आपने क्या किया, वो बताइए.. सब नेहरू की जिम्मेदारी है क्या…?
लोकसभा उपचुनाव में वायनाड से चुनाव जीतकर सांसद बनी प्रियंका गांधी ने पहली बार संसद में भाषण दिया.... और उन्होंने अपनी इस पहली डेब्यू....
4पीएम न्यूज नेटवर्कः लोकसभा उपचुनाव में वायनाड से चुनाव जीतकर सांसद बनी प्रियंका गांधी ने पहली बार संसद में भाषण दिया…. और उन्होंने अपनी इस पहली डेब्यू स्पीच के जरिए ही सरकार पर कई आरोप लगाए है….. इसके साथ ही पीएम मोदी को अडानी मामले में घेरने की कोशिश भी की है…. पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए प्रियंका गांधी ने कहा कि पहले राजा भेष बदल कर आलोचना सुनने जाते थे…. आज पीएम भेष तो बदल रहे हैं…. लेकिन जनता के बीच जाने की हिम्मत नहीं हैं….. आज देश में आज डर का माहौल है…. देश में ऐसा माहौल अंग्रेजों के राज में था…. यही कारण है कि भय फैलाने के लिए केंद्र सरकार आज चर्चा से डर रही है…. प्रियंका गांधी ने कहा कि भारत का संविधान संघ का विधान नहीं है….. ये देश है और एक रहेगा…. आज फर्जी मुकदमें लगाए जा रहे हैं…. विपक्षी नेताओं को जेल में डाला जाता है…. इस सरकार ने किसी को नहीं छोड़ा है….
आपको बता दें कि प्रियंका गांधी ने मणिपुर और संभल मामले पर पीएम मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि…. पीएम मोदी संविधान को माथे पर लगाते हैं….. लेकिन संभल, मणिपुर की हिंसा पर पीएम के माथे पर कोई शिकन नहीं होती है…. देश का संविधान, आरएसएस का विधान नहीं है…. और उन्होंने कहा कि बीजेपी की नीतियां विभाजनकारी हैं….. पहले संसद चलती थी तो जनता की उम्मीद होती थी कि सरकार महंगाई और बेरोजगारी पर चर्चा करेगी….. लोग मानते थे कि नई आर्थिक नीति बनेगी तो अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए बनेगी…. किसान और आदिवासी भाई बहन भरोसा करते थे यदि जमीन के कानून में संशोधन होगा तो उनकी भलाई के लिए होगा…. वहीं प्रियंका गांधी ने कहा कि आज हमारे साथी ज्यादातर अतीत की बात करते हैं….. अतीत में क्या हुआ…. नेहरू जी ने क्या किया…., अरे वर्तमान की बात करिए….. देश को बताइए…. आप क्या कर रहे हैं…. आपकी जिम्मेदारी क्या है…. सारी जिम्मेदारी जवाहरलाल नेहरू की है….
वहीं प्रियंका गांधी कृषि कानूनों को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि कृषि कानून भी उद्योगपतियों के लिए बनाए जा रहे हैं…. वायनाड से लेकर ललितपुर तक इस देश का किसान रो रहा है…. आपदा आती है तो कोई राहत नहीं मिलती. आज इस देश का किसान भगवान भरोसे है…. और उन्होंने कहा कि जितने भी कानून बने हैं, वो बड़े-बड़े उद्योगपतियों के लिए बन रहे हैं…. हिमाचल में सेब के किसान रो रहे हैं…. क्योंकि एक व्यक्ति के लिए सब बदल रहा है…. अडानी जी को सारे कोल्ड स्टोरेज आपकी सरकार ने दिए…. देश देख रहा है कि एक व्यक्ति को बचाने के लिए एक सौ बयालीस करोड़ देश की जनता को नकारा जा रहा है…. वहीं उन्होंने कहा कि आज सारे बिजनेस, सारे संसाधन, सारी दौलत, सारे मौके, एक ही व्यक्ति को सौंपे जा रहे हैं…. इस देश के सारे बंदरगाह, एयरपोर्ट, सड़कें, रेलवे का काम, कारखाने, खदानें, सरकारी कंपनियां सिर्फ एक व्यक्ति को दी जा रही हैं…. आज सरकार सिर्फ अडानी के मुनाफे पर चल रही है…. जो गरीब है वो और गरीब हो रहा है… जो अमीर है, वो और अमीर हो रहा है….
आपको बता दें कि प्रियंका ने कहा कि आप नारी शक्ति की बात करते हैं…. आज चुनाव की वजह से इतनी बात हो रही हैं…. क्योंकि हमारे संविधान ने उनको ये अधिकार दिया…. उनकी शक्ति को वोट परिवर्तित किया…. आज आपको पहचानना पड़ रहा है कि उनके बिना सरकार नहीं बन सकती…. जो आप नारी शक्ति का अधिनियम लाए हैं…. उसे लागू क्यों नहीं करते…. क्या आज की नारी दस साल उसका इंतजार करेगी…. प्रियंका गांधी ने कहा कि हमारे देश के करोड़ों देशवासियों के संघर्ष में, अपने अधिकारों की पहचान में, और देश से न्याय की अपेक्षा ने हमारे संविधान की ज्योत जल रही है…. मैंने हमारे संविधान की ज्योत को जलते हुए देखा है…. उन्होंने कहा हमारा संविधान एक सुरक्षा कवच है…. जो देशवासियों को सुरक्षित रखता है…. न्याय का कवच है…. एकता का कवच है…. अभिव्यक्ति की आजादी का कवच है….
वहीं दुख की बात ये है कि मेरे सत्तापक्ष के साथी जो बड़ी बड़ी बातें करते हैं…. उन्होंने 10 सालों में ये सुरक्षा कवच तोड़ने का प्रयास किया है…. प्रियंका ने कहा लेटरल एंट्री और निजीकरण के जरिए सरकार आरक्षण को कमजोर करने का काम कर रही है… अगर लोकसभा में ये नतीजे नहीं आए होते तो संविधान बदलने का काम भी शुरू कर देती…. वहीं उन्होंने कहा कि इस चुनाव में इनको पता चल गया कि देश की जनता ही इस संविधान को सुरक्षित रखेगी…. इस चुनाव में हारते-हारते जीतते हुए एहसास हुआ कि संविधान बदलने की बात इस देश में नहीं चलेगी….
प्रियंका गांधी ने कहा कि सरकारों को पैसे के बल पर गिरा देते हैं…. सत्तापक्ष के हमारे साथी ने उदाहरण दिया यूपी सरकार का…. मैं भी उदाहरण दे देती हूं महाराष्ट्र की सरकार का…. गोवा की सरकार…. हिमाचल की सरकार…. क्या ये सरकारें जनता ने नहीं चुनी थीं…. पूरे देश की जनता जानती है कि इनके यहां तो वाशिंग मशीन है…. जो यहां से वहां जाता है, वो धुल जाता है…. इस तरफ दाग, उस तरफ स्वच्छता…. मेरे कई ऐसे साथी हैं…. जो इस तरफ होते थे, उस तरफ चले गए, मुझे दिख भी रहे हैं कि वाशिंग मशीन में धुल गए हैं… जहां भाईचारा और अपनापन होता था….. वहां शक और घृणा के बीज बोए जा रहे हैं…. एकता का सुरक्षा कवच तोड़ा जा रहा है….
प्रधानमंत्री जी यहां सदन में संविधान की किताब को माथे से लगाते हैं…. लेकिन संभल में, मणिपुर में न्याय की गुहार उठती है… तो उनके माथे पर शिकन तक नहीं आती…. शायद समझ नहीं पाए हैं कि भारत का संविधान संघ का विधान नहीं है…. भारत के संविधान ने हमें एकता दी है…. हमें आपसी प्रेम दिया…. उस मोहब्बत की दुकान जिस पर आपको हंसी आती है… उसके साथ करोड़ों देशवासी चले…. और उन्होंने कहा कि इनकी जो विभाजनकारी नीतियां हैं…. उसका नतीजा हम रोज देखते हैं…. राजनीतिक फायदे के लिए संविधान को छोड़िए…. देश की एकता की भी सुरक्षा नहीं कर सकते….
वहीं संभल में देखा, मणिपुर में देखा…. दरअसल, इनका कहना है कि अलग-अलग इस देश के अलग-अलग हिस्से हैं…. हमारा संविधान कहता है कि ये देश एक है और एक रहेगा… जहां खुला विवाद होता था…. अभिव्यक्ति का सुरक्षा कवच होता था…. इन्होंने भय का माहौल पैदा किया है…. सत्तापक्ष के मेरे साथी अक्सर पचहत्तर साल की बात करते हैं…. लेकिन पचहत्तर सालों में ये उम्मीद, आशा, अभिव्यक्ति की ज्योति थमी नहीं…. जब-जब जनता नाराज हुई, सत्ता को ललकारा…. चाय की दुकानों में, नुक्कड़ की दुकानों में, चर्चा कभी बंद नहीं हुई…. लेकिन आज ये माहौल नहीं है…. आज जनता को सच बोलने से डराया जाता है….
प्रियंका गांधी ने कहा कि हमारे देश के करोड़ों देशवासियों के संघर्ष में, अपने अधिकारों की पहचान में, और देश से न्याय की अपेक्षा ने हमारे संविधान की ज्योति जल रही है…. मैंने हमारे संविधान की ज्योति को जलते हुए देखा है…. हमारा संविधान एक सुरक्षा कवच है…. जो देशवासियों को सुरक्षित रखता है…. न्याय का कवच है…. एकता का कवच है… अभिव्यक्ति की आजादी का कवच है…. दुख की बात ये है कि मेरे सत्तापक्ष के साथी जो बड़ी बड़ी बातें करते हैं…. और उन्होंने दस सालों में ये सुरक्षा कवच तोड़ने का प्रयास किया है…. संविधान में आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय का वादा है…. ये वादा सुरक्षा कवच है, जिसको तोड़ने का काम शुरू हो चुका है…. लेटरल एंट्री और निजिकरण के जरिए सरकार आरक्षण को कमजोर करने का काम कर रही है…. वहीं अगर लोकसभा में ये नतीजे नहीं आए होते तो संविधान बदलने का काम भी शुरू कर देती…. इस चुनाव में इनको पता चल गया कि देश की जनता ही इस संविधान को सुरक्षित रखेगी…. इस चुनाव में हारते-हारते जीतते हुए एहसास हुआ कि संविधान बदलने की बात इस देश में नहीं चलेगी….