जस्टिस शेखर कुमार यादव पर ऐक्शन! हाईकोर्ट ने अहम मामलों की सुनवाई से हटाया, सुप्रीम कोर्ट ने मांगी थी रिपोर्ट

नई दिल्ली। देश का कानून बहुसंख्यकों के हिसाब से चलेगा जैसी टिप्पणी और मुस्लिमों को लेकर कठमुल्ला शब्द इस्तेमाल करने पर घिरे इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर कुमार यादव के खिलाफ ऐक्शन की मांग हो रही है। विपक्षी दलों के सांसद उनके खिलाफ महाभियोग प्रस्ताव लाना चाहते हैं। कपिल सिब्बल जैसे सीनियर अधिकवक्ता और राज्यसभा सांसद ने इस मुहिम को आगे बढ़ाया है। इस बीच इलाहाबाद हाई कोर्ट ने जो नया रोस्टर जारी किया है, उसमें उनके कामकाज में भी बदलाव किया है। 16 दिसंबर से लागू होने वाले नए रोस्टर के अनुसार जस्टिस यादव अब निचली अदालत से आने वाले मामलों के खिलाफ अपीलों की ही सुनवाई कर सकेंगे।यही नहीं वह उन्हीं केसों की सुनवाई कर सकेंगे, जो 2010 से पहले अदालत में आए हों। अब तक वह रेप के मामलों में बेल जैसे कई संवेदनशील मामलों की भी सुनवाई कर रहे थे, लेकिन अब अपील वाले केसों पर ही विचार करेंगे। नए रोस्टर को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कुछ कहा नहीं है, लेकिन संवेदनशील मामलों से हटाकर उन्हें अपील वाले केसों की ही सुनवाई का मौका देने से सवाल उठ रहे हैं। रोस्टर में यह बदलाव तब किया गया है, जब सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय से जस्टिस शेखर कुमार यादव के बारे में डिटेल मांगी है।शेखर कुमार यादव के मीडिया में छपे बयानों पर अदालत ने संज्ञान लिया था और इस संबंध में उच्च न्यायालय से जानकारी मांगी गई है। जस्टिस शेखर यादव ने 8 दिसंबर को विश्व हिंदू परिषद की लीगल सेल के आयोजन में विवादित टिप्पणियां की थीं। उन्होंने कहा था कि देश का कानून बहुसंख्यकों के हिसाब से चलना चाहिए। अपने भाषण में उन्होंने ‘कठमुल्ला’ जैसे शब्द का भी इस्तेमाल किया था। उनका कहना था कि देश में जल्दी ही समान नागरिक संहिता भी लागू होने वाली है। उनका कहना था कि देश में समान नागरिक संहिता जरूरी है। मुझे उम्मीद है कि यह जल्दी ही लागू कर दी जाएगी।जस्टिस यादव के खिलाफ कैंपेन फॉर जुडिशियल अकाउंटेबिलिटी ऐंड रिफॉम्र्स ने 10 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट में अर्जी भी दाखिल की थी। वहीं श्रीनगर के सांसद रुहुल्लाह मेहदी ने महाभियोग लाने का भी प्रस्ताव दिया है। उन्होंने ट्वीट करके इसके बारे में जानकारी दी है।

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