वक्फ संशोधन कानून पर सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई एक बार फिर टली, 15 मई को होगी अगली सुनवाई

अदालत ने कहा कि चूंकि सीजेआई खन्ना के रिटायरमेंट के दिन नजदीक हैं, वो अंतिम चरण में भी कोई निर्णय या आदेश सुरक्षित नहीं रखना चाहते.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः वक्फ संशोधन कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट में चल रही सुनवाई एक बार फिर टल गई है। सोमवार को चीफ जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई में तीन जजों की पीठने मामले की सुनवाई की, लेकिन कोई अंतिम निर्णय न लेते हुए इसे अगले हफ्ते के लिए स्थगित कर दिया। करीब दो हफ्ते पिछली सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने विवादित प्रावधानों को फिलहाल न लागू करने पर सहमति जताई जा रही थी कि इस बार अदालत इस मुद्दे पर कोई ठोस रूख अपनाएगी, लेकिन सुनवाई टल जाने से अब फैसला और टल गया है। इस मामले की अगली सुनवाई अब अगले सप्ताह होगी।

वक्फ संशोधन कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में आज करीब दो हफ्ते बाद फिर से सुनवाई शुरू हुई। देश के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, जस्टिस पीवी संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। सुनवाई शुरू होते ही सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अदालत से आग्रह किया कि मामले की सुनवाई को अगले हफ्ते तक टाल दिया जाए। पीठ ने इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया। अब इस मामले की अगली सुनवाई गुरुवार, 15 मई को होगी।

आज की सुनवाई के दौरान देश के मुख्य न्यायधीश संजीव खन्ना ने दर्ज किया कि उन्होंने सरकार और जवाब में दायर सभी दलीलों को पढ़ लिया है. अदालत ने कहा कि रजिस्ट्रेशन और कुछ आंकड़ों के आधार पर मुद्दे उठाए गए हैं, जिन पर याचिकाकर्ताओं ने सवाल उठाया है. अदालत ने कहा कि चूंकि सीजेआई खन्ना के रिटायरमेंट के दिन नजदीक हैं, वो अंतिम चरण में भी कोई निर्णय या आदेश सुरक्षित नहीं रखना चाहते. ऐसे में, अब इस मामले को अगले गुरूवार को देश के सीजेआई होने जा रहे जस्टिस बीआर गवई की अध्यक्षता वाली पीठ सुनेगी.

वक्फ कानून के बारे में कुछ बातें
वक्फ संपत्तियों को रेगुलेट और मैनेज करने के लिए सरकार ने 1995 के वक्फ कानून में कुछ संशोधन किया था. जिसको धार्मिक और मौलिक अधिकारों का अतिक्रमण बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में विपक्षी पार्टियों और मुस्लिम संगठनों ने याचिका दायर किया है. इस कानून को लोकसभा से तीन अप्रैल को जबकि राज्यसभा से चार अप्रैल को पारित कराया गया. 5 अप्रैल को राष्ट्रपति की सहमति मिल जाने के बाद संशोधन लागू हो गया.

आपको बता दें,कि  कानून का बचाव अदालत में केंद्र सरकार और भाजपा शासित कई राज्य सरकारें कर रही हैं. जबकि चुनौती देने वालों कांग्रेस सांसद मोहम्मद जावेद, ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल-मुस्लीमीन के सांसद असद्दुदीन ओवैसी का नाम सबसे ऊपर है. सरकार ने पिछली सुनवाई के दौरान अदालत को भरोसा दिया था कि कानून के विवादित प्रावधान जिनमें इस्तेमाल के आधार पर वक्फ मानी जाने वाली संपत्तियां, अदालत की तरफ से घोषित वक्फ संपत्ति और वक्फ बोर्ड या काउंसिल में गैर मुसलमानों की एंट्री पर फिलहाल कोई पहल न करने का वादा किया था.

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