पीड़ित का सीआर पाटिल पर फूटा गुस्सा, जमकर सुनाई खरी-खोटी

जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले के बाद गुरुवार को सूरत के बैंकर शैलेशभाई कलथिया को अंतिम विदाई दी गई... इस मौके पर सैकड़ों की भीड़ में पत्नी ने...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुआ आतंकी हमला न केवल देश के लिए एक त्रासदी है……. बल्कि यह केंद्र में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी सरकार की सुरक्षा नीतियों और कश्मीर में शांति के दावों पर गंभीर सवाल खड़ा करता है……. इस हमले में 26 से 28 लोगों की जान गई…… जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे…… इनमें गुजरात के सूरत निवासी शैलेश हिम्मतभाई कलथिया भी शामिल थे…… जो अपने 44वें जन्मदिन को परिवार के साथ मनाने के लिए पहलगाम गए थे…… गुरुवार, 24 अप्रैल 2025 को सूरत में शैलेश की अंतिम विदाई के दौरान उनकी पत्नी शीतलबेन कलथिया का गुस्सा केंद्रीय जलशक्ति मंत्री….. और गुजरात बीजेपी अध्यक्ष सीआर पाटिल पर फूट पड़ा…… शीतलबेन ने न केवल सरकार की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए…… बल्कि आम नागरिकों की जान की कीमत को लेकर भी तीखा हमला बोला…… यह घटना बीजेपी सरकार के लिए एक राजनीतिक और नैतिक संकट बन गई है…… क्योंकि देशभर में लोग इस हमले के बाद आक्रोशित हैं….. और जवाबदेही की मांग कर रहे हैं……

पहलगाम, जिसे ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ के नाम से जाना जाता है…… पर्यटकों के लिए स्वर्ग माना जाता है……. लेकिन 22 अप्रैल को बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले ने इस स्वर्ग को खून से लथपथ कर दिया…….. लश्कर-ए-तैयबा के छद्म संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ ने इस हमले की जिम्मेदारी ली……. प्रत्यक्षदर्शियों और शैलेश के बेटे नक्श कलथिया के बयान के अनुसार…….. आतंकियों ने धर्म और नाम पूछकर हिंदू पुरुषों को निशाना बनाया…… नक्श ने बताया कि आतंकियों ने ‘कलमा’ पढ़ने को कहा……. और जो लोग इसे नहीं पढ़ पाए…… उन्हें गोली मार दी गई……. इस हमले में शैलेश कलथिया……. जो मुंबई में एक बैंक में मैनेजर थे…… अपनी पत्नी शीतल, बेटी नीति और बेटे नक्श के सामने गोली का शिकार हो गए…….

वहीं हमले में 26 से 28 लोगों की मौत हुई……. जिनमें गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, मध्य प्रदेश, नेपाल और यूएई के नागरिक शामिल थे……. भारतीय नौसेना के लेफ्टिनेंट विनय नरवाल और कश्मीरी युवक सैयद आदिल हुसैन शाह भी शहीद हुए……. इस हमले ने 2019 के पुलवामा हमले के बाद कश्मीर में हुए सबसे बड़े आतंकी हमले की याद दिला दी…. बता दें कि 24 अप्रैल को सूरत के कटारगाम इलाके में शैलेश कलथिया की अंतिम यात्रा में सैकड़ों लोग शामिल हुए…… शैलेश का शव 23 अप्रैल की रात सूरत पहुंचा था…… और गुरुवार सुबह कठोर गांव के श्मशान घाट पर उनका अंतिम संस्कार किया गया…… उनके बेटे नक्श ने पिता को मुखाग्नि दी……. इस दौरान केंद्रीय मंत्री सीआर पाटिल, गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी, सांसद मुकेश दलाल….. और अन्य बीजेपी नेता मौजूद थे……. लेकिन यह शोक सभा तब एक राजनीतिक तूफान में बदल गई…… जब शीतलबेन कलथिया ने सीआर पाटिल को आड़े हाथों लिया…..

आपको बता दें कि शीतलबेन ने गुस्से में कहा कि आपकी जान, जान है, जो टैक्स भरता है, उसकी जान नहीं है……. वीआईपी और नेताओं के लिए सुरक्षा है…….. लेकिन मेरे पति जैसे आम आदमी के लिए क्या है……. मेरे घर का स्तंभ चला गया…… उसे वापस दो…… मेरे बच्चों का भविष्य क्या होगा….. और उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि हमले के बाद घायलों और पीड़ितों के लिए तत्काल सुविधाएं क्यों नहीं उपलब्ध कराई गईं……. शीतलबेन की ये बातें न केवल उनके निजी दर्द को दर्शाती हैं…….. बल्कि उन लाखों भारतीयों की भावनाओं को भी व्यक्त करती हैं……. जो सरकार से सुरक्षा और जवाबदेही की उम्मीद करते हैं…..

वहीं यह हमला बीजेपी सरकार के लिए कई स्तरों पर चुनौती बन गया है…….. केंद्र सरकार और बीजेपी नेतृत्व ने बार-बार दावा किया है कि 2019 में अनुच्छेद 370 को हटाने के बाद जम्मू-कश्मीर में शांति……. और विकास का नया दौर शुरू हुआ है…… लेकिन पहलगाम हमला इस दावे की पोल खोलता है……. यह हमला न केवल पर्यटकों पर हुआ…… बल्कि इसे धार्मिक आधार पर अंजाम दिया गया……. जिसने देश में सामाजिक तनाव को और बढ़ा दिया है…… शैलेश की पत्नी के सवालों ने सरकार की सुरक्षा व्यवस्था की खामियों को उजागर किया……. नक्श ने बताया कि हमले के समय पहलगाम में कोई सैन्य उपस्थिति नहीं थी……. और सेना को घटना की जानकारी देर से मिली……. और उन्होंने कहा कि इतना बड़ा आतंकी हमला हुआ…….. लेकिन नीचे आर्मी बेस को कुछ पता नहीं था…….. ऊपर पहलगाम में दो-तीन जवान भी तैनात होने चाहिए थे…… यह बयान सरकार की खुफिया और सुरक्षा तंत्र की विफलता को रेखांकित करता है…..

हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसे कायराना कृत्य बताया…… और आतंकियों को बख्शने की बात कही…….. गृह मंत्री अमित शाह ने पहलगाम का दौरा किया…… और पीड़ित परिवारों से मुलाकात की…… कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी की बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ सख्त कदम उठाने का फैसला लिया गया……… जिसमें सिंधु जल समझौता स्थगित करना और अटारी-वाघा सीमा बंद करना शामिल है….. लेकिन ये कदम क्या पीड़ित परिवारों को न्याय दिला पाएंगे……. शीतलबेन ने सवाल उठाया कि सरकार की कार्रवाई से उनका नुकसान कैसे पूरा होगा…… उन्होंने कहा कि मुझे न्याय चाहिए, लेकिन मेरे पति की जान कौन लौटाएगा……. यह सवाल उन तमाम परिवारों की पीड़ा को दर्शाता है……. जिन्होंने इस हमले में अपनों को खोया…… सरकार ने मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने की घोषणा की है…… लेकिन क्या मुआवजा उनके दर्द को कम कर सकता है……

पहलगाम हमले ने न केवल सुरक्षा…… बल्कि सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों को भी हवा दी है……. हमले में आतंकियों द्वारा धार्मिक आधार पर हत्याएं करने की खबरों ने देश में तनाव बढ़ा दिया है…….. बीजेपी नेताओं ने इसे पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद करार दिया……. जबकि विपक्षी नेताओं ने सरकार की नीतियों पर सवाल उठाए…….. कांग्रेस नेता रॉबर्ट वाड्रा के बयान, जिसमें उन्होंने हमले को मुसलमानों के “कमजोर महसूस करने” से जोड़ा……. ने विवाद को और बढ़ा दिया…… वहीं झारखंड बीजेपी अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी ने रांची में “पाकिस्तान मुर्दाबाद” और “हिंदू नरसंहार बंद करो” के नारे लगाते हुए मशाल जुलूस निकाला…….. इस तरह की प्रतिक्रियाओं ने सामाजिक ध्रुवीकरण को और गहरा किया है…….. सवाल यह है कि क्या सरकार इस संकट को एकजुटता के साथ संबोधित करेगी…… या इसे राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल किया जाएगा……

पहलगाम हमला कश्मीर के पर्यटन उद्योग के लिए भी एक बड़ा झटका है…….. कश्मीर की अर्थव्यवस्था में पर्यटन का योगदान ₹12,000 करोड़ से अधिक है……… और यह 2.5 लाख लोगों को रोजगार देता है……. हमले के बाद कई पर्यटकों ने अपनी यात्रा रद्द कर दी…… और एयरलाइंस ने श्रीनगर के लिए किराए को तीन गुना तक बढ़ा दिया…… यह स्थिति कश्मीरी लोगों के लिए आजीविका का संकट पैदा कर रही है…… बता दें कि पहलगाम आतंकी हमला केवल एक सुरक्षा विफलता नहीं है…… बल्कि यह बीजेपी सरकार के कश्मीर में शांति…… और विकास के दावों की हकीकत को उजागर करता है……. शैलेश कलथिया की पत्नी शीतलबेन के सवाल हर उस भारतीय की आवाज हैं……. जो सरकार से सुरक्षा और न्याय की उम्मीद करता है……. सरकार के सामने अब न केवल आतंकवाद से लड़ने की चुनौती है……. बल्कि अपने नागरिकों का भरोसा जीतने की भी जिम्मेदारी है……

 

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