संदिग्ध लश्कर आतंकवादी की मौत पर विवाद! पुलिस ने कहा- पूछताछ के दौरान भागा और नाले में कूदा, परिवार ने हिरासत में मौत का आरोप लगाया

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर से संदिग्ध लश्कर आतंकवादी की मौत पर बवाल हो रहा है। पहलगाम के 26 मासूमों की मौत के जिम्मेदार आतंकवादियों की तलाश के हौरान एक 23 साल के कश्मीरी लडक़े इम्तियाज अहमद की भूमिका की जानकारी मिली थी, जिसके बाद पुलिस संदिग्ध लश्कर के आतंकवादी से पूछताछ करने में जुट गयी। पुलिस के अनुसार उसने हिरासत से भागने की कोशिश की और नाले में कूद गया। अब जम्मू-कश्मीर के कुलगाम में कथित तौर पर पुलिस हिरासत से भागते समय 23 वर्षीय एक व्यक्ति डूब गया।
पुलिस सूत्रों का दावा है कि वह एक संदिग्ध लश्कर आतंकवादी था जिसे ठिकानों के बारे में जानकारी थी। व्यक्ति के परिवार ने हिरासत में मौत और हत्या का आरोप लगाया है। सीसीटीवी फुटेज में एक अज्ञात व्यक्ति नदी में कूदता हुआ दिखाई दे रहा है। इस घटना ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है, जिसमें न्यायिक जांच की मांग की गई है। पुलिस ने कहा कि इसी दौरान वह भागने के लिए वैशो नदी में कूद गया और डूब गया, ड्रोन फुटेज जारी करते हुए पुलिस ने बताया कि इम्तियाज तेज धारा में कूद गया और बह गया।
पुलिस का दावा है कि वह भागने की कोशिश करते हुए नाले में कूद गया, जबकि उसके परिवार ने हिरासत में मौत का आरोप लगाया है। पीडि़त की पहचान इम्तियाज अहमद के रूप में हुई है, जिसे पुलिस ने लश्कर-ए-तैयबा के स्लीपर सेल का सदस्य होने के संदेह में हिरासत में लिया था। पुलिस के अनुसार, वे उसे पहचान के लिए एक ठिकाने पर ले गए, जब वह भागने की कोशिश में तेज बहाव वाली वैशो नाले में कूद गया और डूब गया।
पुलिस के अनुसार, इम्तियाज की भूमिका 23 अप्रैल को एक मुठभेड़ की जांच के दौरान सामने आई, जिसमें सुरक्षा बलों के साथ थोड़ी देर की मुठभेड़ के बाद दो आतंकवादी भाग निकले थे। पुलिस सूत्रों का यह भी दावा है कि इम्तियाज ने पूछताछ के दौरान लश्कर के ठिकाने के बारे में जानकारी होने की बात कबूल की, जिसके बाद उसे उसके बताए स्थान पर ले जाया गया। पुलिस ने कहा कि इसी दौरान वह भागने के लिए वैशो नदी में कूद गया और डूब गया, ड्रोन फुटेज जारी करते हुए पुलिस ने बताया कि इम्तियाज तेज धारा में कूद गया और बह गया।
हालांकि, इम्तियाज अहमद के परिवार ने पुलिस के बयान का कड़ा विरोध किया है, जिसमें गड़बड़ी का आरोप लगाया गया है और अधिकारियों पर हिरासत में हत्या का आरोप लगाया गया है। इस घटना की तुलना पहले के एक मामले से की जा रही है, जिसमें कुलगाम से लापता हुए तीन गुज्जर युवकों के शव वैशो नदी से बरामद किए गए थे। उस मामले की जांच अभी भी जारी है।
इस ताजा मौत से पूरे केंद्र शासित प्रदेश में व्यापक आक्रोश फैल गया है और राजनीतिक नेताओं ने जवाबदेही की मांग की है। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री और पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने कहा कि यह घटना गंभीर सवाल उठाती है और अधिकारियों पर गलत काम करने का आरोप लगाया। पहलगाम आतंकी हमले का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा, अगर हिंसा की एक भी घटना पूरी व्यवस्था को हिला सकती है, मनमाने ढंग से गिरफ्तारियां, घरों को ध्वस्त करना और निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाना शुरू कर सकती है, तो अपराधियों ने पहले ही अपना उद्देश्य हासिल कर लिया है। अहमद के घर पर पहुंची राज्य कैबिनेट मंत्री सकीना इटू ने घटना की न्यायिक जांच की मांग की। समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, इटू ने दावा किया कि पुलिस रिकॉर्ड में मृतक के खिलाफ कुछ भी नहीं है। उन्होंने कहा, (मगरे की मौत की) न्यायिक जांच होनी चाहिए ताकि सच्चाई सामने आ सके।
22 अप्रैल को, लश्कर से जुड़े एक आतंकी संगठन के सदस्यों ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र की बैसरन घाटी में 26 लोगों की हत्या कर दी, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे। जवाब में, सुरक्षा बलों ने बड़े पैमाने पर आतंकवाद विरोधी अभियान चलाया और पूछताछ के लिए कई लोगों को हिरासत में लिया।

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