Ajay Rai का बीजेपी पर तंज, कहा- राहुल गांधी के आगे झुकना पड़ा

कांग्रेस पार्टी की तरफ से वाराणसी के नदेसर क्षेत्र में जाति जनगणना को लेकर आभार यात्रा निकाला गया... जिसमें प्रदेश अध्यक्ष अजय राय शामिल हुए...

4पीएम न्यूज नेटवर्कः भारत की राजनीति में जातीय जनगणना एक ऐसा मुद्दा बनकर उभरा है…… जो न केवल सामाजिक न्याय की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है……. बल्कि सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच श्रेय लेने की तीव्र होड़ का केंद्र भी बन गया है….. बता दें कि 3 मई 2025 को वाराणसी के नदेसर क्षेत्र में कांग्रेस पार्टी द्वारा निकाली गई आभार यात्रा ने इस मुद्दे को और हवा दी….. इस यात्रा में सैकड़ों कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हिस्सा लिया…….. जिनके हाथों में राहुल गांधी की तस्वीर वाले पोस्टर थे……. जिन पर “धन्यवाद जननायक” लिखा था….. वहीं यात्रा की अगुवाई कर रहे कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय राय ने इसे राहुल गांधी की जीत करार देते हुए केंद्र की बीजेपी सरकार पर तीखा हमला बोला….. और उन्होंने कहा कि राहुल गांधी ने सदन से सड़क तक जातीय जनगणना की मांग को बुलंद किया…… जिसके दबाव में बीजेपी को झुकना पड़ा…..

वाराणसी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का संसदीय क्षेत्र है…… वहां कांग्रेस की इस आभार यात्रा का आयोजन अपने आप में एक बड़ा कदम था…… नदेसर क्षेत्र में निकाली गई इस यात्रा में कार्यकर्ताओं का उत्साह…… और जोश साफ दिखाई दे रहा था…… राहुल गांधी की तस्वीरों और नारों के बीच…… कांग्रेस ने यह संदेश देने की कोशिश की कि जातीय जनगणना का फैसला उनकी पार्टी…… और उनके नेता की अथक मेहनत का परिणाम है…… अजय राय ने मीडिया से बातचीत में कहा कि राहुल गांधी ने संसद से लेकर सड़क तक…… हर मंच पर जातीय जनगणना की मांग को उठाया……. उनकी हुंकार के आगे केंद्र सरकार को झुकना पड़ा…… बीजेपी के नेता इस मुद्दे पर अलग-अलग बयान देते थे……. लेकिन राहुल गांधी ने सत्य की आवाज बुलंद की…… और यह उनकी जीत है…..

आपको बता दें कि कांग्रेस की यह यात्रा केवल एक राजनीतिक शक्ति प्रदर्शन नहीं था….. बल्कि यह उस बदलते राजनीति का संकेत था….. जहां विपक्ष खासकर कांग्रेस सामाजिक न्याय के मुद्दों को लेकर आक्रामक रुख अपना कर रही है…… इंडिया गठबंधन के सहयोगी दलों ने भी इस मुद्दे पर राहुल गांधी के साथ अपनी एकजुटता दिखाई है……. जिससे यह स्पष्ट होता है कि जातीय जनगणना अब केवल कांग्रेस का मुद्दा नहीं…… बल्कि पूरे विपक्ष का साझा एजेंडा बन चुका है….. बता दें कि जातीय जनगणना को लेकर बीजेपी की स्थिति शुरू से ही असमंजस भरी रही है….. एक ओर पार्टी ने “कमंडल” की राजनीति के जरिए सवर्ण…… और धार्मिक ध्रुवीकरण पर जोर दिया है…… तो दूसरी ओर ओबीसी और अन्य पिछड़े वर्गों के वोट बैंक को अपने साथ जोड़ने की कोशिश की है…… लेकिन जातीय जनगणना का मुद्दा बीजेपी के लिए एक टेढ़ी खीर साबित हुआ है…..

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ बीजेपी का वैचारिक मार्गदर्शक माना जाता है…… जिसने पहले इस मुद्दे पर उदासीन रुख अपनाया था…… लेकिन 2024 में संघ के सकारात्मक संकेतों के बाद बीजेपी को इस दिशा में कदम उठाने पड़े……. यह साफ है कि बीजेपी इस मुद्दे पर न तो खुलकर समर्थन कर सकती थी…… और न ही इसका विरोध क्योंकि दोनों ही स्थिति में उसे अपने कोर वोटरों सवर्ण और ओबीसी के बीच नाराजगी का सामना करना पड़ सकता था……. वहीं केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने जब 30 अप्रैल 2025 को जातीय जनगणना के फैसले की घोषणा की…… तो उन्होंने कांग्रेस और विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि वे इस मुद्दे का केवल राजनीतिक इस्तेमाल कर रहे थे……. लेकिन यह बयान बीजेपी की उस दोहरी नीति को उजागर करता है……. जिसके तहत वह एक ओर फैसले का श्रेय लेने की कोशिश कर रही है…… तो दूसरी ओर विपक्ष को बदनाम करने का प्रयास कर रही है…..

राहुल गांधी ने जातीय जनगणना को सामाजिक न्याय का आधार बनाकर इसे एक जनांदोलन का रूप देने की कोशिश की है…… 2023 के विधानसभा चुनावों से लेकर 2024 के लोकसभा चुनाव तक……. उन्होंने हर मंच पर इस मुद्दे को उठाया…… उनकी “भारत जोड़ो यात्रा” और “भारत जोड़ो न्याय यात्रा” में भी जातीय जनगणना……. और आरक्षण की सीमा हटाने की मांग मुख्य रूप से शामिल रही……राहुल गांधी ने इसे “देश का एक्स-रे” करार देते हुए कहा कि जातीय जनगणना के बिना सामाजिक….. और आर्थिक नीतियां बनाना असंभव है….. उन्होंने तेलंगाना मॉडल को राष्ट्रीय स्तर पर लागू करने की वकालत की…….. जबकि बिहार मॉडल पर सवाल उठाए……. जिससे इंडिया गठबंधन के सहयोगी राष्ट्रीय जनता दल के साथ कुछ तनाव भी देखने को मिला……. लेकिन यह राहुल गांधी की रणनीति का हिस्सा था……. जिसके तहत उन्होंने इस मुद्दे को कांग्रेस के नेतृत्व में एक राष्ट्रीय आंदोलन के रूप में स्थापित करने की कोशिश की……

आपको बता दें कि कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी इस मुद्दे पर केंद्र सरकार से समयसीमा तय करने की मांग की…… जिससे यह स्पष्ट हो कि बीजेपी केवल “हेडलाइन मैनेजमेंट” नहीं कर रही…… कांग्रेस की यह रणनीति बीजेपी को जवाबदेही के कठघरे में खड़ा करने की थी…… क्योंकि विपक्ष का मानना है कि बीजेपी ने यह फैसला मजबूरी में लिया है…… न कि अपनी इच्छा से….. जानकारी के अनुसार घटते जनाधार को देखते हुए….. बीजेपी के लिए जातीय जनगणना का फैसला एक मजबूरी थी……. यह बात कई स्तरों पर स्पष्ट होती है…… सबसे पहले 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष, खासकर इंडिया गठबंधन, ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया था…… राहुल गांधी, अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव और अन्य नेताओं ने इसे सामाजिक न्याय का आधार बनाकर बीजेपी को घेरने की रणनीति अपनाई……

वहीं बीजेपी के सहयोगी दल जैसे जनता दल (यूनाइटेड) और लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) भी इस मुद्दे पर मुखर थे…….. बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 2023 में बिहार में जातीय जनगणना कराई थी….. उन्होंने केंद्र के फैसले का स्वागत करते हुए इसे ऐतिहासिक बताया….. यह दबाव बीजेपी के लिए एक चुनौती बन गया…… क्योंकि वह अपने सहयोगियों को नाराज करने का जोखिम नहीं उठा सकती थी….. बीजेपी को यह डर था कि अगर वह इस मुद्दे पर चुप्पी साधती रही तो ओबीसी वोटर जो उसका एक बड़ा आधार हैं….. विपक्ष की ओर खिसक सकते हैं….. इसलिए आरएसएस के ग्रीन सिग्नल के बाद बीजेपी ने इस दिशा में कदम उठाया…… लेकिन इसे अपनी उपलब्धि के रूप में पेश करने की कोशिश की……

जातीय जनगणना के मुद्दे पर इंडिया गठबंधन ने एकजुट होकर बीजेपी को बैकफुट पर लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई…… राहुल गांधी के साथ-साथ लालू प्रसाद यादव, तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव…… और अन्य नेताओं ने इस मुद्दे को अपने-अपने राज्यों में जोर-शोर से उठाया…… बिहार में लालू यादव ने इसे 30 साल पुरानी मांग की जीत करार दिया…… तो तेजस्वी यादव ने इसे आरजेडी की उपलब्धि बताया…. लेकिन राहुल गांधी ने इस मुद्दे को राष्ट्रीय स्तर पर एक नया आयाम दिया…… उनकी प्रेस कॉन्फ्रेंस में समयसीमा की मांग…. और तेलंगाना मॉडल की वकालत ने यह स्पष्ट किया….. कि कांग्रेस केवल श्रेय लेने की होड़ में नहीं है….. बल्कि वह इस मुद्दे को लागू करने के लिए एक ठोस रूपरेखा भी पेश कर रही है…..

बीजेपी का इस मुद्दे पर रुख विरोधाभासों से भरा रहा है…… एक ओर, पार्टी के नेता राहुल गांधी पर देश को जाति के आधार पर बांटने का आरोप लगाते रहे….. दूसरी ओर जब केंद्र ने जातीय जनगणना का फैसला लिया….. तो बीजेपी ने इसे अपनी उपलब्धि के रूप में पेश करने की कोशिश की….. बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने दावा किया कि कांग्रेस….. और आरजेडी ने इस मुद्दे पर केवल लोगों को बरगलाया…… जबकि मोदी सरकार ने सटीक आंकड़ों के आधार पर विकास की योजनाएं बनाने का फैसला लिया….. लेकिन यह दावा खोखला साबित होता है…… जब हम देखते हैं कि बीजेपी ने इस मुद्दे पर पहले कोई स्पष्ट रुख नहीं अपनाया था…..

 

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