अखिलेश ने चल दिया बड़ा दांव केजरीवाल के साथ राहुल भी हुए मुरीद,बीजेपी में हड़कंप!
राहुल गांधी की पिछड़ा वोटों को लेकर अतिसक्रियता से इंडिया गुट के कई दलों में हड़कंप है... अखिलेश यादव को भी यह भलीभांति पता है कि कल को कांग्रेस अगर दलित-मुसलमान...
4पीएम न्यूज नेटवर्कः सत्तर के दशक में बॉलीवुड में 2 हीरों की जोड़ी चलती थी….. अमिताभ बच्चन और विनोद खन्ना की…. जोड़ी कभी हिट होने की गारंटी होती थी….. विनोद खन्ना से अनबन के बाद अमिताभ ने शशि कपूर के साथ अपनी जोड़ी बना ली…… बाद में कई और सितारों ने भी अपनी जोड़ी बनाने की कोशिश की….. पर राजनीति में राहुल गांधी और अखिलेश की जोड़ी को प्रशांत किशोर के डायरेक्शन में जो लोकप्रियता मिली उसकी चर्चा आज भी होती है…… हालांकि ये जोड़ी 2017 में यूपी विधानसभा चुनावों में फ्लॉप होते ही टूट गई….. पर 2024 के लोकसभा चुनाव परिणाम ने राजनीतिक विश्वेषकों में इनके लिए बहुत उम्मीद जगा दी थी….. पर बॉलीवुड की तरह ही राजनीति में जोड़ी बनने और बिछड़ने के कई कारण होते हैं….. अखिलेश यादव ने दिल्ली विधानसभा चुनावों में जिस तरह राहुल गांधी….. और कांग्रेस को छोड़ अरविंद केजरीवाल के साथ चुनाव प्रचार कर रहे हैं…… वो कुछ अच्छा संकेत नहीं है….. ऐसा लगता है कि बहुत जल्द ही यूपी में राहुल….. और अखिलेश की जोड़ी टूट सकती है…..
बता दें कि राहुल गांधी पिछले कुछ सालों से लगातार पिछड़ी जाति के वोटों को लेकर बहुत सक्रिय हैं….. जाति जनगणना कराने का उनका वादा हर मंच से होता है….. जाति जनगणना पिछड़ी जाति के लिए ही फलदायक है….. क्योंकि दलितों की गणना तो हर जनगणना में होती है….. इसी तरह मुसलमानों की गणना भी हर जनगणना में होती है….. जाति जनगणना की उनकी डिमांड उन्होंने दिल्ली विधानसभा चुनावों में भी की है….. जबकि सभी जानते हैं कि दिल्ली में पिछड़ों की राजनीति का कोई असर नहीं है….. पर राहुल गांधी ने दिल्ली में भी जाति सर्वे का वादा करके दिखा दिया है…. कि पिछड़ों की चिंता उनके लिए सर्वोपरि है….. यहां तक कि बिहार में लालू यादव के घर खिचड़ी की दावत में भी उन्होंने जाति जनगणना को लेकर कुछ ऐसा कहा जिससे निश्चित ही लालू परिवार को भी अच्छा नहीं लगा होगा….. बिहार में जिस जाति सर्वे को तेजस्वी यादव अपनी उपलब्धि बताते रहे हैं…. राहुल गांधी ने उसे ही फर्जी बता दिया….. और उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस की सरकार आने पर पूरे देश में नए सिरे जाति सर्वे कराया जाएगा….. जाहिर है कि पिछड़ों के बीच हीरो बनने की उनकी इच्छा किसी से छिपी नहीं है….. अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश में पिछड़ों के सबसे बड़े नेता हैं….. जाहिर है कि राहुल गांधी के इन प्रयासों से उन्हें खतरा महसूस होता ही होगा…..
कांग्रेस के परंपरागत वोटर्स दलित और मुसलमान हैं…. अखिलेश यादव की पीडीए वाली राजनीति भी दलित-अल्पसंख्यक और पिछड़ी जाति वाली है….. अखिलेश यादव को यह भली भांति पता है कि कल को कांग्रेस अगर दलित-मुसलमान…. और पिछड़ों का वोट बैंक बनाने में सफल हो जाती है तो वो कहां जाएंगे….. क्योंकि कांग्रेस के परंपरागत वोटर्स दलित और मुसलमान उसके पास वापस आ रहे हैं…. अगर पिछड़े भी कांग्रेस के पास पहुंचने लगे जाहिर है…. देश में सिर्फ कांग्रेस और बीजेपी ही दो पार्टियां रह जाएंगी…. अखिलेश यह सब समझ रहे हैं…. इसलिए क्या वो भविष्य के लिए ऑप्शन ले कर चल रहे हैं…..
वहीं कांग्रेस के विरोधी यह बार बार कहते रहे हैं कि पिछड़ों के लिए हमेशा पार्टी अवरोध बनकर खड़ी रही…. कांग्रेस पर आरोप रहा है कि अस्सी के दशक में इंदिरा गांधी…. और राजीव गांधी जैसे प्रधानमंत्री मंडल कमीशन की रिपोर्ट को दबाकर बैठे रहे….. दरअसल पिछड़ा वोट बैंक कभी कांग्रेस का वोटर रहा ही नहीं….. पर राहुल गांधी पिछड़ी जाति के वोटों के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं….. गुरुवार को दलित इनफ्लएंशरों द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए गांधी ने साफ-साफ माना है कि 1990 के दशक में कांग्रेस ने दलितों….. और अत्यंत पिछड़ी जातियों के हितों की उस तरह रक्षा नहीं की….. जिस तरह से उसे करनी चाहिए थी….. जाहिर है कि यहां उन्होंने नाम तो दलितों का भी लिया है….. पर उनका यह स्टेटमेंट विशेषकर पिछड़ी जातियों के लिए ही है….. क्योंकि दलितों के लिए तो कांग्रेस ने हमेशा कुछ न किया ही है….. और उन्होंने कहा कि अगर एक बार कांग्रेस का ऑरिजिनिल बेस पार्टी के साथ आ जाए तो बीजेपी और आरएसएस को भागना पड़ेगा…. और ऐसा जल्द होगा…. राहुल गांधी के इस ओरिजनल बेस से अखिलेश यादव ही नहीं पूरा इंडिया गुट डर रहा है….
बता दें कि राहुल लगातार हर मंच से जिसकी जितनी हिस्सेदारी उसकी उतनी भागीदारी का मुद्दा उठा रहे हैं….. गुरुवार को दलित इनफ्लएंशर के कार्यक्रम में राहुल ने एक बार फिर याद दिलाया कि मैंने बजट के समय कहा था कि पिछड़ों की आबादी 50 प्रतिशत है…… लेकिन सत्ता में उनकी हिस्सेदारी सिर्फ 5 प्रतिशत है….. दलितों की आबादी 15 प्रतिशत है….. लेकिन सत्ता में उनकी हिस्सेदारी सिर्फ एक प्रतिशत है…. अगला सवाल सत्ता में हिस्सेदारी और धन में हिस्सेदारी का है…. दरअसल पिछड़ों के हिस्सेदारी की बातें जिस तरह से राहुल गांधी उठा रहे हैं…. उस तरह तो पिछड़ों की हार्ड कोर राजनीति करने वाले दल समाजवादी पार्टी…. और आजेडी ने भी कभी नहीं की….. जाहिर है इसका असर तो पड़ेगा….. अखिलेश यादव ही नहीं अरविंद केजरीवाल और तेजस्वी यादव जैसे नेताओं के लिए भी कांग्रेस से सावधान हो जाने की जरूरत है…..
हालांकि, पिछले दिनों उत्तरन प्रदेश में हुए उपचुनावों के दौरान अखिलेश यादव समाजवादी पार्टी के टिकटों की घोषणा करते हुए….. ये संकेत दे चुके थे कि अब वे कांग्रेस को यूपी में ज्यादा मोहलत नहीं देना चाहते हैं…… कांग्रेस ने अपना सम्मा न बचाए रखने के लिए विवाद से ये कहकर किनारा कर लिया कि उपचुनाव में दोनों पार्टियां मिलकर रही हैं…… लेकिन उम्मीदवार सपा के ही टिकट पर हैं…… कांग्रेस ऐसा एकतरफा दोस्ताना निभाने की स्थिति में नहीं है….. यूपी में राहुल गांधी पार्टी के संगठन को नए कलेवर में लेकर आना चाहते हैं….. और अखिलेश यादव इसका मतलब बहुत अच्छी तरह समझते हैं…..