डराने की राजनीति का बंगाल से आएगा जवाब

  • बोलींममता- डर के आगे जीत है
  • केंद्र, भाजपा शासित राज्यों में तो पैसा देता है लेकिन विपक्षी राज्यों को देता है सजा
  • पीएम मोदी ने कटमनी के जरिये ममता सरकार पर लगाये हैं पैसा वसूली के आरोप
  • यहां नहीं चलेगा डर का माहौल : ममता

4पीएम न्यूज़ नेटवर्क
कोलकाता। तो क्या केन्द्र सरकार पश्चिम बंगाल की ममता सरकार को डारने का काम रही है? पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का तो यही कहना है कि उनकी सरकार को डराया जा रहा है। उन्होंने केन्द्र सरकार पर राज्य सरकार को सब्सिडी के तौर पर मिलने वाला पैसा रोके रखने की बात कही है। उनका कहना है कि पैसा न मिलने से पश्चिम बंगाल के 30 लाख मजदूरों को सैलरी नही बंट पायी है। यही नहीं उन्होंने मनरेगा और दूसरी योजनाओं के करोड़ों रूपये नहीं मिलने की बात की है। यह पैसा वर्ष 22 से केन्द्र सरकार ने रोक रखा है और हाइकोर्ट के आदेश के बाद भी राज्य को पैसा नहीं मिल पा रहा है। सीएम ममता बनर्जी पूरी तरह अलर्ट मोड पर हैं उन्हें लगता है कि बीजेपी दिल्ली की जीत का अगला निशाना बंगाल को बनाएगी। उन्होंने केंद्र पर हमला बोलते हुए कहा है कि वह बंगाल में लगातार राजनीतिक साजिशें को जन्म दे रही है। उन्होंने करते हुए कहा है कि अगर बीजेपी बंगाली पहचान पर हमला करेगी तो वे सीधे जवाब देंगी। ममता बनर्जी ने हाल ही में एक रैली में बोलते हुए कहा कि उन्होंने महाराष्ट्र और दिल्ली में जो किया उसे बंगाल में हम नहीं होने देंगे। ममता लगातार कह रही है कि दिल्ली की सरकार बंगालियों को बांग्लादेशी कहती है हमें अपमानित करती है और फंड रोक देती है। ममता बनर्जी ने कहा है कि आज जो कुछ हो रहा है यह सब राजनीतिक बदले की कार्रवाई है और केंद्र भाजपा शासित राज्यों में तो पैसा देता है लेकिन विपक्षी राज्यों को सजा देता है।

पीएम और गृहमंत्री ने दिया जवाब

सीएम ममता बनर्जी के आरोपों का जवाब पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह ने जोरदार तरीके से दिया है। पीएम मोदी ने बंगाल सरकार पर केन्द्रयी योजनाओं से पैसा वसूली के आरोप लगाये हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आरोप लगाये है कि बंगाल में योजनाओं के पैसे में कट मनी का चलन है और टीएमसी भ्रष्टाचार के रास्ते योजनाओं को रोक रही है। पीएम मोदी ने बंगाल में कहा कि दीदी की सरकार गरीबों के हक के पैसे में भी कट मनी मांगती है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कोलकाता में नियमित रूप से ममता पर हमला करते हुए कहा कि बंगाल अपराधों, घुसपैठ और हिन्दू उत्पीडऩ का केंद्र बन रहा है और यह चुनाव देश की सुरक्षा से जुड़ा होगा।

मोदी सरकार ने रोक रखा है राज्य का फंड

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि केंद्र सरकार ने राज्य के गरीबों को मिलने वाली कई कल्याणकारी योजनाओं का फंड रोक रखा है। उनके मुताबिक मनरेगा के तहत करीब 2,700 करोड़ का भुगतान केंद्र सरकार ने मार्च 2022 से रोक रखा है। इसके चलते लगभग 30 लाख मजदूरों को वेतन नहीं मिला। राज्य सरकार का दावा है कि वह अपने संसाधनों से 1.5 करोड़ मानव-दिवस का काम उपलब्ध करा चुकी है। यही नहीं प्रधानमंत्री आवास योजना और ग्रामीण सड़क योजना में भी केंद्र की ओर से राशि रोके जाने के आरोप हैं। पैसा रोके जाने से नाराज राज्य सरकार हाईकोर्ट में मुकदमा दायर किया था जिसमें जून 2025 में कलकत्ता हाईकोर्ट ने केंद्र को फंड जारी करने का आदेश दिया था।

टीएमसी अकेले लड़ेगी चुनाव

सीएम ममता बनर्जी ने साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस राज्य में सभी सीटों पर अकेल चुनाव लड़ेगी। उन्होंने आप और कांग्रेस को बीजेपी को फायदा पहुंचाने वाली पार्टी बताया है। उनके मुताबिक 2026 के बंगाल विधानसभा चुनावों में 215 प्लस सीटें जीत कर वह सत्ता में वापसी करेंगी। उन्होंने इंडिया गठबंधन से दूरी बनाते हुए कांग्रेस और आप दोनों पर आरोप लगाया कि वे भाजपा को कमजोर नहीं बल्कि मजबूत कर रहे हैं।

चुनाव आयोग के फैसले पर उठा सवाल, कांग्रेस ने केंद्र के साथ मिलीभगत का लगाया आरोप

चुनाव आयोग के 45 दिन बाद मतदान फुटेज नष्ट करने के आदेश पर पूरे विपक्ष ने चुनाव आयोग व एनडीए सरकार को घेर लिया है। कांग्रेस नेता नाना पटोले ने चुनाव आयोग की आलोचना की, क्योंकि मीडिया में बताया गया है कि आयोग ने 45 दिन बाद किसी भी चुनाव प्रक्रिया के सीसीटीवी, वेबकास्टिंग और वीडियो फुटेज को नष्ट करने का निर्देश दिया है। उन्होंने आयोग पर केंद्र सरकार के साथ मिलीभगत का आरोप लगाया। अपने इलेक्ट्रॉनिक डेटा का इस्तेमाल दुर्भावनापूर्ण आख्यान बनाने के लिए किए जाने की आशंका के चलते, चुनाव आयोग ने 30 मई को एक पत्र में राज्य चुनाव अधिकारियों को निर्देश दिया कि यदि फैसले को अदालत में चुनौती नहीं दी जाती है तो 45 दिनों के बाद ऐसे फुटेज को नष्ट कर दिया जाए। महाराष्ट्र विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष पटोले ने मुंबई में एक संवाददाता सम्मेलन में कहा कि हरियाणा में चुनाव के बाद कुछ लोगों ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था और अदालत ने आयोग को चुनाव प्रक्रिया के सीसीटीवी फुटेज उपलब्ध कराने का निर्देश दिया था। उन्होंने आरोप लगाया कि इसके बाद चुनाव आयोग ने केंद्रीय कानून मंत्रालय को पत्र लिखकर चुनाव संचालन नियमों की धारा 93 में संशोधन करने को कहा।

दिल्ली मॉडल जनता ठुकरायेगी या फिर अपनाएगी

सीएम ममता बनर्जी को लगता है कि बीजेपी महाराष्ट्र और दिल्ली के फार्मूले को एक बार फिर पश्चिम बंगाल में लागू कर सकती है। दिल्ली मॉडल में हाईकमान आधारित नेतृत्व चलता है जो बंगाल को रास नहीं आता। यही नहीं बीजेपी के पास कोई ममता बनर्जी जैसा जमीनी नेता नहीं शुभेंदु अधिकारी या दिलीप घोष का जनाधार सीमित है। पिछले कुछ वर्षों के चुनावी नतीजों का आंकलन करे तो पता चलात है कि धार्मिक ध्रुवीकरण पश्चिम बंगाल में सफल नहीं हुआ। बीजेपी के जय श्रीराम जैसे नारों को ममता ने बंगाल विरोधी करार दिया और बंगाली भावना के साथ जोड़ा। इससे बीजेपी को नुकसान हुआ। बंगाल में हुए एक ताजा सर्वे के रूझान बताते हैं 25 फीसदी लोगों को लगता है कि बंगाल में दिल्ली मॉडल सफल होगा जबकि 75 फीसदी लोग इस बात से इत्तेफाक नहीं रखते।

ममता सरकार को झटका, हाईकोर्ट ने बर्खास्त की स्कूल कर्मचारियों को सहायता देने पर लगाई रोक

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली पश्चिम बंगाल सरकार से कहा है कि वह शीर्ष अदालत के आदेश के बाद बर्खास्त किए गए गैर-शिक्षण स्कूल कर्मचारियों को 26 सितंबर तक आर्थिक सहायता न दे। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 2016 की भर्ती प्रतीक्षा सूची में शामिल उम्मीदवारों की याचिका के बाद नौकरी से निकाले गए ग्रुप-सी और ग्रुप-डी कर्मचारियों को भत्ते प्रदान करने के दिशा-निर्देशों को खारिज कर दिया। बंगाल सरकार के सहायता देने के फैसले पर अंतरिम रोक लगाते हुए जस्टिस अमृता सिन्हा ने कहा कि राज्य सरकार ग्रुप-सी और ग्रुप-डी कर्मचारियों को भत्ते नहीं दे सकती। यह रोक 26 सितंबर तक लागू रहेगी। याचिकाकर्ताओं ने तर्क दिया कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बावजूद अनियमितताओं के कारण बर्खास्त किए गए लोगों को 25,000 रुपये और 20,000 रुपये भत्ते प्रदान करना भ्रष्टाचार को पुरस्कृत करने के बराबर है। अदालत के इस फ़ैसले को कई लोग ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सरकार के लिए झटका मान रहे हैं। हालांकि, कुछ लोगों का मानना है कि इस आदेश से राज्य को अस्थायी तौर पर कई करोड़ रुपये के वित्तीय बोझ से राहत मिली है। अदालत के हस्तक्षेप से न केवल भत्ते रुक गए हैं, बल्कि बर्खास्त कर्मचारियों से जुड़े सभी मामले न्यायिक जांच के दायरे में आ गए हैं।

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