बीजेपी में छिड़ी वर्चस्व की जंग, राजवीर सिंह ने दिया अल्टीमेटम

यूपी भाजपा में लोधी समाज पर कब्जे को लेकर पार्टी के बड़े नेताओं में जंग छिड़ी है... यह सब प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा करने को लेकर है...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः यूपी भाजपा में लोधी समाज पर कब्जे को लेकर पार्टी के बड़े नेताओं में जंग छिड़ी है….. यह सब प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर कब्जा करने को लेकर है…. बता दें कि पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह लोधी समाज के सबसे बड़े नेता थे….. उनके बाद समाज का नेतृत्व किसके हाथ रहे….. इसको लेकर कल्याण के बेटे राजबीर सिंह…. केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा और पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह में होड़ लगी है….. यूपी में पिछड़े वर्ग में यादव और कुर्मी के बाद सबसे ज्यादा आबादी लोधी समाज की है….. करीब 5 दशक तक पूर्व सीएम कल्याण सिंह ही समाज के सर्वमान्य नेता रहे….. उनके इशारे पर ही समाज का वोट बैंक इधर से उधर शिफ्ट भी होता था….. अगस्त, 2021 में कल्याण सिंह के निधन के बाद से लोधी समाज के नेताओं में नेतृत्व….. और वर्चस्व की दौड़ शुरू हो गई थी….. यूं तो पूर्व केंद्रीय मंत्री उमा भारती, उन्नाव के सांसद साक्षी महाराज, केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा, पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह…. और पूर्व सांसद राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया समाज के बड़े चेहरे हैं….

आपको बता दें कि यूपी में भाजपा के नए प्रदेश अध्यक्ष के लिए लोधी समाज से योग्य नेतृत्व की तलाश शुरू हुई है…. इस पद के लिए केंद्रीय मंत्री बीएल वर्मा, पशुधन मंत्री धर्मपाल सिंह….. और पूर्व सीएम कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह प्रबल दावेदार हैं….. प्रदेश अध्यक्ष पद की दावेदारी के साथ ही तीनों के बीच समाज के नए नेतृत्व की जंग भी शुरू हो गई है…. वहीं ऐसा माना जा रहा है कि लोधी समाज से जो भी भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष बनेगा….. अगले कुछ साल तक वही समाज का नेतृत्व भी करेगा….. आपको बता दें कि भाजपा के मुताबिक, लोधी समाज को पार्टी का परंपरागत वोट बैंक माना जाता है…… लेकिन, कल्याण सिंह के बाद लोधी समाज से कोई प्रदेश अध्यक्ष नहीं बना….. पार्टी के किसी मोर्चे में राष्ट्रीय या प्रदेश अध्यक्ष पद पर लोधी नेता की नियुक्ति नहीं हुई…..

जानकारी के अनुसार बीजेपी में राष्ट्रीय पदाधिकारियों में भी कोई लोधी नेता नहीं है….. प्रदेश में भी पार्टी के महामंत्री पद पर कोई लोधी नेता नहीं है….. सपा की ओर से जिस प्रकार भाजपा के पिछड़े वोट बैंक को तोड़ने की कोशिश की जा रही है….. उसमें पार्टी नेताओं को डर है कि कहीं लगातार संगठन में नेतृत्व नहीं मिलने से खफा लोधी समाज दूसरे दल में न शिफ्ट हो जाए….. आपको बता दें कि बीएल वर्मा मोदी सरकार 2.0 में शाह के अधीन सहकारिता मंत्रालय में राज्यमंत्री रहे हैं…… मोदी सरकार 3.0 में भी उपभोक्ता मामले और खाद्य आपूर्ति राज्यमंत्री हैं…. बीएल वर्मा 2022 में भी प्रदेश अध्यक्ष पद के मजबूत दावेदार थे….. लेकिन, उस दौरान कृषि कानूनों से नाराज पश्चिमी यूपी के जाट समाज को साधने के लिए भूपेंद्र सिंह चौधरी को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया…… पार्टी का एक वर्ग बीएल वर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का पक्षधर है…. तो वहीं अन्य वर्ग इनको प्रदेश अध्यक्ष बनाने को सहमत नहीं है….

धर्मपाल सिंह 2016 में भी प्रदेश अध्यक्ष पद के दावेदार थे…… लेकिन उस दौरान बसपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य की काट के लिए केशव प्रसाद मौर्य को अध्यक्ष बनाया गया….. इस समय धर्मपाल सिंह प्रदेश सरकार में पशुधन मंत्री हैं…. 2017 में भी धर्मपाल सिंह को सिंचाई मंत्री बनाया गया था….. लेकिन, 2019 में मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान उनको मंत्री पद से हटा दिया गया था….. और 2022 में बरेली में हुई चुनावी सभा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने धर्मपाल सिंह को मंत्री पद से हटाने की गलती भी मानी थी…. और अमित शाह ने आश्वासन दिया था कि अगर आंवला की जनता धर्मपाल को चुनाव में जिता देगी…… तो भाजपा उनको फिर वही सम्मान देगी…… उसके बाद योगी सरकार 2.0 में धर्मपाल को फिर कैबिनेट मंत्री बनाया गया था…..

वहीं राजवीर सिंह 2014 और 2019 में एटा से सांसद रहे….. और 2024 में एटा से चुनाव हार गए….. कल्याण सिंह के बाद लोधी समाज के नेतृत्व के मजबूत दावेदार हैं….. राजवीर के बेटे संदीप सिंह प्रदेश सरकार में बेसिक शिक्षा मंत्री हैं…… और इन्होंने अखिल भारतीय लोधी-राजपूत कल्याण महासभा का गठन किया है…… हालांकि, 2024 में विधानसभा चुनाव हारने से उनका राजनीतिक कद कुछ कमजोर हुआ है….. भाजपा के सूत्रों के मुताबिक, पार्टी के कुछ बड़े नेता केंद्रीय राज्यमंत्री बीएल वर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहते हैं…… लेकिन, राजवीर सिंह ने उनका खुला विरोध कर दिया है….. और उन्होंने यहां तक कहा कि अगर बीएल वर्मा को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया तो वह और उनका बेटा भाजपा छोड़ देंगे…..

जिसके चलते भाजपा का शीर्ष नेतृत्व भी कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह उर्फ राजू भैया के अल्टीमेटम से डरा हुआ है…… लोधी समाज में किसी भी दूसरे भाजपा नेता की तुलना में कल्याण सिंह परिवार का ही वर्चस्व रहा है….. ऐसे में अगर राजवीर सिंह ने नाराज होकर अपने पिता की तरह पार्टी छोड़ने जैसा कदम उठा लिया…… तो 2027 में भाजपा को बड़ा नुकसान हो सकता है….. वहीं, राजवीर सिंह ने अखिल भारतीय लोधी-राजपूत कल्याण महासभा के बैनर तले जनवरी, 2025 में समाज की रैली की थी…… इसमें समाज के कई विधायक और सांसद जुटे, लेकिन बीएल वर्मा को नहीं बुलाया गया था…..

आपको बता दें कि कल्याण सिंह ने 1999 में भाजपा छोड़ दी थी…… आगरा में मुलायम सिंह के साथ मंच साझा किया था…… मुलायम सिंह के सहयोग से भाजपा के खिलाफ चुनाव भी लड़ा था…… कल्याण सिंह ने राष्ट्रीय क्रांति पार्टी बनाई थी….. अगस्त, 2003 में मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बने…… कल्याण सिंह के बेटे राजवीर सिंह स्वास्थ्य मंत्री बने थे…… तब भाजपा को सत्ता से बाहर होना पड़ा था….. वहीं लोकसभा चुनाव 2009 में भी कल्याण सिंह ने सपा को अघोषित समर्थन दिया था……. कल्याण सिंह खुद एटा से चुनाव जीत गए थे…… लेकिन सपा से मुस्लिम वोट कट गया था…… जो कांग्रेस को शिफ्ट हो गया था…… कांग्रेस को 22 सीटें मिली थीं…… उसके बाद फिरोजाबाद लोकसभा उपचुनाव में डिंपल यादव चुनाव हार गई थीं….. कांग्रेस के राज बब्बर चुनाव जीत गए थे…..

वहीं अब देखना होगा की बीजेपी नए प्रदेश अध्यक्ष को लेकर क्या कुछ करती है… लेकिन बीजेपी में जारी अंतर्कलह से 2027 का चुनाव बीजेपी के हाथ से जाना कोई बड़ी बात नहीं है…. क्योंकि बीजेपी की नीतियों से बड़े नेता ही संकुष्ठ नहीं हैं…. बीजेपी में सारा पावर एक दो हाथों में ही है…. सारा निर्णय गुजराकी बंधु ही लेते है…. वहीं प्रदेश अध्यक्ष के मसले पर गुजराती भाई क्या फैसला लेते हैं…. यह तो आने वाला वक्त तय करेगा….

 

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