सपा की सक्रिय दलित राजनीति से बढ़ी मायावती की चिंता, बसपा के वोट बैंक पर सपा की नजर
बसपा प्रमुख मायावती ने गुरुवार को ट्वीट कर सपा को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि विदित है कि अन्य पार्टियों की तरह सपा भी अपने दलित नेताओं को आगे करके तनाव और हिंसा का माहौल पैदा करने वाले बयान दिलवाए जा रहे हैं,

4पीएम न्यूज नेटवर्कः समाजवादी पार्टी की आक्रामक दलित राजनीति ने बहुजन समाज पार्टी यानी बसपा प्रमुख मायावती को सतर्क कर दिया है। सपा लगातार दलित नोताओं को अपने पार्टी में शामिल कर रही है और बसपा के परंपरागत वोट बैंक को साधने की कोशिश में जुटी है,जिससे यूपी की सियासत में नया मोड़ आ गया है।
हाल ही में बसपा के वरिष्ठ नेता रामजीलाल सुमन और इंद्रजीत सरोज जैसे चेहरों के सपा में जाने से यह राजनीतिक प्रतिस्पर्धा और तेज हो गई है। सपा न सिर्फ दलितों को साध रही है, बल्कि मुसलमानों और ओबीसी वर्ग को भी अपने पक्ष में लामबंद करने की रणनीति पर काम कर रही है। बढ़ते राजनीतिक दबाव को देखते हुए मायावती ने एक बार फिर दलितों, मुस्लिमों और ओबीसी समुदाय से अपील की है कि वे सपा से दूर रहें। उन्होंने सपा पर अवसरवादी राजनीति करने का आरोप लगाते हुए कहा कि यह पार्टी इन वर्गों के हितों
की सच्ची हितैषी नहीं है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि 2024 के लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद बसपा कमजोर हुई है और सपा इसी का फायदा उठाकर दलित वोट बैंक में सेंध लगाने की कोशिश कर रही है। आने वाले विधानसभा चुनावों में यह मुकाबला
और दिलचस्प हो सकता है।
सपा के सांसद रामजीलाल सुमन के द्वारा राणा सांगा पर दिए बयान को लेकर सियासत गरमा गई है. करणी सेना ने रामजीलाल सुमन के
खिलाफ आक्रामक तेवर अपना रखा है और आगरा में ठाकुर समुदाय के लोगों ने विरोध प्रदर्शन कर सीधे चुनौती दे दी है. सपा ने रामजीलाल के पक्ष में खड़े होकर पूरे मामले को दलित बनाम ठाकुर का रंग देने की कोशिश की है. अखिलेश यादव 19 अप्रैल को आगरा पहुंचेंगे, जहां रामजीलाल सुमन के आवास पर जाकर मुलाकात कर दलित समाज को सियासी संदेश देंगे. अखिलेश के आगरा दौरे से पहले मायावती ने सपा की दलित राजनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
दलितों को सपा से दूर रहने की नसीहत
बसपा प्रमुख मायावती ने गुरुवार को ट्वीट कर सपा को निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि विदित है कि अन्य पार्टियों की तरह सपा भी अपने दलित नेताओं को आगे करके तनाव और हिंसा का माहौल पैदा करने वाले बयान दिलवाए जा रहे हैं, जिस पर आरोप-प्रत्यारोप का दौर चल रहा. ये संक्रीण और स्वार्थ की राजनीति है. सपा भी दलितों के वोटों के स्वार्थ की खातिर किसी भी हद तक जा सकती है. दलितों के साथ-साथ ओबीसी और मुस्लिम समाज आदि को इनके किसी भी उग्र बहकावे में नहीं आकर, इन्हें इस पार्टी की राजनीतिक हथकंडों के बचना चाहिए.
मायावती ने आगे कहा कि ऐसी पार्टियों से जुड़े अवसरवादी दलित नेताओं को दूसरों के इतिहास पर टीका-टिप्पणी करने की बजाय यदि वे अपने समाज के संतों, गुरुओं और महापुरुषों की अच्छाईयों एवं उनके संघर्ष के बारे में बताएं तो यह उचित होगा, जिनके कारण ये लोग किसी लायक बने हैं. इस तरह से मायावती ने दलित समाज को सपा के दलित नेताओं के बहकावे में आने से बचने की नसीहत दे रही हैं. साथ ही मुस्लिम और ओबीसी को भी सपा से दूर रहने की अपील कर रही हैं.



