संजय राउत का बड़ा बयान, कहा- जनता के सामने जलाएंगे आदेश
संजय राउत ने कहा, “राज ठाकरे जी ने इसके लिए एक आह्वान किया था जिसे उद्धव ठाकरे जी ने सकारात्मक रूप से स्वीकार किया है.”

4पीएम न्यूज नेटवर्कः महाराष्ट्र में स्कूलों में हिंदी अनिवार्य किए जाने के खिलाफ शिवसेना (UBT) ने मोर्चा खोल दिया है. संजय राउत ने कहा कि उद्धव और राज ठाकरे मिलकर इसका सार्वजनिक विरोध करेंगे.
महाराष्ट्र में भाषा विवाद सबसे बड़ा मुद्दा बना हुआ है. खास कर विपक्षी पार्टियां लगातार मराठी भाषा को आगे बढ़ाने की बात कर रहे हैं वहीं बच्चों पर हिंदी थोपने का आरोप लगाते हुए इसका बहिष्कार कर रहे हैं. राज्य सरकार के एक आदेश जारी किया था जिसमें स्कूलों में कक्षा पांचवीं तक हिंदी को अनिवार्य करने की बात कही गई थी. इसे लेकर विपक्षी दल खासकर शिवसेना (UBT) ने इसका कड़ा विरोध जताया है. प्रवक्ता संजय राउत ने इसे लेकर बड़ा बयान दे दिया है.
सांसद संजय राउत ने सरकार के इस फैसले के कड़ा विरोध करते हुए कहा, “सरकार ने जो हिंदी अनिवार्य करने का आदेश जारी किया है, हम उसे जनता के साथ मिलकर जलाएंगे.” एएनआई के अनुसार, राउत ने यह भी बताया कि मुंबई में इसका मुख्य विरोध कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा, जिसमें उद्धव ठाकरे खुद शामिल होंगे. वहीं उन्होंने बताया की एसएनएस प्रमुख राज ठाकरे भी मराठी अस्मिता को आगे ले जाने के लिए साथ आएंगे.
#WATCH | Mumbai | On the Maharashtra government mandating Hindi as the default third language in schools, Shiv Sena (UBT) MP Sanjay Raut says, "Uddhav and Raj Thackeray will protest against forceful imposition of Hindi in the state education. We will burn the government… pic.twitter.com/h6MhRs3yGh
— ANI (@ANI) June 29, 2025
राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे के साथ आने पर बोले संजय राउत
इस मुद्दे पर जब संजय राउत से पूछा गया कि राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे एक साथ मंच शेयर करने वाले हैं तो क्या अब वे राजनीतिक तौर पर भी साथ आएंगे, तो उन्होंने कहा, “दोनों अलग-अलग पार्टियों में हैं लेकिन एक विचार से मराठी को आगे बढ़ाने के लिए एक साथ आ रहे हैं तो इसका क्या मतलब है?, क्या ये एक राजनीतिक गठबंधन नहीं है?”
नगर निगम चुनावों को लेकर भी चर्चा गर्म है. सवाल किया गया कि क्या दोनों ठाकरे बंधु साथ मिलकर चुनाव लड़ सकते हैं, इस पर संजय राउत ने कहा, “राज ठाकरे जी ने इसके लिए एक आह्वान किया था जिसे उद्धव ठाकरे जी ने सकारात्मक रूप से स्वीकार किया है.” इससे साफ है कि मराठी अस्मिता को केंद्र में रखकर महाराष्ट्र की राजनीति में नया समीकरण बन सकता है.



