AMU में होली खेलने को मिली मंजूरी, 13 और 14 मार्च को होली खेल सकेंगे छात्र

अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी प्रशासन ने छात्रों को होली खेलने की अनुमति दे दी है... और उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी का कोई भी छात्र 13 और 14 मार्च को NRSC परिसर में होली खेल सकते है...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः उत्तर प्रदेश की एक जानी मानी यूनिवर्सिटी में होली मनाने को लेकर बवाल मचा हुआ था… बता दें कि इस यूनिवर्सिटी में यहां पर पढ़ने वाले छात्रों ने 9 मार्च को होली मिलन कार्यक्रम के लिए अनुमति मांगी थी…… जिसे यूनिवर्सिटी प्रशासन ने नामंजूर कर दिया था….. और प्रशासन की ओर से कहा गया था कि यूनिवर्सिटी की नीतियों के पालन के लिए कार्यक्रम की अनुमति नहीं दी जा सकती है…. जिसके बाद यहां पर भारी बवाल मच गया था…. और इस यूनिवर्सिटी की चर्चा जोरों से होने लगी थी…. जिसके बाद अब करणी सेना ने होली मनाने का ऐलान कर दिया है…. तो वहीं यूनिवर्सिटी प्रशासन ने भी होली मनाने को लेकर अनुमति दे दी हैं…. जिसके चलते छात्र 13 और 14 मार्च को होली धूम-धाम के साथ मना सकेंगे…. तो आइए आपको बताते हैं कि यह कौन सी यूनिवर्सिटी है….. और इसकी स्थापना के पीछे की कहानी क्या है…. आखिर होली खेलने को लेकर क्यों मच गया था बवाल…. फिर बैकफुट पर क्यों आया यूनिवर्सिटी प्रशासन….

दोस्तों इस यूनिवर्सिटी का नाम अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी है….. एएमयू का नाम भारत के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में शुमार है…… इस यूनिवर्सिटी की नींव 1875 में रखी गई थी….. तब इसकी शुरुआत एक स्कूल के रूप में की गई थी…… इसका नाम मुस्लिम-एंग्लो ओरिएंटल स्कूल रखा गया था…… असल में इसकी स्थापना के पीछे मुस्लिम युवाओं को शिक्षा की मुख्य धारा से जोड़ना था….. इसके लिए सैय्यद अहमद खान ने मई 1875 में इस स्कूल की स्थापना की……. जो आगे चलकर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी बन गया…… इसकी नींव रखने वाले सैय्यद अहमद खान उस समय अलीगढ़ में ही तैनात थे…… और अंग्रेजों की छोड़ी गई कई खाली इमारतों का उपयोग करते हुए उन्होंने इस संस्थान को कॉलेज का रूप दिया….. 1877 में वायसराय लॉर्ड लिटन ने कॉलेज का शिलान्यास किया…..

बता दें कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में होली खेलने को लेकर विवाद पर एक बार फिर से विराम लग गया है…. और छात्रों को होली खेलने की अनुमति मिल गई है….. वहीं अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में होली खेलने की लिखित अनुमति से जुड़े मामले को लेकर AMU के प्रोवोस्ट बीबी सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि छात्र 2 दिन के लिए 13 और 14 को एनआरएससी परिसर में जमकर होली खेल सकते हैं…… होली खेलने के लिए कोई भी रोक-टोक नहीं है….. जिसके बाद अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में होली खेलने की परमिशन को लेकर चल रहे विवाद में पूर्ण विराम लगा गया है….. वहीं अब छात्र दो दिन होली खेल सकेंगे….. AMU में होली खेलने की परमिशन को लेकर विवाद उस दिन शुरू हुआ….. जब AMU के छात्र अखिल कौशल ने एनआरएससी हाल में होली मिलन कार्यक्रम के संबंध में 25 फरवरी को एक लिखित एप्लीकेशन दी….. और उन्होंने होली मिलन कार्यक्रम की अनुमति मांगी थी….. लेकिन एएमयू प्रशासन ने लिखित अनुमति देने से मना कर दिया था…..

आपको बता दें कि एएमयू प्रशासन ने लिखित शिकायत मना करते हुए कहा था कि कि हमेशा एएमयू में होली खेली जाती है…. और होली खेलने के लिए मना नहीं है…… हालांकि, किसी भी नई परंपरा को हम नया रूप नहीं देंगे….. और ना ही इसमें कोई लिखित रूप से अनुमति दी जाएगी….. इसके बाद इस संबंध में अलीगढ़ के सांसद सतीश गौतम का भी बयान सामने आया था….. और उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी में होली खेलने से कोई नहीं रोक सकता….. वहीं अगर कोई रोकेगा तो मैं कुलपति से बात करूंगा….. साथ ही उन्होंने कहा था कि छात्रों के साथ मारपीट हुई तो मारपीट करने वालों को ऊपर भेज दिया जाएगा…… AMU में होली खेलने की परमिशन नहीं मिलने के बाद करनी सेना ने 10 मार्च को कैंपस के अंदर होली खेलने की चेतावनी दी थी….. वहीं अब इस मामले में प्रोफेसर बीबी सिंह ने जानकारी देते हुए बताया कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी प्रशासन ने यह फैसला लिया है कि एनआरएससी परिसर में कोई भी AMU का छात्र आकर स्वतंत्र रूप से 13 फरवरी 14 फरवरी को होली खेल सकता है…..

आपको बता दें कि यूनिवर्सिटी प्रशासन ने जानकारी देते हुए बताया कि 9 तारीख को होली खेलने की परमिशन मांगी गई थी….. लेकिन AMU में उस दिन बोर्ड का एग्जाम है…… इसलिए मैं चाहता है कि उस दिन आकर कोई छात्र होली ना खेले….. 13 और 14 मार्च को छुट्टी है….. इस दिन परंपरागत रूप से एनआरएससी क्लब में होली खेलने के लिए सबका स्वागत है….. आपको बता दें कि इस यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए सैय्यद अहमद खान ने भारत के विभिन्न हिस्सों में जाकर चंदा इकट्ठा किया…… दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने चंदा जुटाने के लिए लैला-मजनूं का नाटक भी किया…… लेकिन एक बार ऐसा हुआ कि नाटक शुरू होने से पहले ही जिस लड़के को लैला बनना था….. वह भाग गया….. ऐसे में खुद सर सैय्यद अहमद खान ने लैला की भूमिका निभाई और नाटक पूरा किया….

जानकारी के अनुसार अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए हैदराबाद के नवाब ने 1000 रुपये दिए थे….. बाद में नवाब ने कई बार बड़ी रकम दान में दी….. यही नहीं, इसकी स्थापना के लिए मुस्लिम नवाबों के अलावा हिंदू राजाओं ने भी बड़ा योगदान दिया….. बनारस के महाराजा ने पहली बार 20,000 रुपये…. और फिर 50,000 रुपये दान में दिए….. राजा शंभु नारायण ने 60,000 रुपये दिए….. पटियाला के महाराजा महाधर सिंह बहादुर ने 5 लाख रुपये का योगदान दिया….. राजा महेंद्र प्रताप ने अपनी जमीन यूनिवर्सिटी को दान में दी….. वहीं अंग्रेजों ने 1920 में AMU एक्ट पास किया….. जिसके तहत इस संस्थान को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का दर्जा मिला…… इसे अल्पसंख्यक विश्वविद्यालय का दर्जा दिया गया….. अभी हाल ही में इसके अल्पसंख्यक दर्जे को लेकर विवाद की स्थिति बनी थी…… जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इसके अल्पसंख्यक दर्जे को बरकरार रखा….. अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में 70 प्रतिशत सीटें मुस्लिम उम्मीदवारों….. और 30 प्रतिशत सीटें हिंदू स्टूडेंट्स के लिए उपलब्ध हैं…..

 

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