जल्द राजनीति में आ सकते हैं निशांत कुमार

  • नीतीश कुमार के बेटे को लेकरबिहार में सियासी अटकलों का बाजार गर्म

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
पटना। बिहार के सियासी गलियारों में एक बार फिर पुरानी चर्चा जिंदा हो गई है। चर्चा है कि मुख्यमंत्री व जनता दल (यूनाइटेड) के प्रमुख नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार राजनीति में एंट्री करने वाले हैं। जिसको लेकर बिहार में सियासी अटकलों का बाजार गर्म है, बीती 8 जनवरी को निशांत कुमार अपने पिता के साथ अपने पैतृक गांव में साथ स्वतंत्रता सेनानियों की मूर्तियों का अनावरण कार्यक्रम में पहुंचे थे। निशांत कुमार ने कहा कि नए साल में चुनाव है तो पिता (नीतीश कुमार) और उनकी पार्टी को जनता वोट करें और फिर से सरकार में लेकर आए वे अच्छा काम करेंगे, जेडीयू के सूत्रों ने बताया कि नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार होली के बाद सक्रिय राजनीति में आ सकते हैं।
नीतीश कुमार के एक करीबी नेता के अनुसार निशांत कुमार तो राजनीति में आने के लिए तैयार हैं, लेकिन वे मुख्यमंत्री की हरी झंडी का इंतजार कर रहे हैं। नीतीश कुमार को बताया गया है कि पार्टी के कार्यकर्ता चाहते हैं कि निशांत कुमार को राजनीति में लाया जाए। हालांकि नीतीश कुमार वंशवादी राजनीति की आचोलना करते रहे हैं, वे राष्टï्रीय जनता दल और लोक जनशक्ति पार्टी के खिलाफ वंशवादी राजनीति को लेकर काफी मुखर रहे हैं। पिछले साल भी निशांत कुमार को जदयू में लाने की काफी चर्चाएं हुई थीं। पार्टी के कार्यकर्ताओं ने निशांत को पार्टी में शामिल करने की मांग की थी। लेकिन, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं ने इस मांग को खारिज कर दिया था। निशांत कुमार को आखिरी बार 2015 में अपने पिता के शपथ ग्रहण समारोह के राजनीतिक कार्यक्रम में देखा गया था।

तेजस्वी और चिराग को राजनीति में लाने का मिला फायदा

बात करें आरजेडी की तो लालू यादव ने साल 2013 में अपने बेटे तेजस्वी यादव को पार्टी के अगले नेता के रूप में पेश किया था। लगभग उसी दौरान रामबिलास पासवान ने भी अपने बेटे चिराग पासवान को पेश किया था। चिराग पासवान ने 2014 के चुनाव में लोजपा को एनडीए के साथ लाने में अहम भूमिका निभाई थी। वहीं तेजस्वी यादव ने साल 2020 में आरजेडी के नेतृत्व वाले महागठबंधन को 110 सीटों पर पहुंचाया। वे बहुमत से केवल 12 सीट ही दूर रह गए थे। ऐसे में कुछ नेताओं का मानना है कि निशांत कुमार को एक दशक पहले ही राजनीति में शामिल करवा दिया जाता तो वे स्वाभाविक रूप से नीतीश कुमार के उत्तराधिकारी होते।

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