मप्र बजट सिर्फ सपने दिखाने वाला : सिंघार

- वित्त मंत्री ने कहा- कांग्रेस के समय गड्ढे ही गड्ढे थे
4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
भोपाल। विधानसभा में सरकार के 2025-26 के बजट पर विभागवार चर्चा के दौरान मंगलवार को सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी नोंकझोंक देखने को मिली। नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने कहा कि बजट में जनता को कई सपने दिखाए गए हैं। वित्त मंत्री ने बजट के अंत में कविता के जरिए आकाश में नौकरी और खाद मिलने का सपना दिखाया है। वहीं, वित्त मंत्री ने कहा कि कांग्रेस की सरकार में गड्डे ही गड्डे थे। यह सच स्वीकार करना चाहिए। सिंघार ने कहा कि मुख्यमंत्री उज्जैन में कह रहे हैं कि कांग्रेस ने नाग का प्रदर्शन किया है, लेकिन बेरोजगारों को नौकरी नहीं देकर यही लोग डस रहे हैं। इस सरकार ने टैक्स नहीं बढ़ाया, यह अच्छी बात है, लेकिन जो है उसे कम तो करते।
बच्चों की स्कूल ड्रेस एक हजार रुपए की है तो उस पर पांच प्रतिशत और एक हजार से ज्यादा की है तो उस पर 13 प्रतिशत टैक्स है। अर्थी के कफन पर 12 प्रतिशत टैक्स है। दवाइयों पर पांच, 12 और 18 प्रतिशत तक का टैक्स स्लैब है। जनता को कहीं ना कहीं रियायत तो देते। खाने के तेल पर पांच प्रतिशत, किताब-कॉपी पर पांच प्रतिशत टैक्स है। आप कोई रियायत आम जनता को नहीं दे रहे हैं। आप सिर्फ कर्ज लेकर सरकार चला रहे हैं और घी पी रहे हैं। आपको जनता की सुविधाओं का भी ध्यान रखना चाहिए। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि 2047 तक क्या कर्ज 25 लाख करोड़ हो जाएगा। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि एक तरफ कहा जा रहा है कि 55 साल में हमने कोई काम नहीं किया, लेकिन आपने 20-22 साल में बहुत काम कर दिए। नर्सिंग घोटाला, परिवहन घोटाला और अब गर्मी आ रही है नल जल घोटाला भी हो गया।
यह जनता का बजट : देवड़ा
वहीं, वित्त मंत्री और डिप्टी सीएम जगदीश देवड़ा ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह बजट पूरी तरह से जनता के लिए है। उन्होंने यह भी कहा कि यह बजट महिला, युवा, किसान और गरीब के कल्याण के लिए है, और इसमें किसी तरह का जातिगत भेदभाव नहीं किया गया है। देवड़ा ने बजट में किए गए प्रयासों को महत्वपूर्ण बताया और कहा कि 2002-03 के बजट में जहां पूंजीगत व्यय केवल 9 प्रतिशत था, वहीं उनकी सरकार ने इसे बढ़ाकर 21 प्रतिशत कर दिया है। वित्त मंत्री ने कांग्रेस पर हमला करते हुए यह भी कहा कि कांग्रेस सरकार ने 2019 में पेट्रोल-डीजल पर वैट बढ़ाया था और विपक्ष को यह स्वीकार करना चाहिए कि उनके समय गड्डे ही गड्डे थे। उन्होंने यह भी कहा कि 2003 से पहले पानी की योजना पर भी कोई गंभीर विचार नहीं किया गया था।