल में मस्जिद के सर्वे को लेकर बुधवार (27 नवंबर) को जमीयत उलेमा ए हिंद ने सुप्रीम कोर्ट में आवेदन दाखिल किया है। जमीयत ने कहा है कि 1991 के प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट के रहते धार्मिक स्थलों के सर्वे का आदेश अदालतें दे रही हैं। यह गलत है। जमीयत ने आगे कहा है कि धार्मिक स्थलों के 1947 वाले स्वरूप को बनाए रखने की बात कहने वाले प्लेसेस ऑफ वर्शिप एक्ट को पूरी तरह से लागू होना चाहिए।
जमीयत उलेमा ए हिंद ने SC में दाखिल किया आवेदन
बताया जा रहा है कि संभल में मुगलकालीन जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के दौरान भड़की हिंसा के बाद जनजीवन धीरे-धीरे सामान्य हो रहा है। स्कूल फिर से खुल गए हैं और कई दुकानें फिर से खुल गई हैं। लेकिन संभल तहसील में इंटरनेट सेवाएं बंद हैं। जिला सूचना अधिकारी बृजेश कुमार का कहना है कि जिलाधिकारी के निर्देशानुसार संभल तहसील में बुधवार शाम 4 बजे तक इंटरनेट सेवाएं बंद रहेंगी।
इस बीच हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के सदस्यों ने एकता का आह्वान किया है और सांप्रदायिक सद्भाव के पुनर्निर्माण का संकल्प लिया है। हिंसा के बाद उपजे हालात को देखते हुए पुलिस और प्रशासन के अधिकारी स्थिति पर कड़ी नजर रख रहे हैं। इसके साथ ही प्रमुख चौराहों पर कर्मियों को तैनात किया गया है और संवेदनशील इलाकों में रैपिड एक्शन फोर्स (RPF) के कर्मी तैनात हैं। सूत्रों के मुताबिक प्रशासन ने 30 नवंबर तक बाहरी लोगों और जनप्रतिनिधियों के संभल में प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है।
महत्वपूर्ण बिंदु
- सांसद और स्थानीय विधायक के बेटे पर भी भीड़ को भड़काने का मामला दर्ज किया गया है।
- शांति कमेटी के सदस्य और अखिल भारतीय व्यापार मंडल के नेता हाजी एहतेशाम ने कहा कि यह सब बाहर के लोगों द्वारा किया गया है और जो भी हुआ बहुत गलत हुआ है।