मथुरा शाही मस्जिद कमेटी की सुप्रीम कोर्ट से गुहार, हमें भी पक्षकार बनाया जाए….

नई दिल्ली। मथुरा शाही मस्जिद समिति प्लेसेस ऑफ वर्कशिप एक्ट 1991 को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंचा है. कमेटी ने अदालत से एक्ट को चुनौती देने वाली याचिकाओं में हस्तक्षेप करने की मांग की है. समिति का कहना है कि वह इस मामले में एक आवश्यक पक्ष है क्योंकि निर्णय का इस पर असर पड़ेगा. लिहाजा उसे भी पक्षकार बनाया जाए. सुप्रीम कोर्ट गुरुवार को मामले की सुनवाई करेगा. कुछ दिन पहले ज्ञानवापी मस्जिद कमेटी ने भी इस मसले पर हस्तक्षेप अर्जी दाखिल की थी.
मथुरा में मंदिर-मस्जिद विवाद की जड़ में कुल 13.37 एकड़ जमीन का मुद्दा है. तकरीबन 11 एकड़ जमीन पर श्री कृष्ण मंदिर बना हुआ है, जबकि 2.37 एकड़ जमीन पर शाही ईदगाह मस्जिद बनी हुई है. हिंदू पक्ष शाही ईदगाह मस्जिद की जमीन पर भी अपना दावा करता है.
हिंदू पक्ष का कहना है कि श्रीकृष्ण जन्मस्थली पर बने प्राचीन केशवनाथ मंदिर को तोडक़र शाही ईदगाह मस्जिद को बनवाया गया है. इस मस्जिद को औरंगजेब ने 1669-70 में बनवाया था.
हिंदू पक्ष ने कहा कि औरंगजेब ने 1670 में मंदिर तुड़वाकर अवैध तरीके से कब्जा कर मस्जिद को बनाया था. वहीं इस मामले में मुस्लिम पक्ष का कहना है कि इतिहास में मंदिर तोडक़र मस्जिद बनाने के सबूत नहीं हैं. तथ्यों को तोड़ मरोडक़र पेश किया जा रहा है.
उधर, इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वाराणसी स्थित ज्ञानवापी मस्जिद के वुजूखाने के सर्वे की मांग वाली याचिका पर 17 दिसंबर को सुनवाई होगी. वाराणसी की अदालत में श्रृंगार गौरी पूजा वाद में वादकारियों में से एक राखी सिंह द्वारा दायर पुनरीक्षण याचिका पर सुनवाई न्यायमूर्ति रोहित रंजन अग्रवाल की अदालत कर रही है.
राखी सिंह ने अपनी पुनरीक्षण याचिका में दलील दी है कि न्याय के हित में वुजूखाना क्षेत्र का सर्वेक्षण आवश्यक है क्योंकि इससे अदालत को निर्णय पर पहुंचने में मदद मिलेगी.

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