संजय जोशी के अध्यक्ष बनने की खबरों ने मचाया कोहराम
अब क्या करेंगे मोदी और शाह
- बन रहा है बदलाव का योग
- सजंय जोशी की ताजपोशी तय, बनेंगे बॉस!
- संघ प्रमुख का बयान और यूपी में एक्टिव तोगडिय़ा तो इसी ओर इशारा कर रहे हैं
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
नई दिल्ली। संजय जोशी की भव्य वापसी तय है। यह किस रूप में होगी, उन्हें क्या जिम्मेदारी मिलेगी? इस पर मंथन चल रहा है। इन खबरों के बाहर आने के बाद से भाजपा में कोहराम मच गया है। अब चर्चा ये भी चल रही है कि मोदी व शाह का क्या होगा। संघ प्रमुख के हालिया बयान, प्रावीण तोगडिय़ा का दोबारा से एक्टिव होना और संजय जोशी के आवास पर समर्थकों का ताता लगना इस ओर इशारा कर रहा है कि वह जेपी नड्डा का कार्यकला खत्म होने के बाद भारतीय जनता पार्टी की कमान संभालेंगे।
राम मंदिर आंदोलन के प्रणेता प्रावीण भाई तोगडिय़ा इन दिनों उत्तर प्रदेश को मथ रहे हैं। जिलों—जिलों का दौरा कर रहे तोगडिय़ा भड़काऊ बयान दे रहे हैं और बंद अल्फाज़ों में पीएम मोदी की आलोचना कर रहे हैं। वहीं संघ प्रमुख मोहन भागवत का बयान कि राम मंदिर निर्माण से कोई हिंदू नेता नहीं बन जाता, हमे विश्वगुरू बनना है न कि महाशक्ति यह बताने के काफी है कि उनका दिल पीएम मोदी से भर गया है। और संघ और बीजेपी में हाशिये पर पड़े लोगों का उद्धार होना चाहिए। संजय जोशी, प्रावीण तोगडिय़ा, अशोक सिंघल, उमा भारती, लालकृष्ण अडवाणी सरीखे ऐसे दर्जनों चेहरे हैं जिन्होंने अपना पूरा जीवन संघ परिवार और उसकी विचारधारा को समर्पित कर दिया। लेकिन सरकार बनने के बाद यह लोग नेपथ्य में चले गये और राजनीति की मुख्यधारा से काट दिये गये। इन लोगों में सिर्फ राजनाथ सिंह सरीखे इक्का दुक्का चेहरे ही हैं जो संतुलन बनाने में कामयाब रहे।
कई अन्य लोगों के नाम की भी चर्चा
संजय जोशी को भारतीय जनता पार्टी का अध्यक्ष बनाया जा सकता है या संगठन मंत्री। इसके अतिरिक्त शिवराज सिंह चौहान का नाम भी अध्यक्ष पद के लिए चल रहा है। संघ के अंदरखाने की खबरों पर यदि यकीन करे तो फरवरी 2025 के बाद देश की राजनीति में कुछ बड़ा होने की आहट है। सरकार और संगठन दोनों में उपर से नीचे तक फेरबदल की संभावनाओं पर काम किया जा रहा है।
फिर आया पोस्टर
उत्तर प्रदेश में प्रावीण तोगडिय़ा की यात्रा धीरे—धीरे आगे बड़ रही है और वह पुराने लोगों तक पहुंच बना रहे हैं। उनकों मैदान में इसलिए उतारा गया है कि हाशिये पर पड़े लोगों को एक बार फिर से पुर्नजीवित किया जाए और उन्हें जिम्मेदारी दी जाए। वहीं संजय जोशी के पक्ष में लखनउ में पोस्टर और होर्डिंग्स लगवाई जा रही है। आत्मनिर्भर भारत विषय पर संजय जो?शी लगतार सेमिनार कर रहे हैं। पिछले 10 दिनों मे उनके दो बड़े कार्यक्रम आयोजित हो चुके हैं। लखनउ स्थित भारतीय जनता पार्टी के गेट के बहार और इर्दगिर्द भी होर्डिंग्स लगवाई गयी है।
नये साल में बहुत कुछ नया होगा
संघ से जुड़े पूर्व वरिष्ठ प्रचारक ने बताया कि मकर सक्रांति के बाद केन्द्र सरकार में बड़ा राजनीतिक उथल पुथल मचेगा। यदि उनकी बात पर विश्वास किया जाए तो इस बार के बदलाव में मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान में कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान किंग बनकर उभर रहे हैं। शिवराज के हाथ में कमान जा रही है और यदि ऐसा नहीं हुआ तो सजंय जोशी का बॉस बनना तय है। उन्होंने और भी बहुत कुछ बताया लेकिन सबकुछ लिखा नहीं जा सकता। बस इतना समझा जा सकता है कि संघ प्रमुख नये साल में बहुत कुछ नया होने की स्क्रिप्ट पर अपने सिग्नेचर कर चुके हैं।
आखिर कैसे बन रहा है संजय जोशी का योग!
राजनीतिक खगोलशास्त्रियों की दूरबीन में आने वाले समय की धुंधली सी तस्वीर का जो अक्स बन रहा है उसमें जिंदा बचे पुराने लोगों को सरकार और सत्ता में समायोजित करने का काल दिखायी दे रहा है। सजंय जोशी लंबे समय से राजनीतिक वनवास झेल रहे हैं। लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी है और वह कोशिशों में लगे हैं। तमाम बंदिशों के बाद भी संजय जोशी ऐसा नाम और चेहरा है जो अपने लिए न सही लेकिन किसी दूसरे के लिए जो चाहे करवा सकता है और कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों बिना उनकी सहमति के नहीं बनते है। आज भी संजय जोशी के जन्म दिन पर उनके आवास पर किसी मुख्यमंत्री के जन्म दिन मनाने के लिए इक्टठा हुए लोगों जितनी भीड़ जमा हो ही जाती है। राज्यों के गवर्नर हो या फिर मुख्यमंत्री सजंय जोशी अगर किसी के लिए सिफारिश कर दें तो वह मना नहीं कर पाते।
विपक्ष ने मोदी की काट निकाल ली है
अब यह बदलाव क्यों हो रहा है इसको समझना जरूरी है। दरअसल मोदी के विजयी रथ पर विपक्ष ने ब्रेक लगा दिये हैं। जिन वायदों को लेकर मोदी का उदय हुआ था वह सभी वायदे पूरे किये जा चुके हैं। वायदा वन नेशन वन इलेक्शन का था जोकि प्रस्ताव पारित हो गया। अब बड़ा सवाल यही है? कि नया क्या? संघ प्रमुख ने अपने बयान में कहा है कि देश संविधान से चलेगा, महाशक्ति जैसा कुछ नहीं होगा? और राम मंदिर बनाने से कोई हिंदू नेता नहीं बन जाता। इसका मतलब यही है कि पीएम मोदी और उनकी टीम से संघ प्रमुख खुश नहीं है।