‘शादी टूटने का मतलब जीवन का अंत नहीं’, Supreme Court ने विशेषाधिकार का प्रयोग कर कराया तलाक

4PM न्यूज़ नेटवर्क: सुप्रीम कोर्ट ने पति-पत्नी के बीच चल रहे विवाद को लेकर आज (21 फरवरी) बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि शादी टूटने का मतलब यह नहीं होता कि जीवन खत्म हो चुका है। लड़का और लड़की शांतिपूर्वक रहते हुए अपने जीवन में आगे बढ़ने की कोशिश करनी चाहिए। यह एक दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है, लेकिन इसे दोनों पक्षों के लिए एक नई शुरुआत के रूप में देखना चाहिए। इस फैसले के तहत अदालत ने तलाक की अनुमति दी और इस मामले से जुड़ी 17 अन्य कानूनी कार्यवाहियों को खत्म कर दिया।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लड़का और लड़की दोनों युवा हैं और दोनों को अपने भविष्य की तरफ देखना चाहिए। अदालत ने दोनों से शांतिपूर्वक रहने और जीवन में आगे बढ़ने की अपील की।

मिली जानकारी के मुताबिक न्यायमूर्ति अभय ओका की अगुवाई वाली पीठ ने मई 2020 में हुई शादी को भंग कर दिया। पति-पत्नी ने एक-दूसरे के खिलाफ कुल 17 केस दायर किए थे, जिनमें प्रताड़ना सहित अलग-अलग मामले शामिल थे। सुप्रीम कोर्ट ने सभी 17 केस खत्म करते हुए दोनों को आगे बढ़ने की सलाह दी। आमतौर पर तलाक के मामलों की सुनवाई फैमिली कोर्ट में होती है। यहां पति-पत्नी को आपसी सहमति से तलाक लेना पड़ता है या एक-दूसरे के खिलाफ आरोप साबित करने पड़ते हैं। इसमें कम से कम 6 महीने का समय लगता है। इन मुकदमों में से कई केसों में कोर्ट ने पति और पत्नी दोनों को अपनी परेशानियों को सुलझाने की सलाह दी, साथ ही यह भी कहा कि कानूनी लड़ाई को बढ़ाना कोई हल नहीं है।

महत्वपूर्ण बिंदु

  • अदालत ने दोनों पक्षों के वकीलों को सलाह दी कि इन मुकदमों को लड़ना व्यर्थ होगा, क्योंकि ये कई साल तक खिंच सकते हैं।
  • वकीलों ने अदालत से अनुरोध किया कि वह तलाक के लिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 142 के तहत अपने अधिकार का प्रयोग करें।
  • दरअसल, साल 2020 में शादी के बाद से ही महिला अपने माता-पिता के घर पर रह रही है, क्योंकि पति-पत्नी के बीच संबंध खराब हो गए थे।

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