प्रशांत किशोर का बड़ा बयान: “हम न विधायक हैं, न सांसद, न माफिया के लिए काम करते हैं”
नीतीश सरकार के मंत्री अशोक चौधरी पर कहा कि अशोक चौधरी का राजनीतिक चरित्र क्या है, यह सबको पता है.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः प्रशांत किशोर ने कहा कि हम न तो विधायक हैं, न सांसद, न ही हम बालू माफिया या शराब माफिया के लिए काम करते हैं. हमने जो भी धन अर्जित किया है वह अपनी बुद्धि और मेहनत से किया है.
बिहार चुनाव 2025 से पहले राजनीतिक सरगर्मियां तेज हैं. तमाम पार्टियां एक दूसरे पर हमलावर हैं. नई राजनीतिक पार्टी जन सुराज इन दिनों राजनीतिक रूप से काफी सक्रिय है. उसके नेता और संयोजक प्रशांत किशोर (Prashant Kishor) बीजेपी से लेकर आरजेडी और जेडीयू तक के नेताओं के नहीं छोड़ते. इस बार उन्होंने नीतीश के करीबी मंत्री अशोक चौधरी पर जमक निशाना साधा है.
अशोक चौधरी पर जमकर बरसे
जमुई में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए उन्होंने नीतीश सरकार के मंत्री अशोक चौधरी पर कहा कि अशोक चौधरी का राजनीतिक चरित्र क्या है, यह सबको पता है. उन्होंने अपनी बेटी को टिकट खरीदकर सांसद बनवाया. बिहार के किसी नेता या पार्टी में इतनी हिम्मत नहीं है कि वह हम पर एक रुपया भी लेने का आरोप लगा सके.
उन्होंने कहा कि हम न तो विधायक हैं, न सांसद, न ही हम बालू माफिया या शराब माफिया के लिए काम करते हैं. हमने जो भी धन अर्जित किया है वह अपनी बुद्धि और मेहनत से किया है. हम जो भी संसाधन खर्च कर रहे हैं वह बिहार के गरीब लोगों के लिए खर्च कर रहे हैं, ताकि पैसे के अभाव में उन्हें राजनीति से दूर न रहना पड़े.
दरअसल प्रशांत किशोर 20 मई से जय प्रकाश नारायण की जन्मस्थली सिताबदियारा से ‘बिहार बदलाव यात्रा’ की शुरुआत करने वाले हैं. उन्होंने कहा कि जेपी के अधूरे सपने को पूरा करने, बिहार में बदलाव लाने और संपूर्ण क्रांति के रूप में व्यवस्था परिवर्तन के उद्देश्य से यह यात्रा शुरू की जाएगी. इसी यात्रा की जानकारी देने के लिए उन्होंने एक पीसी की, जहां उन्होंने अशोक चोधरी के राजनीतिक
चरित्र पर सवाल खड़े किए.
नीतीश सरकार पर हमलावर प्रशांत किशोर
बता दें कि पीके सबसे ज्यादा बिहार की नीतीश सरकार और केंद्र की मोदी सरकार पर हमलावर होते हैं, पीके का मानना है कि डबल इंजन की सरकार होते हुए भी बिहार में आज तक युवाओं के भविष्य के लिए कुछ नहीं किया गया. ऐसी कोई योजनाएं नहीं लाईं गईं, जिससे बिहार के लोगों को रोजगार ज्यादा से ज्यादा मिले और उन्हें बाहर नहीं जाना पड़े. पेपर लीक, नौकरी और पलायन के नाम पर विपक्ष सबसे ज्यादा सराकर को घेरने में जुटा है.



