मायावती ने किए सिलसिलेवार पोस्ट्स, आकाश आनंद के समर्थन में दिखा संकेत
बसपा चीफ ने लिखा- साथ ही, विरोधी पार्टियों के षड्यन्त्र के तहत् पार्टी के कुछ लोग, उनके बहकावे में आकर जब अपनी ख़ुद की पार्टी को कमज़ोर करने में लग जाते हैं

4पीएम न्यूज नेटवर्कः बसपा चीफ मायावती ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर सोमवार को सिलसिलेवार चार पोस्ट्स की। इस पोस्ट के संदर्भ में माना जा रहा है कि बसपा सुप्रीमो ने आकाश आनंद का बचाव किया है। सूत्रों के मुताबिक,फरवरी से मार्च के बीच आकाश आनंद पार्टी से बाहर हे गए थे। हालांकि, बाद में मतभेद सुलझाने और माफी के बाद उनकी पार्टी में वापसी हुई। बावजूद इसके, अब तक उन्हें पार्टी में कोई अहम जिम्मेदारी नहीं सौंपी गई है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मायावती की यह पोस्ट्स संकेत हैं कि वह आकाश आनंद को दोबारा सक्रिय भूमिका में लाने की तैयारी कर रही हैं, या कम से कम पार्टी के भीतर उनकी छवि को लेकर स्थिति स्पष्ट कर रही हैं। हालांकि, मायावती ने अपने पोस्ट्स में किसी का नाम नहीं लिया है, लेकिन उनके शब्दों और समय के चुनाव से यह माना जा रहा है कि यह संदेश सीधे तौर पर आनंद और पार्टी कार्यकर्ताओं के लिए है।
इस बीच भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, भारतीय जनता पार्टी समेत अन्य विपक्षी दल के नेता इस रणनीति पर सवाल उठा रहे हैं. इन सब पर अब बसपा चीफ ने चुप्पी तोड़ी है. सोशल मीडिया साइट एक्स पर मायावती ने लिखा- देश के दलित व अन्य उपेक्षितों के हितैषी बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर के आत्म-सम्मान व स्वाभिमान के कारवाँ को सत्ता की मंज़िल तक पहुँचाने के मिशन में तत्पर बी.एस.पी. में कार्यरत लोगों के आने-जाने में कुछ भी निजी नहीं बल्कि यह पार्टी व मूवमेन्ट के हित पर पूर्णतः निर्भर.
यह सब दोहरा मापदण्ड नहीं है तो और क्या?
बसपा चीफ ने लिखा- साथ ही, विरोधी पार्टियों के षड्यन्त्र के तहत् पार्टी के कुछ लोग, उनके बहकावे में आकर जब अपनी ख़ुद की पार्टी को कमज़ोर करने में लग जाते हैं, या फिर पार्टी में अनुशासनहीनता अपनाने व परिपक्वता के साथ कार्य ना करने के कारण तब उन्हें मजबूरी में, पार्टी हित में निकालना पड़ता है.
यूपी की पूर्व सीएम ने लिखा- किन्तु जल्दी ही उनके समझ में आने व गलती का अहसास करने के बाद जब उन्हें पार्टी में वापस ले लिया जाता है, तो तब फिर कांग्रेस, बीजेपी व अन्य विरोधी पार्टियाँ इसे आया राम व गया राम की संज्ञा देकर, पार्टी की छवि को धूमिल करने की पूरी-पूरी कोशिश करती हैं.
उन्होंने लिखा- और जब यही कार्य विरोधी पार्टीयाँ करती हैं तब उसे वे पार्टी हित का मामला कहकर टाल देती हैं, लेकिन बीएसपी के मामले में इसे ये किस्म-किस्म की संज्ञा देकर इस पार्टी की छवि को ख़राब करने की कोशिश करती हैं. यह सब इनका दोहरा मापदण्ड नहीं है तो और क्या है? पार्टी के लोग सतर्क रहें.



