राष्ट्र निर्माण के मिशन पर पतंजलि विश्वविद्यालय, इतने प्रमुख विश्वविद्यालयों से किया समझौता

आचार्य बालकृष्ण ने यह भी कहा कि यह समझौता स्वदेशी ज्ञान के माध्यम से राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के एक बड़े मिशन की दिशा में एक सामूहिक प्रयास है. उन्होंने इस पहल को ऋषि क्रांति, योग क्रांति और शिक्षा क्रांति का हिस्सा बताया.

4पीएम न्यूज नेटवर्कः पतंजलि विश्वविद्यालय ने शिक्षा और पारंपरिक ज्ञान के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए भारते के तीन प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों केसाथ एमओयू पर हस्ताक्षर किए हैं। यह समझौता राष्ट्र निर्माण के मिशन को केंद्र में रखकर किया गया है।

इस बारे में जानकारी देते हुए आचार्य बालकृष्ण ने बताया कि, “शिक्षा और ज्ञान के क्षेत्र में इस समझौते का एक खास उद्देश्य है। हमारा मिशन केवल शिक्षा का प्रसार नहीं, बल्कि राष्ट्र का पुनर्निर्माण है। यह एक औपचारिक समझौता मात्र नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक और बौद्धिक आंदोलन की शुरुआत है।”

उन्होंने बताया कि पतंजलि विश्वविद्यालय और इसकी अनुसंधान शाखा इस दिशा में लगातार कार्य कर रही है, और यह नया कदम उसी श्रृंखला का एक हिस्सा है। पारंपरिक भारतीय ज्ञान, आयुर्वेद, योग और संस्कृति को वैश्विक स्तर पर पहचान दिलाने के लिए यह समझौता बेहद अहम माना जा रहा है। समझौते के तहत, संबंधित विश्वविद्यालय मिलकर शैक्षणिक अनुसंधान, पारंपरिक विज्ञान, पाठ्यक्रम विकास और स्कॉलर एक्सचेंज जैसे क्षेत्रों में सहयोग करेंगे। यह पहल शिक्षा क्षेत्र में पतंजलि की बढ़ती भूमिका को दर्शाती है और आने वाले समय में भारतीय ज्ञान परंपरा को वैश्विक मंच पर सशक्त बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है।

इन तीन विश्वविद्यालयों से मिलाया हाथ
आचार्य बालकृष्ण ने बताया है कि इन विश्वविद्यालयों के साथ शिक्षा, स्वास्थ्य, आयुर्वेद, योग, भारतीय पारंपरिक ज्ञान और कौशल विकास के क्षेत्र में मिलकर काम किया जाएगा. जिन तीन विश्वविद्यालयों के साथ समझौता किया गया है, उनमें है- मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा का राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय, छत्तीसगढ़ के दुर्ग का हेमचंद यादव विश्वविद्यालय और मध्य प्रदेश के चित्रकूट स्थित महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय.

एमओयू पर हस्ताक्षर समारोह के दौरान राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर इंद्र प्रसाद त्रिपाठी, हेमचंद यादव विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. संजय तिवारी और महात्मा गांधी चित्रकूट ग्रामोदय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर भरत मिश्रा सहित प्रमुख शैक्षणिक हस्तियां उपस्थित थीं.

भारत की प्राचीन परंपरा का पुनर्जीवन
इन तीनों कुलपतियों ने भारत की प्राचीन परंपराओं को पुनर्जीवित करने में पतंजलि के कार्य और राष्ट्रीय विकास में इसकी बढ़ती भूमिका की प्रशंसा की है. उन्होंने आयुर्वेद, योग और भारतीय दार्शनिक विचारों को आधुनिक शैक्षिक जरूरतों के अनुरूप बढ़ावा देने के लिए पतंजलि विश्वविद्यालय की प्रतिबद्धता को प्रशंसनीय बताया.

स्वदेशी ज्ञान के माध्यम से राष्ट्र का पुनर्निर्माण
इस दौरान आचार्य बालकृष्ण ने यह भी कहा कि यह समझौता स्वदेशी ज्ञान के माध्यम से राष्ट्रीय पुनर्निर्माण के एक बड़े मिशन की दिशा में एक सामूहिक प्रयास है. उन्होंने इस पहल को ऋषि क्रांति, योग क्रांति और शिक्षा क्रांति का हिस्सा बताया. उन्होंने भरोसा जताया कि इस यात्रा से पूरे भारत में लाखों लोगों को लाभ मिलता रहेगा.

समझौता ज्ञापनों से सभी चार संस्थानों को अनुसंधान पर सहयोग करने, संयुक्त प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करने, शैक्षिक संसाधनों को साझा करने तथा भारतीय मूल्यों और प्रथाओं पर आधारित शैक्षिक पहुंच को बढ़ावा देने की अनुमति मिलेगी.

Related Articles

Back to top button